Policewala
Home Policewala चीन के आर्थिक विकास की धीमी गति और बढ़ते वित्तीय संकट का भारत व विश्व पर प्रभाव
Policewala

चीन के आर्थिक विकास की धीमी गति और बढ़ते वित्तीय संकट का भारत व विश्व पर प्रभाव

वेनेजुएला का चीन पर अत्यधिक निर्भरता का अनुभव दुनियाभर के लिए चेतावनी का सबक बन गया है। 2000 के दशक में ह्यूगो शावेज ने चीन से भारी निवेश और ऋण प्राप्त किया, जिससे प्रारंभिक लाभ हुआ। लेकिन जब 2010 के दशक में तेल की कीमतें गिरीं और चीन की मांग कम हुई, तो वेनेजुएला की अर्थव्यवस्था ध्वस्त हो गई। देश कर्ज के जाल में फंस गया और उसकी आर्थिक स्थिति इतनी बिगड़ गई कि जनता को बुनियादी आवश्यकताओं के लिए संघर्ष करना पड़ा।

चीन के विकास से लाभान्वित कई अन्य देश भी आज आर्थिक संकट का सामना कर रहे हैं। शी जिनपिंग के नेतृत्व में चीन की आर्थिक वृद्धि में कमी आई है और इसके परिणामस्वरूप, विकासशील देशों के साथ चीन के व्यापारिक संबंध भी कमजोर हुए हैं। चीन ने पिछले दशक में भारी ऋण दिया है, जिसमें से अधिकतर ऋण बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव (BRI) के तहत विभिन्न बुनियादी ढांचे की परियोजनाओं के लिए हैं। लेकिन चीन की धीमी होती अर्थव्यवस्था और संरक्षणवादी नीतियों के कारण यह स्थिति टिकाऊ नहीं रही।

चीन का ऋण देने का तरीका कई देशों के लिए समस्याग्रस्त साबित हुआ है। जांबिया और श्रीलंका जैसे देशों को चीनी ऋण के कारण गंभीर वित्तीय संकट का सामना करना पड़ा है। चीन की कर्ज देने की अपारदर्शी व्यवस्था और उसकी नीतियों ने वैश्विक आर्थिक प्रणाली को और अस्थिर कर दिया है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक ने चेतावनी दी है कि चीन से जुड़े कई देश अब ऋण संकट का सामना कर रहे हैं। यहां तक कि जर्मनी जैसे समृद्ध देश भी चीन पर अपनी निर्भरता के कारण आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। चीन का वैश्विक बाजारों पर दबदबा और उसकी संरक्षणवादी नीतियां दूसरे देशों के निर्माताओं के लिए भी गंभीर प्रतिस्पर्धा उत्पन्न कर रही हैं।

लेफ्टिनेंट कर्नल जे.एस. सोढ़ी के अनुसार, चीन अपनी इकोनॉमी के बारे में दुनिया को गुमराह कर रहा है, जिसमें उसने तीन ट्रिलियन डॉलर की रकम को अपने बहीखाते में नहीं दिखाया है। चीन का रक्षा बजट बढ़ाना इसके छिपे हुए धन का प्रमाण है। इसके अलावा, चीन में 64 मिलियन खाली घर हैं, जिन्हें “घोस्ट हाउस” कहा जाता है, और इनमें अमेरिका का पैसा लगा हुआ है। चीन अपने रिएल इस्टेट और निर्माण कंपनियों को दिवालिया दिखाकर अमेरिका का पैसा वापस नहीं करेगा। चीन के प्रमुख लक्ष्य ताइवान और अरुणाचल प्रदेश हैं, और वह इनके लिए हरसंभव प्रयास कर रहा है। चीन की बढ़ती सैन्य ताकत भारत के लिए एक बड़ी चुनौती है, और वह भारत को लैंड बॉर्डर और समुद्री रास्ते से घेरने की कोशिश कर रहा है। चीन के साथ व्यापार करने से उसकी सेना को और ताकत मिल रही है, और यह अमेरिका की गलती है कि उसने चीन के साथ व्यापार को बढ़ावा दिया।

पिछले कई वर्षों से चीन के साथ लगातार छलांगे लगाकर बढ़ता हुआ व्यापार घाटा भारत के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया था। चीन के बाजार तक भारत की अधिक पहुंच और अमेरिका व चीन के बीच चल रहे व्यापार युद्ध के कारण पिछले वर्ष भारत से चीन को निर्यात बढ़कर 18 अरब डॉलर पर पहुंच गया, जो वर्ष 2017-18 में 13 अरब डॉलर था। चीन की आर्थिक नीतियों और वैश्विक ऋण संकट से उत्पन्न स्थिति ने वैश्विक अर्थव्यवस्था में कमजोरी और अस्थिरता बढ़ा दी है। जब तक चीन अपनी नीतियों में सुधार नहीं करता, वैश्विक आर्थिक संकट की स्थितियां बनी रहेंगी।

( राजीव खरे अंतरराष्ट्रीय ब्यूरो)

Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles

बीजेपी साय सरकार का शराब महोत्सव

रायपुर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री सहित सभी मंत्रियों, सांसद एवं विधायकों के मुखौटे...

थाना माढोताल एवं गोसलपुर अंतर्गत हुई लूट का खुलासा, 4 आरोपी गिरफ्तार

जबलपुर मध्य प्रदेश मेंहगे शोक ने बना दिया लुटेरा, लूटे हुये वस्तु...

भारतीय जनता पार्टी बजरंग मंडल सरवाड़ ग्रामीण की बैठक आयोजित हुई

सरवाड़/ अजमेर * भारतीय जनता पार्टी बजरंग मंडल सरवाड़ ग्रामीण की बैठक...

ग्राम पंचायत प्राणपुर में राजस्व अभियान के तहत शिविर का हुआ आयोजन

चंदेरी। कलेक्टर श्री आदित्य सिंह के निर्देशानुसार प्रत्येक ग्राम में राजस्व शिविर...