रायपुर 03 जनवरी 2025
छत्तीसगढ़ के वित्त मंत्री ओपी चौधरी की कहानी संघर्ष, समर्पण और समाजसेवा की मिसाल है। एक साधारण परिवार से लेकर आईएएस अधिकारी और फिर एक सफल राजनीतिज्ञ बनने तक का उनका सफर न केवल प्रेरणादायक है, बल्कि समाज को बेहतर बनाने की उनकी प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है।
ओपी चौधरी का जन्म छत्तीसगढ़ के एक छोटे से गांव में हुआ। उनका परिवार कृषि कार्य पर निर्भर था। सीमित संसाधनों के बावजूद, उनके माता-पिता ने शिक्षा के प्रति उनका झुकाव बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। बचपन से ही ओपी चौधरी पढ़ाई में होशियार थे और बड़ी सोच रखते थे। स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने रायपुर के साइंस कॉलेज से स्नातक किया। उनकी मेहनत और लगन ने उन्हें 2005 में भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) की परीक्षा में सफलता दिलाई। ओपी चौधरी छत्तीसगढ़ कैडर में शामिल हुए, जहां उन्होंने अपनी कार्यशैली और समाजसेवा के प्रति समर्पण से जनता के बीच पहचान बनाई।
ओपी चौधरी की कलेक्टर के रूप में तैनाती ने कई नई परंपराओं की शुरुआत की।
दंतेवाड़ा में कलेक्टर रहते हुए उन्होंने गीदम में बच्चों के लिए रोजगार उन्मुखी शिक्षा केंद्र शुरू किया। यह पहल आदिवासी बच्चों को व्यावसायिक शिक्षा प्रदान करने और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से की गई थी। उनकी इस योजना ने हजारों बच्चों का भविष्य संवारने में मदद की।रायपुर में कलेक्टर रहते हुए उन्होंने एक छात्रा को एक दिन का कलेक्टर बनने का अवसर दिया। इस अनोखी पहल ने प्रशासन के प्रति युवाओं को प्रेरित किया और समाज में महिलाओं को सशक्त बनाने का संदेश दिया। उन्होंने दंतेवाड़ा में ‘एजुकेशन सिटी’ प्रोजेक्ट शुरू किया, जिसका उद्देश्य क्षेत्र में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का विस्तार करना था।
दंतेवाड़ा के एजुकेशन सिटी प्रोजेक्ट के लिए उन्हें राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सराहना मिली। 2011 में ‘प्रधानमंत्री उत्कृष्टता पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया तथा शिक्षा और महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में उनके योगदान को लेकर कई पुरस्कार भी मिले।
2018 में ओपी चौधरी ने आईएएस की नौकरी छोड़कर राजनीति में कदम रखा। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से जुड़े और समाजसेवा के अपने उद्देश्य को राजनीति के जरिए आगे बढ़ाने का निर्णय लिया। अपने पहले प्रयास में हालाँकि वह विधानसभा चुनाव हार गए पर तब कांग्रेस की लहर थी। लेकिन अगले विधानसभा चुनाव में न सिर्फ़ उन्होंने जीत हासिल की बल्कि उन्हें वित्त मंत्री जैसा महत्वपूर्ण पद मिला।
2023 में छत्तीसगढ़ के वित्त मंत्री बनने के बाद उन्होंने राज्य के बजट में विकास और समावेशिता को प्राथमिकता दी। उनके कार्यकाल में राज्य ने वित्तीय स्थिरता, शिक्षा, और बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में कई नई ऊंचाइयों को छुआ। उनके वित्त मंत्री के कार्यकाल के दौरान छत्तीसगढ़ में वित्तीय अनुशासन का पालन के लिये कई प्रभावी कदम उठाए हैं, जिससे राज्य की अर्थव्यवस्था मजबूत हुई। राज्य ने अपने वित्तीय घाटे को नियंत्रित करने के साथ-साथ विकास योजनाओं को गति देने में सफलता पाई। इसके लिये छत्तीसगढ़ के वित्त मंत्री ओपी चौधरी को मुख्यमंत्री के साथ समन्वय कर अपने विजन और नीतियों को प्रभावी रूप से लागू करने व कुशल वित्तीय प्रबंधन सुनिश्चित करने के लिये केंद्र सरकार ने हाल ही में सराहना भी की। राज्य की 25वीं वर्षगांठ को ‘अटल निर्माण वर्ष’ के रूप में मनाने की उनकी पहल राज्य में अधोसंरचना के विकास को दर्शाती है।
ओपी चौधरी अपने सादगीपूर्ण जीवन और स्पष्ट विचारों के लिए जाने जाते हैं। वे मानते हैं कि शिक्षा और रोजगार समाज के विकास के मुख्य स्तंभ हैं। उनके सभी प्रयास इसी दिशा में केंद्रित रहे हैं। ओपी चौधरी की कहानी हमें यह सिखाती है कि सीमित संसाधन कभी भी सफलता की राह में बाधा नहीं बनते, यदि समर्पण और मेहनत का साथ हो। उनकी यात्रा न केवल छत्तीसगढ़ बल्कि पूरे देश के युवाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत है। वे एक ऐसे नेता हैं, जिन्होंने जनता की समस्याओं को न केवल समझा, बल्कि उन्हें सुलझाने के लिए ठोस कदम उठाए।
( राजीव खरे ब्यूरो चीफ छत्तीसगढ़)
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