मंडला। आज शिक्षक दिवस के शुभ अवसर में सभी शिक्षकों को सादर प्रणाम करता हूं जिनके अभूतपूर्व योगदान के कारण एक नए समाज का निर्माण हो रहा है। आज के समय की सबसे बड़ी समस्या है शिक्षा का डिजिटल स्वरूप जिसके कारण शिक्षकों का महत्व समाप्त होते जा रहा है आज विद्यार्थी शिक्षक से ज्यादा डिजिटल प्लेटफॉर्म पर निर्भर होता जा रहा है। जहां से उसे जानकारी तो प्राप्त हो रही है लेकिन उसे अच्छे बुरे का ज्ञान नहीं रह गया है उसके सोचने समझने की शक्ति भी कम होती जा रही है वह अपने दिमाग पर जोर देना ही नहीं चाहता है और सामाजिक और मानसिक रूप से शून्य होता जा रहा है जो कि बहुतभी चिंतनीय विषय है ,यदि हमें अपनी शिक्षा व्यवस्था को सुधारना है और एक अच्छे विद्यार्थी और नागरिकता निर्माण करना है तो हमें इस पर गंभीरता से विचार करना होगा। आज का विद्यार्थी अपने उद्देश्य से भटक चुका है इसीलिए शिक्षक को चाहिए कि समय समय पर उसे नैतिक शिक्षा भी दी जाए तथा उनकी पढ़ने और लिखने की क्षमता पर ध्यान दिया जाए बजाय सुनने और देखने के ,क्योंकि सुनने और देखने में केवल कुछ समय तक याद रहता है लेकिन पढ़ने और लिखने से हमेशा याद रहता है।
आज का बच्चा हर छोटी छोटी बात के लिए गूगल और चैट जी पी टी पर निर्भर होता जा रहा जिससे वह मानसिक रूप से पंगु होता जा रहा। हम सभी को मिलकर प्रयास करना होगा और इस डिजिटल शिक्षा की कुछ सीमाएं तय करनी होंगी क्योंकि इसका एक सीमा तक उपयोग करना ही उचित है इसके कारण बच्चा लिखने और पढ़ने में अक्षम होता जा रहा है। पुनः सभी शिक्षकों को शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।
मीतेश तिवारी” मृदुल”
मंडला से अशोक मिश्रा की रिपोर्ट
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