रायपुर- 02 जनवरी 2025
छत्तीसगढ़ की राजनीति में भूचाल लाने वाली खबर ज़ोरों पर चल रही है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने हाल ही में राज्य के पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा और उनके बेटे के घर छापा मारा। ईडी ने दावा किया है कि इस कार्रवाई में भ्रष्टाचार से जुड़े कई अहम दस्तावेज और सबूत बरामद हुए हैं। ये सबूत आबकारी विभाग में व्यापक अनियमितताओं की ओर इशारा करते हैं। माना जा रहा है कि इन आरोपों के आधार पर कवासी लखमा की गिरफ्तारी संभव है।
ईडी की छानबीन में यह आरोप लगाया गया है कि कवासी लखमा के कार्यकाल के दौरान शराब माफिया और ठेकेदारों के साथ मिलकर बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ। रेड के दौरान कई वित्तीय दस्तावेज, संदिग्ध लेन-देन का रिकॉर्ड, और संपत्ति से जुड़ी जानकारी बरामद की गई है।
कवासी लखमा ने इन आरोपों को खारिज करते हुए खुद को निर्दोष बताया। उन्होंने कहा, “मैं अनपढ़ हूं। अधिकारियों और ठेकेदारों ने मुझे मूर्ख बनाकर फाइलों पर साइन करवा लिए। मैंने कभी किसी गलत काम में हिस्सा नहीं लिया।”
हालांकि, सवाल उठता है कि जब कवासी लखमा सत्ता में थे और तमाम सरकारी सुविधाओं और ऐशो-आराम का लाभ उठा रहे थे, तब उन्होंने यह क्यों नहीं सोचा कि अधिकारी और ठेकेदार उन्हें उपकृत क्यों कर रहे थे? क्या यह संभव है कि उन्हें यह पता नहीं था कि उनके नाम पर ये लोग कितना लाभ उठा रहे होंगे ।
इस घटनाक्रम ने राज्य की राजनीति में गर्मागर्मी पैदा कर दी है। भाजपा ने इस पर तीखा हमला करते हुए कहा, “कवासी लखमा की अनपढ़ होने की दलील स्वीकार्य नहीं है। जब वे सत्ता के मजे ले रहे थे, तब उन्हें यह समझना चाहिए था कि यह सब क्यों हो रहा है। यह कांग्रेस सरकार की भ्रष्ट नीतियों का परिणाम है।” वहीं, कांग्रेस ने इन आरोपों को केंद्र सरकार की साजिश करार दिया है। पार्टी के प्रवक्ता ने कहा, “यह पूरी तरह से विपक्षी नेताओं को बदनाम करने का प्रयास है। ईडी का इस्तेमाल राजनीतिक हथियार के रूप में किया जा रहा है।”
ईडी अब इस मामले की गहराई से जांच कर रही है। कवासी लखमा की गिरफ्तारी को लेकर अटकलें तेज हो गई हैं। राज्य की जनता और राजनीतिक दल इस घटनाक्रम पर नजर बनाए हुए हैं।
यह मामला न केवल छत्तीसगढ़ की राजनीति बल्कि देशभर में भ्रष्टाचार पर एक बड़ी बहस छेड़ने वाला है।
( राजीव खरे ब्यूरो चीफ छत्तीसगढ़)
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