इंदौर मध्य प्रदेश
इंदौर मध्य प्रदेश मुनिराज श्री ऋषभरत्नविजयजी ने श्रावक के बारह व्रतों के पालन करने के संबंध में प्रवचन दिए। 12 व्रतों में से कम से कम 1 व्रत को धारण करने की इच्छा रखने वाले को सबसे पहले मिथ्यात्व की कुबुद्धि का परित्याग एवं सम्यक्त्व की सुबुद्धि को अपनाना अनिवार्य है। 12 व्रत धारणा करने से पुण्य उपार्जन होता है, कर्मों की निर्जरा होती है, एवं अपनी सद्गति को सुरक्षित एवं सुनिश्चित कर सकते है। बारह व्रत का वर्णन निम्न है :-
(1) जानबूझ कर जीव हिंसा का त्याग, (2) बड़ा झूट बोलने का त्याग, (3) बड़ी चोरी का त्याग,
(4) ब्रह्मचर्य पालन, (5) धन, धान्य, समृद्धि की समय व संख्या की मर्यादा, (6) किसी भी दिशा में प्रवास की दूरी व समय की मर्यादा, (7) भोग-उपभोग की वस्तु के मर्यादा, पाँच महाविगई का त्याग, 22 अभक्ष्य एवं 32 अनंतकाय पदार्थों या जीतने हो सकें का त्याग, (8) अनर्थक पाप प्रवृत्ति का त्याग, (9) वर्षभर के लिये कुछ सामायिक/प्रतिक्रमण का नियम, (10) वर्ष में कम से कम एक या अधिक बार एकासने के साथ 10 सामायिक, (11) वर्ष में कम से कम एक या अधिक बार पौषध व्रत एवं (12) अतिथि संविभाग व्रत – उपवास युक्त पौषध कर एकासने से पारणा करना, सुपात्र दान करना यह न हो तो साधर्मिक को भोजन करवाकर वही भोजन स्वयं भी करें। बारह व्रतों में श्रावक की सुविधा एवं जीवन यापन की अनुकूलताओं का पूर्ण ध्यान रखा गया है। इसमें अनिवार्य पाप का निषेध नहीं है, अनावश्यक पाप से दूर रहने के उपाय बताए हैं एवं कभी व्रत का पालन न हो पाये तो उसके प्रायश्चित भी दिए गये हैं। सभी व्रतों को बनाए रखने के लिये विभिन उपाय एवं नियम भी दिए गये हैं जिससे बारह व्रतों का सरलता से पालन हो और कोई बाधा न आये।
मुनिवर का नीति वाक्य
“बारह व्रत करो धारण, मोक्ष में मिलेगा आसन”
राजेश जैन युवा ने बताया कि, यह बहुत हर्ष का विषय था कि 50 श्रावक/श्राविकाओं ने आज बारह व्रत का संकल्प विधि पूर्वक लेकर मोक्ष मार्ग प्रशस्त किया। जिनमे श्री दिलीप शाह, मुकेश पोरवाल, वीरेंद्र बम, विकास जैन एवं प्रमोद मेहता भी सम्मिलित हैं। सभी की बहुत बहुत अनुमोदना।
राजेश जैन युवा 94250-65959 रिपोर्ट अनिल भंडारी
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