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बड़ा आयोजन बड़ा सवाल, एसईसीएल ढील रहा माल?

शहडोल मध्य प्रदेश

– डाॅ. कुमार विश्वास के कार्यक्रम के नाम पर वसूली का खेल

शहडोल/ धनपुरी।” देश के शीर्ष पंक्ति के कवियों में शुमार डॉ. कुमार विश्वास के बुढार आगमन और कार्यक्रम की प्रस्तुति निश्चित तौर पर पूरे शहडोल संभाग व क्षेत्र के लिए गर्व की बात है। इतना बड़ा आयोजन होगा तो गर्व तो होगा ही, लेकिन इस बड़े आयोजन को लेकरबड़े सवाल भी उठाए जा रहे थे, कि लाखों रुपए की लागत वाले इस आयोजन की व्यवस्थाआखिर कहां से कैसे और किसने की? ऐसा नहीं है कि बुढार या शहडोल जिला व संभाग में धनवान नहीं है एक से बढ़कर एक कुबेर पुत्र हैं, लेकिन वह सब अपने लिए हैं। सार्वजनिक तौर पर इतनी बड़ी रकम खर्च करना किसी के बूते की बात नहीं है। शायद इसीलिए सोशल मीडिया पर इस बड़े आयोजन पर बड़े सवाल उठाए जा रहे थे। तो लीजिए इसका जवाब खुद ब खुद सामने आता दिख रहा है। साउथ ईस्टर्न कोल फील्ड्स लिमिटेड के अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक ( सीएमडी ) प्रेम कुमार मिश्रा इस आयोजन में शिरकत करने के लिए बिलासपुर से सोहागपुर कोयलांचल मुख्यालय धनपुरी आ रहे हैं। क्षेत्र में यह चर्चा सरगर्म है कि सीएमडी के आने का सीधा अर्थ यही निकाला जा रहा है कि इस बड़े आयोजन में एसईसीएल की बड़ी भूमिका है और सीएसआर अथवा श्रमिकों के कल्याण हेतु खर्च की जाने वाली राशि का बड़ी बेदर्दी के साथ सत्यानाश किया जा रहा है। ”
जानकार सूत्रों का मानना है कि डॉ. कुमार विश्वास एक कार्यक्रम की प्रस्तुति का 30 लख रुपए से अधिक चार्ज करते हैं यही वजह है कि छोटे-मोटे स्थानों पर उनके कार्यक्रम नही हो पाते हैं। उनके ही जैसे चार और धुरंधर कवियों का आगमन हो रहा है उनके शुल्क का भुगतान, श्रोताओं के बैठने व मंच की व्यवस्था पर खर्च होने वाली राशि का अनुमान लगाया जाए तो यह पूरा कार्यक्रम एक करोड रुपए से अधिक का होता है। छोटा-मोटा कार्यक्रम तो आपस में चंदा एकत्र करके किया जा सकता है लेकिन इतने बड़े आयोजन के लिए जब तक बड़े दानदाता या प्रायोजक सामने न आएं तब तक ऐसे आयोजनों की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। बुढ़ार चूंकि सोहागपुर कोयलांचल मुख्यालय से लगा हुआ और लगभग उसी का एक हिस्सा है, इस कार्यक्रम के आयोजन का मतलब यही निकाला जा रहा है कि या तो कलारी अधिकारी-कर्मचारियों के वेतन से जबरिया चंदा वसूली कराई गई या फिर एसईसीएल द्वारा श्रमिक कल्याण मद में खर्च की जाने वाली राशि का दुरुपयोग किया गया है। दूसरे विकल्प की संभावना इसलिए अधिक है क्योंकि सोहागपुर कोयलांचल में व्याप्त समस्याओं और आवश्यक सुविधाओं के अभाव को देखकर सहज ही यह अनुमान लगाया जा सकता है कि श्रमिकों के कल्याण पर खर्च की जाने वाली राशि का कितना कहां कैसा उपयोग होता रहा है?
निरीक्षण दौरे के बहाने…
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार एसईसीएल के सोहागपुर एरिया वार्षिक 2024 कोयला टारगेट पूर्ण होने पर खदानों का दौरा करेंगे। सोहागपुर एरिया की सबसे बड़ी ओपन कास्ट खदान मेगा प्रोजेक्ट रामपुर बटुरा, राजेंद्र भूमिगत माइंस, दामिनी भूमिगत माइंस में सीएम मशीन लगने निरीक्षण करने एवं खैरहा माइंस मेंन राइडिंग की ओपनिंग को लेकर चर्चा हो रही है कि 19 एवं 20 जून को एसईसीएल के सीएमडी प्रेमसागर मिश्रा सोहागपुर एरिया खादरों का दौरा करेंगे।
निभा रहे पुराने संबंध

