Policewala
Home Policewala कृषि विभाग की लापरवाही से किसान बेहाल, नकली बीज से ठगाए, व्यापारी उठा रहे फायदा
Policewala

कृषि विभाग की लापरवाही से किसान बेहाल, नकली बीज से ठगाए, व्यापारी उठा रहे फायदा

डिंडौरी मध्यप्रदेश

शहपुरा क्षेत्र के किसानों की उम्मीदें हर बार की तरह इस बार भी सरकारी तंत्र की लापरवाही की भेंट चढ़ गई हैं। शुरुआती बारिश के बाद जहां किसान बोवनी की तैयारी में जुटे हैं, वहीं कृषि विभाग की निष्क्रियता के चलते उन्हें समय पर उन्नत व प्रमाणित बीज नहीं मिल पा रहे हैं। नतीजतन, किसानों को मजबूरी में बाजार का रुख करना पड़ रहा है, जहां खुलेआम नकली व अवैध तरीके से बेचे जा रहे बीज उनके लिए घाटे का सौदा साबित हो रहे हैं।

बाजार में नकली बीज, किसानों को हजारों का नुकसान

स्थानीय हाट बाजारों में बिना पंजीयन के छोटे-बड़े स्टॉलों पर खुलेआम धान के बीज बेचे जा रहे हैं। इन बीजों की न तो गुणवत्ता की गारंटी है और न ही कोई वैधानिक प्रमाणन। किसान उन्नत बीज समझ कर ये बीज महंगे दामों पर खरीद रहे हैं, लेकिन नतीजा निराशाजनक है। नकली बीज बोवनी के बाद अंकुरण तो करते हैं, पर जल्द ही मुरझा जाते हैं, जिससे किसानों को न केवल आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है बल्कि कीमती समय भी बर्बाद हो जाता है।

कृषि विभाग की ढिलाई, किसान बना ठगी का शिकार

जानकारों के मुताबिक असली और नकली बीज में अंतर करना बोवनी से पहले संभव नहीं होता। जब तक अंकुरण नहीं होता, किसान को ठगी का पता नहीं चलता। सरकारी कृषि केंद्रों में हाईब्रिड बीज अनुदानित दर पर मिलने चाहिए थे, लेकिन शहपुरा ब्लॉक में अब तक बीज नहीं पहुंचा है। किसान खेत की रसीद और आवेदन के साथ बीज लेने के लिए विभाग का चक्कर काट रहे हैं, लेकिन उन्हें खाली हाथ लौटना पड़ रहा है।

क्या निजी व्यापारियों को फायदा पहुंचाने की साजिश?

इस सवाल ने अब जोर पकड़ लिया है कि क्या यह सब कुछ योजनाबद्ध तरीके से हो रहा है? क्या सरकारी विभाग जानबूझकर बीज उपलब्ध नहीं करा रहा ताकि निजी व्यापारी जमकर मुनाफा कमा सकें? या फिर यह सिर्फ एक और उदाहरण है सरकारी लापरवाही का, जिसकी कीमत किसानों को चुकानी पड़ रही है?

किसानों की व्यथा : “कब तक करें इंतजार?”

शनिवार को कृषि विभाग पहुंचे किसानों ने अपनी पीड़ा खुलकर साझा की। किसान नवल तेकाम, मल्लू मेहरा, सोहन बनवासी, कमला झारिया, माहु बनवासी, कमलेश, राजेश और गोगीबाई सहित अन्य ने बताया कि जून की शुरुआत से ही वे सरकारी बीज का इंतजार कर रहे थे, लेकिन विभाग की उदासीनता के चलते अब तक कोई बीज नहीं मिला। मजबूरी में वे बाजार से दोगुने दाम पर बीज खरीद रहे हैं। किसान कहते हैं, “अगर सरकार समय पर बीज देती, तो हमारी लागत आधी रह जाती और गुणवत्ता की भी गारंटी होती।”

प्रशासन की जिम्मेदारी तय होनी चाहिए

यह गंभीर मामला न सिर्फ किसानों की आजीविका से जुड़ा है, बल्कि सरकारी योजनाओं की विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़े करता है। क्या यह जानबूझकर किया गया कुप्रबंधन है जिससे निजी व्यापारी लाभ कमा सकें? या यह केवल एक और उदाहरण है सरकारी उदासीनता का? जो भी हो, जिम्मेदार अधिकारियों की जवाबदेही तय होना अब अनिवार्य है।

समाधान कब मिलेगा?

कृषि विभाग को तत्काल संज्ञान लेकर शहपुरा ब्लॉक में बीज की उपलब्धता सुनिश्चित करनी चाहिए। साथ ही नकली बीज बेचने वालों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए ताकि किसान फिर से ठगे न जाएं। जब तक समय पर और प्रमाणित बीज किसानों को नहीं मिलेंगे, तब तक ‘कृषि आत्मनिर्भरता’ सिर्फ एक नारा बन कर रह जाएगी।

‘कृषि आत्मनिर्भरता’ तभी, जब किसान सुरक्षित

जब तक किसान को समय पर, उचित मूल्य पर, प्रमाणित बीज नहीं मिलेगा, तब तक ‘कृषि आत्मनिर्भरता’ और ‘दोहरे आय’ जैसे नारे केवल भाषणों की शोभा बने रहेंगे। सरकार को यह समझना होगा कि अगर किसान खेत में ठगा जाता है, तो देश की नींव ही हिलती है।

अब सवाल ये नहीं कि बीज कब मिलेगा, सवाल ये है कि प्रशासन कब जागेगा?

रिपोर्ट अखिलेश झारिया

Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles

ग्यारहवें अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर जिले भर में हुये सामूहिक योगाभ्यास के कार्यक्रम.

  रानीताल स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में हुआ जिले का मुख्य कार्यक्रम. लोक निर्माण...

लीनेस क्लब रायपुर द्वारा अनाथ वृद्ध महिला की अन्त्येष्टि

लीनेस क्लब रायपुर द्वारा अनाथ वृद्ध महिला की अन्त्येष्टि * वृद्धाश्रम में...