किसानों के खेतों में दिखने लगी सांवा की फसल
मंडला जिला के विकास खंड मोहगांव में आत्मा योजना से किसानों ने सांवा का प्रदर्शन पहली बार सीडड्रिल से बुआई की फसल सांवा की किस्म वी एल मदिरा 207 फाउंडेशन बीज आर डी जाटव परियोजना संचालक आत्मा द्वारा जिले के 9 विकासखण्डों में वितरण किया गया
सांवा की फसल जिले से विलुप्त हो चुकी है सांवा में एंटीऑक्सीडेंट गुड़ भरपूर मात्रा में पाए जाते है
फसल निरीक्षण में सहायक संचालक उद्यानिकी शरणागत जी, वैज्ञानिक आर पी अहिरवार
की उपस्थिति में फसल का अवलोकन एवम किसानों से चर्चा की गई
सांवा फसल एक प्रकार की फसल है जो भारत में विशेष रूप से उगाई जाती है। यह एक प्रकार का अनाज है
सांवा फसल को कई नामों से जाना जाता है, जैसे कि ज्वार, गवारा, चोलम, और गोरिया।
सांवा फसल की विशेषताएं:
सांवा फसल एक दृढ़ फसल है जो सूखा और गर्मी सहन कर सकती है।
यह फसल कम वर्षा वाले क्षेत्रों में भी उगाई जा सकती है।
सांवा फसल का उपयोग रोटी, भाखरी, और अन्य व्यंजन बनाने के लिए किया जाता है।
यह फसल प्रोटीन, फाइबर, और विटामिन से भरपूर होती है।
सांवा फसल की खेती के लिए उपयुक्त क्षेत्र:
सांवा फसल की खेती भारत के अधिकांश हिस्सों में की जा सकती है, विशेष रूप से मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, और राजस्थान में।
यह फसल कम उपजाऊ जमीन में भी उगाई जा सकती है।
सांवा फसल के लिए उपयुक्त मौसम:
सांवा फसल की खेती के लिए गर्म और शुष्क मौसम उपयुक्त होता है।
इस फसल को उगाने के लिए तापमान 25-30 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए।
जिला संवाददाता :- फिरदौस खान ( मंडला )
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