सीएमडी के आगमन की चर्चाओं के बीच खदानों में अंदर-बाहर साफ सफाई जोर-शोर से तैयारी की जा रही है। लेकिन स्पष्ट रूप से सीएमडी आगमन की जानकारी किसी के पास नहीं। सोहागपुर एरिया से सीएमडी साहब को बहुत लगाव देखा जाता है तीन दशक पहले अंडरग्राउंड माइन्स में राजेंद्रा, बंगवार चचाईभूमिगत मांइस में पदस्थ रहे पुराने समय के लम्हों को याद करते हैं और उन दिनों का चर्चा भी करते हैं। यह भी माना जाता है कि उप क्षेत्रीय प्रबंधक रहने के दौरान सोहागपुर कोयलांचल क्षेत्र के जितने भी कोयला व्यापारी वैध अवैध कारोबारी रहे उनसे उनके अच्छे संबंध रहे अब चूंकि वह सीएमडी के पद पर विराजमान हैं और वही पुराने कारोबारी अब बुढार धनपुरी के कुबेर पुत्र बन चुके हैं, इसलिए पुराने संबंधों की मजबूती के लिये अपने पदीय हैंसियत का दुरुपयोग कंपनी के धन की होली खेलने में क्या बुराई है।
मेन राइडिंग का शुभारंभ
सोहागपुर कोलांचल प्रबंधन से जुड़े लोगों की बातों पर यदि यकीन किया जाए तो काव्य रस वर्ष में आने के लिए सीएमडी द्वारा जो आधिकारिक कार्यक्रम बनाया गया है उसके मुताबिक सोहागपुर क्षेत्र अंतर्गत खैरहा मांइस में मेंन राइडिंग का शुभारंभ होगा इसके पहले राजेंद्रा भूमिगत खदान, बंगवार मांइस में विगत 5- 6 वर्ष पूर्व मेन राइडिंग सिस्टम लगाया गया जिससे कर्मचारियों कोयला फेस तक पहुंचने में एनर्जी बेस्ट नहीं होती कम समय पर कार्यस्थल तक पहुंच जाते हैं जिससे कोयला उत्पादन में बढ़ोतरी होती है। वही श्रमिकों को खदान के अंदर बाहर कार्यस्थल तक बहुत कम समय में आसानी से पहुंचकर कोयला वार्षिक उत्पादन बढ़ोतरी देखी जा रही है। सोहागपुर एरिया में यह सिस्टम प्रणाली पहले बंगवार में शुरू हुई फिर राजेंद्रा भूमिगत माइंस में अब खैरहा भूमिगत माइंस में शुरू किया जा रहा है। मेन राइडिंग व सीएम मशीन लगने से खदानों से सोहागपुर एरिया को करोड़ों का लाभ होता है वही टारगेट की पूर्ण कर लिया जाता है। सोहागपुर एरिया वार्षिक कोयला टारगेट 2024-25 64 लाख निर्धारित किया गया है जो पूर्व वर्ष से 6 लाख टन अधिक का दिया गया है सोहागपुर एरिया में सीएम मशीन, मेंन राइडिंग लगने से निश्चित ही कोयला टारगेट पूर्ण करने में सफल होंगे।

