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- छिंदवाड़ा के जमकुंडा गांव में प्रशासनिक लापरवाही का दहशतनाक चेहरा. सांसद के पत्र और कलेक्टर के निर्देश के बाद भी टीन शेड नहीं, लोगों को बारिश में तिरपाल पकड़कर करना पड़ा अंतिम संस्कार!&url=https://policewala.org.in/?p=46435" rel="nofollow">Tweet
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- छिंदवाड़ा के जमकुंडा गांव में प्रशासनिक लापरवाही का दहशतनाक चेहरा. सांसद के पत्र और कलेक्टर के निर्देश के बाद भी टीन शेड नहीं, लोगों को बारिश में तिरपाल पकड़कर करना पड़ा अंतिम संस्कार! https://policewala.org.in/?p=46435" target="_blank" rel="nofollow">
छिंदवाड़ा के जमकुंडा गांव में प्रशासनिक लापरवाही का दहशतनाक चेहरा. सांसद के पत्र और कलेक्टर के निर्देश के बाद भी टीन शेड नहीं, लोगों को बारिश में तिरपाल पकड़कर करना पड़ा अंतिम संस्कार!
🚨 जमकुंडा में इंसान की लाश नहीं जली -सिस्टम की लाज जली है!
जुन्नारदेव,छिंदवाड़ा, मध्यप्रदेश
जुन्नारदेव:- के जमकुंडा पंचायत में रविवार को जो हुआ, वो सिर्फ एक अंतिम संस्कार नहीं था वो प्रशासनिक लापरवाही की लाश का दाह संस्कार था।
35 साल की शियावती ब्रह्मवंशी का शव बारिश में तिरपाल के नीचे जलाया गया। गांव के लोग तिरपाल पकड़कर खड़े रहे, ताकि चिता भीग न जाए। और जो भीग चुका था वो था सिस्टम का जमीर, अफसरों की जवाबदेही और जनप्रतिनिधियों की नीयत।
💣 दो साल से तिरपाल में जल रही इज्जत अब तो शर्म भी मर चुकी है
अगस्त 2024: तिरपाल में अंतिम संस्कार
जनवरी 2025: शव रखकर प्रदर्शन
सांसद का पत्र, कलेक्टर का निर्देश
सितंबर 2025: न जमीन मिली, न शेड, न सुनवाई
ये कैसा लोकतंत्र है, जहां एक शमशान के लिए भी जनता को आंदोलन करना पड़ता है? क्या मोक्षधाम भी अब सरकारी फाइलों में मोक्ष पा चुका है?
🔥 प्रशासन का बहाना = वन विभाग की ज़मीन
कितना आसान है कहना “जमीन अटकी है”।
तो क्या सरकारें तिरपाल में जलती चिताओं को देखकर भी “फाइल प्रोसेस” गिनती रहेंगी?
क्या दो साल में एक वैकल्पिक भूमि भी नहीं खोजी जा सकी?
या फिर सच ये है कि गरीब की मौत, इस सिस्टम के लिए कोई खबर ही नहीं है?
🛑 “यहां मोक्ष भी सिस्टम की मेहरबानी से मिलता है!”
🛑 “सांसद का पत्र भी तिरपाल से हल्का निकला!”
🛑 “मरने के बाद भी व्यवस्था के रहमोकरम पर जिंदा रहना पड़े इससे बड़ा अपमान क्या होगा?”
🛑 “शमशान नहीं बना, लेकिन सत्ता के मुंह पर कालिख जरूर लग गई है!”
“हम लगातार अपनी बात सभी जिम्मेदारों तक पहुंचा चुके हैं। इसके लिए आंदोलन भी हो चुका है, निवेदन कर चुके, कई रिमाइंड भी दे चुके… लेकिन अब तक कोई सुनवाई नहीं हुई है। एक बार फिर तिरपाल के नीचे अंतिम संस्कार हुआ। अब तो ये हालत है कि मरने के बाद भी लोगों को इज़्ज़त नसीब नहीं।”
– राकेश खरे, उपसरपंच, जमकुंडा
⚠️ अब सवाल नहीं, जवाब चाहिए:
मोक्षधाम क्यों नहीं बना?
दो साल में टीन शेड क्यों नहीं लगा?
जिम्मेदार कौन है?
और क्यों आज भी छिंदवाड़ा के लोग मरने के बाद भी सरकार की बेरुखी का शिकार बन रहे हैं? अमित मिश्रा_ ब्यूरो छिंदवाड़ा
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