रायपुर 06 जनवरी 2025
छत्तीसगढ़ में कन्या शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए गए हैं, लेकिन अभी भी चुनौतियाँ बरकरार हैं। लड़कियों के नामांकन में बढ़ोतरी के बावजूद स्कूल छोड़ने (ड्रॉपआउट) की समस्या, स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं की कमी और सामाजिक-आर्थिक कारणों से यह क्षेत्र कई मुद्दों से जूझ रहा है।
छत्तीसगढ़ में लड़कियों की स्कूल छोड़ने की दर राष्ट्रीय औसत से अधिक है। लड़कियों के ड्रॉपआउट का प्रतिशत 24% है, जो राज्य में कन्या शिक्षा के लिए एक बड़ी चुनौती है।
1. स्वच्छता और शौचालय की कमी: राज्य के लगभग 30% स्कूलों में लड़कियों के लिए अलग और स्वच्छ शौचालय नहीं हैं।मासिक धर्म के दौरान सुविधाओं की कमी और पानी की अनुपलब्धता के कारण लड़कियाँ स्कूल छोड़ने पर मजबूर हो जाती हैं।
2. सामाजिक कारण: बाल विवाह: ग्रामीण और आदिवासी इलाकों में कम उम्र में लड़कियों की शादी एक आम समस्या है।लिंग भेदभाव: समाज में लड़कियों की शिक्षा को लड़कों के मुकाबले कम प्राथमिकता दी जाती है।
3. आर्थिक दबाव: गरीबी और आर्थिक संकट के चलते लड़कियों को पढ़ाई छोड़कर घरेलू कार्यों और मजदूरी में लगाया जाता है।
4. सुरक्षा और परिवहन की समस्या: दूरस्थ क्षेत्रों में स्कूलों की दूरी और सुरक्षित परिवहन की कमी माता-पिता को लड़कियों को स्कूल भेजने से रोकती है।
5. शिक्षा की गुणवत्ता: कई स्कूलों में शिक्षक अनुपस्थित रहते हैं या पढ़ाई की गुणवत्ता खराब होती है, जिससे माता-पिता लड़कियों को पढ़ाने में रुचि नहीं लेते।
छत्तीसगढ़ राज्य में स्वच्छता और पानी की समस्या को हल करने के लिए छत्तीसगढ़ राज्य अक्षय ऊर्जा विकास अभिकरण (CREDA) ने कुछ वर्षों पहले एक महत्वपूर्ण योजना तैयार की थी। जिसके तहत स्कूलों के शौचालयों की मरम्मत कर वहां सौर पंपों की मदद से पानी ओवरहेड टैंक में स्टोर किया जाना था, जिससे शौचालयों में पाइप के माध्यम से नियमित पानी का प्रवाह हो सके।यह योजना स्कूलों में लड़कियों के लिए स्वच्छ और उपयोगी शौचालय उपलब्ध कराने के उद्देश्य से बनाई गई थी।पर शासन से स्वीकृति व धनराशि के अभाव के चलते यह योजना क्रियान्वित नहीं की जा सकी। यदि यह योजना लागू हो जाती, तो यह न केवल लड़कियों की स्कूल उपस्थिति बढ़ाने में मददगार होती, बल्कि शौचालयों की सफाई और पानी की समस्या का समाधान भी करती। हालाँकि राज्य और केंद्र सरकारें कन्या शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाओं और नीतियों पर काम कर रही हैं।
प्रमुख योजनाएँ और नीतियाँ:
1. मुख्यमंत्री कन्या छात्रवृत्ति योजना:
स्कूल जाने वाली लड़कियों को आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है।
2. साइकिल वितरण योजना:
दूरदराज के इलाकों में स्कूल जाने वाली छात्राओं को साइकिल दी जाती है।
3. मध्याह्न भोजन योजना:
स्कूलों में मुफ्त भोजन की व्यवस्था ने लड़कियों की स्कूल उपस्थिति को बढ़ावा दिया है।
4. आवासीय विद्यालय:
आदिवासी और दूरस्थ इलाकों में लड़कियों के लिए आवासीय विद्यालय खोले गए हैं।
5. स्वच्छ भारत मिशन:
इस योजना के तहत स्कूलों में शौचालय निर्माण का काम किया जा रहा है। हालांकि, अभी भी 30% स्कूलों में लड़कियों के लिए शौचालय की कमी है।
कन्या शिक्षा को बढ़ावा देने एवं ड्राप आउट छात्राओं को रोकने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए जा सकते हैं:
1. स्वच्छ शौचालयों का निर्माण और क्षतिग्रस्त शौचालयों का सुधार
2. जागरूकता अभियान: बाल विवाह, लिंग भेदभाव और मासिक धर्म से जुड़ी भ्रांतियों को दूर करने के लिए जागरूकता अभियान चलाए जाएँ।
3. सुरक्षित परिवहन: लड़कियों को स्कूल जाने के लिए मुफ्त और सुरक्षित परिवहन सुविधाएँ दी जाएँ।
4. शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार:
स्कूलों में शिक्षकों की नियमित उपस्थिति सुनिश्चित की जाए और शिक्षण स्तर को बेहतर बनाया जाए।
5.परिसरों में कन्याओं की सुरक्षा- आजकल शालाओं में छात्राओं के साथ दुर्व्यवहार व यौन अपराध लगातार बढ़ रहे हैं। छत्तीसगढ़ के कांकेर के झलियामारी एवं बलरामपुर जिले में आदिवासी छात्राओं के साथ ज्यादती के शर्मनाक प्रकरण हो चुके हैं। कुछ स्कूलों में शिक्षकों के शराब पीकर स्कूल आने और छात्राओं के साथ छेडछाड के प्रकरण भी हुए हैं। ऐसे में छात्राओं और उनके पालकों में शालाओं में बच्चियों की सुरक्षा की चिंता होना स्वाभाविक है। शासन को इस संबंध के कड़े कदम उठा कर छात्राओं की सुरक्षा सुनिश्चित करनी होगी ।
6. समुदाय की भागीदारी: पंचायतों और स्थानीय समुदायों को शौचालय निर्माण और रखरखाव में शामिल किया जाए।
छत्तीसगढ़ में कन्या शिक्षा को प्रोत्साहित करने के लिए कई प्रयास हो रहे हैं, लेकिन ड्रॉपआउट की समस्या और बुनियादी सुविधाओं की कमी बड़ी बाधाएँ हैं।लड़कियों की शिक्षा में निवेश केवल उनके अधिकारों की रक्षा नहीं करता, बल्कि यह समाज की आर्थिक और सामाजिक प्रगति का आधार भी बनता है। सरकार, समुदाय और परिवारों को मिलकर ऐसा वातावरण बनाना होगा, जहाँ हर लड़की अपनी शिक्षा पूरी कर सके।
( राजीव खरे ब्यूरो चीफ छत्तीसगढ़)
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