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भ्रष्टाचार का दूसरा नाम सचिव महबूब खान, ग्राम पंचायत पटीराजा सरपंच, सचिव महबूब खान के द्वारा लगाए जा रहे हैं फर्जी बिल एक ही दिन और एक ही समय पर कौशल सिह के नाम पर लग गए 6 बिल जिसकी होना चाहिए जांच, कौशल सिह की दुकान की जी. एस .टी. की होना चाहिए जांच

कटनी | ग्राम पंचायत स्तर पर विकास कार्यों के लिए सरकार द्वारा करोड़ों रुपये की योजनाएँ चलाई जाती हैं। इन योजनाओं का उद्देश्य है ग्रामीण बस्तियों में सड़क, नाली, पेयजल, शौचालय, सामुदायिक भवन, तालाब जैसी आधारभूत सुविधाएँ विकसित करना। किंतु वास्तविकता यह है कि कई जगहों पर पंचायत प्रतिनिधि और सचिव की मिलीभगत से सरकारी धन का दुरुपयोग किया जा रहा है। जनपद पंचायत बहोरीबंद के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत पटीराजा का मामला इस बात का जीवंत उदाहरण है, जहाँ सचिव महबूब खान और सरपंच पर आरोप है कि दोनों ने मिलकर कौशल सिंह के नाम पर एक ही दिनांक और एक ही समय पर 6 फर्जी बिल लगा दिए। इन फर्जी बिलों के आधार पर धन आहरित कर लिया गया। यह घटना न केवल वित्तीय अनियमितता है बल्कि पंचायत व्यवस्था की साख को भी सवालों के घेरे में खड़ा करती है, उल्लेखनीय है कि पंचायत पटीराजा में योजनाओं के तहत कुछ कार्यों का भुगतान दिखाया गया। इन कार्यों के लिए एक ही दिनांक और एक ही समय पर 6 बिल तैयार किए गए। सभी बिलों में लाभार्थी या आपूर्तिकर्ता के रूप में कौशल सिंह का नाम अंकित किया गया। आश्चर्यजनक तथ्य यह रहा कि सभी बिलों पर हस्ताक्षर, मुहर और समय की एंट्री एक जैसी थी। सचिव महबूब खान ने इन बिलों को पास कर धन आहरण की प्रक्रिया पूरी कर दी।सरपंच की सहमति और मिलीभगत के बिना इतना बड़ा फर्जीवाड़ा संभव ही नहीं था।
फर्जीवाड़ा करने के लिए सोच रहे नई – नई तकनीकी पहलू
फर्जी बिल लगाने का यह खेल कोई नया नहीं है। अधिकांश मामलों में सचिव और सरपंच कुछ दुकानदारो या प्रभावशाली लोगों से मिलकर यह धांधली करते हैं। एक ही दिनांक और समय, किसी भी वास्तविक कार्य में बिल अलग-अलग तारीख पर बनते हैं। लेकिन जब फर्जीवाड़ा होता है तो सुविधा के लिए सभी बिल एक ही दिन तैयार कर दिए जाते हैं। एक ही व्यक्ति का नाम,कई कामों के लिए अलग-अलग आपूर्तिकर्ता होने चाहिए, लेकिन यहाँ कौशल सिंह के नाम का इस्तेमाल करके पूरा पैसा निकाल लिया गया। बैंक लेन-देन, रकम सीधे खाते से आहरित कर ली गई। बाद में यह पैसा अलग-अलग हिस्सों में बंटा होगा, जिसकी जांच होना जरूरी है।
सरपंच और सचिव की मिलीभगत
ग्राम पंचायत में सचिव सबसे बड़ा अधिकारी होता है, जबकि सरपंच जनता का निर्वाचित प्रतिनिधि। दोनों की जिम्मेदारी होती है कि किसी भी योजना का कार्य नियम अनुसार हो। लेकिन जब ये दोनों ही लाभ के लालच में एकजुट हो जाते हैं, तब सबसे बड़ा नुकसान ग्राम की जनता का होता है। सचिव महबूब खान ने पूरे प्रशासनिक तंत्र का दुरुपयोग करते हुए बिलों को पास किया।सरपंच ने इस प्रक्रिया को न केवल समर्थन दिया बल्कि हिस्सेदारी भी ली। पंचायत स्तर पर ऐसा भ्रष्टाचार तभी संभव होता है जब दोनों की आपसी मिलीभगत मजबूत हो।
क्या कहते हैं कानूनी प्रावधान
भारत में पंचायत अधिनियम और वित्तीय नियम स्पष्ट कहते हैं कि किसी भी भुगतान से पहले कार्य स्थल का निरीक्षण और सत्यापन अनिवार्य है।यदि कोई सचिव या सरपंच फर्जीवाड़ा करता है तो उसके खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज हो सकता है।भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत यह अपराध भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी की श्रेणी में आता है। दोषियों को जेल की सजा और वसूली दोनों का प्रावधान है।
🖋️ पुलिसवाला न्यूज़ कटनी से पारस गुप्ता की रिपोर्ट

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