सरवाड़/अजमेर
राजस्थान सरकार द्वारा आयोजित पंडित दीनदयाल उपाध्याय अंत्योदय संबल पखवाड़ा के अंतर्गत ग्राम पंचायत स्यार में आयोजित शिविर में ग्राम जतिपुरा के काश्तकारों का वर्षों से लंबित भूमि विवाद प्रशासन की सूझबूझ और संवेदनशीलता से मौके पर ही सुलझाया गया, जो एक प्रेरणादायक मिसाल बन गया।
खसरा संख्या 3 रकबा 1.13 हैक्टर वर्षों से पारिवारिक मतभेद व भूमि बंटवारे का विवाद चला आ रहा था। असमंजस के कारण न सीमाएं स्पष्ट थीं, न अधिकार।
शिविर में निम्नलिखित काश्तकारों ने आवेदन प्रस्तुत किया:-
1. रामकिशन/श्रीनारायण
2. रामेश्रवर/श्रीनारायण
इन काश्तकारों ने उपखंड अधिकारी गुरु प्रसाद तंवर को अवगत कराया कि वे बंटवारा चाहते हैं, लेकिन पारिवारिक विवादों के कारण यह वर्षों स लंबित था।
प्रशासन की त्वरित कार्यवाही
उपखंड अधिकारी ने तत्काल नायब तहसीलदार श्री राकेश कुमार को निर्देश दिए। उन्होंने मामले को प्राथमिकता देते हुए तहसीलदार सरवाड़ श्रीमती बंटी देवी राजपूत को अवगत कराया।
तहसीलदार महोदय के निर्देशन में, राजस्व विभाग की टीम ने मौके पर सभी काश्तकारों को बंटवारे के लाभों से अवगत कराया, जैसे:-
1. सीमाज्ञान की स्पष्टता
2. पत्थरगढी की सुविधा
3. बैंक ऋण लेने में सहूलियत
4. पारिवारिक विवाद का स्थायी समाधान
5. संतानों के लिए स्पष्ट उत्तराधिकार
परिणाम:-
1. विवाद का समाधान वर्षों पुराना विवाद समाप्त
2. न्याय की प्राप्तिरू सभी काश्तकारों को स्पष्ट स्वामित्व मिला
3. सामाजिक सौहार्द्र गांव में भाईचारे का वातावरण बना
4. सरकारी पहल की सराहना शासन और प्रशासन के प्रति विश्वास और सम्मान बढ़ा
काश्तकारों ने सरकार की इस योजना की भूरी-भूरी प्रशंसा करते हुए कहा कि यदि यह शिविर न होता, तो हमें अभी भी वर्षों तक दर-दर भटकना पड़ता। अब हमें न्याय मिला है और संतोष भी।
काश्तकारों ने कहा कि यदि यह शिविर न होता, तो उन्हें कार्यालयों के चक्कर काटने पड़ते। उन्होंने तहसील प्रशासन, शिविर प्रभारी एवं माननीय मुख्यमंत्री श्री भजनलाल शर्मा जी का धन्यवाद ज्ञापित किया और आग्रह किया कि ऐसे शिविरों का आयोजन नियमित रूप से किया जाए।
-ः निष्कर्ष:-
यह सफलता केवल भूमि के बंटवारे की नहीं, बल्कि यह न्याय, विश्वास और प्रशासनिक जवाबदेही की जीवंत तस्वीर है। यह शिविर एक नई सोच, अंतिम पंक्ति तक समाधान पहुँचाने की दिशा में एक प्रभावशाली कदम सिद्ध हुआ।
रिपोट: शिवशंकर वैष्णव
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