साहित्य किसी भी देश का दर्पण है । यही दर्पण अमेरिका में भारत दिखा रहा है। न्यू जर्सी अमेरिका शब्द अमिट है अमर है पीढ़ी दर पीढ़ी संचारित होते हैं। शब्द ब्रह्म है।
शब्द जब लेखनी से कागज़ पर उतारे जाते हैं तो साहित्य बन जाते हैं। किसी भी देश के इतिहास , संस्कृति ,परम्परा, रीति रिवाज , सामाजिक समरसता को हम इन्हीं पन्नों से जान सकते हैं।
भारत के साहित्य को सात समंदर पार अमेरिका में प्रचारित प्रसारित करने का कार्य यहां पचास साल पहले आए मूर्धन्य लेखकों ने बहुत ही विपरीत परिस्थिति में किया । सुभाष भाई शाह ने चालीस साल पहले गुजरात दर्पण साहित्य संस्था का निर्माण कर सभी नव युवा लेखकों को जोड़ा और अंग्रेजी जगत में हिंदी और गुजराती को स्थापित किया।
आज चंद्रकांत पटेल जी द्वारा लिखित स्वतंत्रता संग्राम में रास पुस्तक के विमोचन समारोह में अतिथि के रूप में आमंत्रित की गई थी । पुस्तक का विषय है कि किस तरह गुजरात के एक ग्राम रास से सरदार पटेल ने स्वतंत्रता संग्राम का बिगुल बजाया था। कई दिग्गज वरिष्ठ लेखकों से मुलाकात हुई । देश से बाहर निकल कर भी अपनी भाषा संस्कृति परम्परा को निभाते हुए आगामी पीढी को भी पूर्ण ज्ञान मिले इस हेतु कई किताबें लिखी जा रही हैं। गुजरात दर्पण पत्रिका भी प्रति माह कई लेखकों को स्थान प्रदान कर भाषा जगत में अपना योगदान दे रही है ।
विजय चौकसी, रमन भाई पटेल , कौशिक अमीन , कल्पेश शाह , मोहित शूरा नवनीत शाह प्रवीण शास्त्री , आदि वरिष्ठ लेखकों से सज्जित यह दिन शानदार रहा। शाम का समापन राजधानी रेस्टोरेंट में बेहद स्वादिष्ट गुजराती भोजन से हुआ । सभी ने सुभाष शाह जी को सुंदर आतिथ्य हेतु आभार व्यक्त किया। रिपोर्ट अनिल भंडारी