समस्याओं का अंबार बनाम काव्य रस फुहार

डॉ. कुमार विश्वास के कार्यक्रम यानी काव्य रस फुहार और सीएमडी के दौरे का कोई संबंध है भी या नहीं इस बात की पक्की जानकारी तो किसी के पास नहीं है लेकिन अटकल बाजियों का दौर दौरा जारी है। अनुमानों अटकलों की इस आंधी में जो बात सामने आ रही है उसके मुताबिक सोहागपुर कोयलांचल की विभिन्न खदानों में ऐसी बहुत सी समस्याएं हैं जिनका समाधान एरिया प्रबंधन और एसईसीएल नहीं कर पा रहा है। समस्याओं के अंबार के दौरान काव्य रस की फुहार में यदि सीएमडी डूबते हैं तो यह निश्चित रूप से एरिया के हजारों अधिकारी कर्मचारियों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ ही माना जा सकता है।
दस साल मे नहीं लगी लाइट
खैरहा मेन गेट से खदान कार्यस्थल पहुंच मार्ग पर आज तक लाइट की व्यवस्था नहीं हो सकी है, शायद आगे भी प्रकाश की व्यवस्था रोड पर दिखाई ना दे। बताया जाता है कि खैरहा खदान पहुंच मार्ग रोड के अलावा कालरी प्रबंधन के पास बिजली पोल गाड़ने के लिए जमीन नहीं है। रोड के अगल बगल किसानों की जमीन जहां खेती किसानी होती है ऐसे में बिजली पोल गाड़ने की व्यवस्था ना होने के चलते खदान खुलने के बाद से अभी तक रोड पर प्रकाश की व्यवस्था नहीं बन सकी है। प्रबंधन द्वारा और कोई ऐसी व्यवस्था नहीं बनाई गई जिससे नाइट शिफ्ट में कार्य करने वाले श्रम वीरों को परेशानी से बचाया जा सके। कंपनी बोर्ड के सदस्य खैरहा पहुंच मार्ग पर लाइट की व्यवस्था कब बनाएंगे जिससे नाइट शिफ्ट में चलने वाले कर्मचारियों को दुर्घटना के बच सके।
सडक विहीन अमलाई ओसीएम
अमलाई ओसीएम गेट से प्रबंधन कार्यालय तक के लिए सालो पूर्व टेंडर हुआ था जो किन्हीं कारणों से ठेकेदार के द्वारा कार्य नहीं किया गया और वर्षों से रोड विहीन सड़क चलने के लिए कर्मचारी विवश हैं अमलाई ओसीएम से हर बर्ष करोड़ों का प्रॉफिट होने के बाद भी रोड का निर्माण नहीं हो पा रहा है वर्षा के दिनों में मिट्टी की रोड पर चलने से छुटपुट दुर्घटनाएं आए दिन हो रही हैं। सड़क निर्माण कार्य के लिए नया प्रपोजल बनाकर भेजा गया था जो बिलासपुर कार्यालय में धूल खाती पडी है। सेफ्टी बोर्ड के सदस्य इस समस्या को नजरअंदाज क्यों कर रहे हैं।
बाउंड्री वॉल विहीन खदान
बाउंड्री बिहीन खदानों में आज दिन कोयला चोरी हो रही है वर्षों से बाउंड्री वॉल जर्जर टूटी हुई है प्रबंधन के द्वारा कई बार बाउंड्री वॉल सुधार करने के लिए बिलासपुर बाउंड्री का प्रपोज बनाकर भेजा गया लेकिन बाउंड्री वॉल का सुधार नहीं हुआ जिससे काफी मात्रा में कोयला चोरी आए दिन हो रही है खदान की सुरक्षा व्यवस्था सबसे बड़ी बाउंड्री वॉल होती है लेकिन खदान में सुरक्षा व्यवस्था के लिए बाउंड्री वॉल की रिपेयरिंग तक नहीं की जाती जगह-जगह बाउंड्री वॉल टूटी हुई है खदान की सेफ्टी कैसे होगी इस ओर सेफ्टी बोर्ड कब ध्यान देगी।

अरबों का मुनाफा, सुविधा शून्य

एसईसीएल सोहागपुर क्षेत्र अंतर्गत अमलाई ओसीएम, बंगवार भूमिगत माइंस, रामपुर बटुरा ओसीएम को खुले वर्षों हो गये। इन वर्षों में भूगर्भ से अरबों रुपए की काले हीरो की निकासी कर कंपनी मालामाल होती रही है, श्रमवीर अपनी जान की परवाह न करते हुए खून पसीना एक कर सैकड़ों फिट नीचे जमीन का सीना फाडकर काला हीरा निकालते है लेकिन उनके सुख सुविधाओं की ओर कोई देखने वाला नहीं है। सेफ्टी बोर्ड खदानों का दौरा कर औपचारिकता पूरा करने निकल जाते हैं श्रमवीरों की समस्याऐ ज्यो का त्यो बना रहता है।
हादसों की बाढ

श्रमवीरों को कार्यस्थल तक पहुंचने के लिये, एक चलने लायक अंधेरे से मुक्त मार्ग तक उपलब्ध नहीं करा सकी खदान खुलने के बाद से आज तक डेढ़ किलो मीटर लंबे , अमलाई ओसीएम,खैरहा पहुंच मार्ग में प्रकाश की व्यवस्था नहीं बनाई गई जिससे क्षेत्रीय ग्रामीणों के साथ ही नाइट शिफ्ट में काम करने वाले श्रमिक टूटी-फूटी, गड्ढे और कीचड़ युक्त रोड पर आवागमन करने और आए दिन अनचाही दुर्घटनाओं का शिकार बनने के लिये मजबूर हैं।

अजय पाल

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