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मुनिराज श्री ऋषभरत्नविजयजी ने बच्चों के लिये विशेष शिविर “वाद और स्वाद (आहार विचार) विषय पर अपने विचार व्यक्त किए।

इंदौर मध्य प्रदेश वाद का मतलब है बोलना एवं स्वाद से तात्पर्य है भोजन। जीभ एक है परंतु उसके दो कार्य हैं बोलना और खाना। जब भोजन शरीर के अंदर जाता है तब आवाज बाहर आती अर्थात् भोजन शरीर को शक्ति प्रदान करता तब बोल निकलता है। जीभ पर नियंत्रण होगा तो हम अनुचित भोजन एवं बोल से बच पायेंगे एवं जीवन सफल हो जायेगा। भोजन के संबंध में ध्यान देने योग्य बातें :-
1. भोजन कौन से द्रव्य का हो – न्याय एवं नीति से संपन्न एवं उपार्जित किये हुए धन से प्राप्त भोजन हमको सात्विक बनाता है।
2. भोजन किस समय करना – सूर्योदय के बाद एवं सूर्यास्त से पहले सूर्य की उपस्थिति में भोजन करना सर्वश्रेष्ठ होता है। शास्त्रों, वेदों, पुराणों एवं विज्ञान में रात्रि भोजन निषिद्ध है। दिन के समय नाभी एवं हृदय कमल खिले रहते हैं इसलिए पाचन क्रिया उत्तम रहती है।
3. भोजन क्यों करना चाहिये – शरीर को ऊर्जावान रखने एवं शक्तिमान बनाए रखने के लिये सात्विक भोजन किया जाता है। भोजन ही अच्छा भजन करवा सकता है।
4. कैसा भोजन करना – जयना से भोजन करना चाहिये एवं अभक्ष्य व जमीकंद का त्याग करना है।
5. भोजन किसके यहाँ का करना – दुष्ट, पापी, व्यभिचारी एवं हिंसक व्यक्ति के यहाँ भोजन न तो करना है न ही उसके हाथ से बना या परोसा गया भोजन करना चाहिए।
6. भोजन कौन से आसान से करना – भोजन हमेशा पालकी लगाकर सुखासन में करना चाहिए। भोजन कभी भी खड़े होकर नहीं करना है एवं जहाँ तक संभव हो डाइनिंग टेबल पर भोजन न करें। जानवर खड़े-खड़े भोजन करते हैं।
7. भोजन कैसे करना – भोजन शांत चित्त से पूर्व-उत्तर दिशा के तरफ मुख करके भोजन करना चाहिए। भोजन सक्ति/राग के भाव से नहीं करना है। ऐसा भोजन शरीर के लिये लाभप्रद होता है।
8. भोजन में क्या नहीं खाना चाहिए – कभी भी विरोधी स्वभाव की खाद्य सामग्री साथ-साथ नहीं खाना चाहिए जैसे दूध और मूंग, दूध और फल आदि।
9. भोजन किस पात्र में करना चाहिए – भोजन धातु के पात्रों जैसे सोना, चांदी, कांस्य, पीतल, तांबा एवं मिट्टी आदि में करना उत्तम है परंतु प्लास्टिक एवं डिस्पोज़ल आदि में भोजन नहीं करना चाहिए।
10. भोजन कितना करना – पेटभरकर भोजन नहीं करना है। पेट में हवा एवं पानी की जगह छोड़ कर भोजन लेना चाहिए। आकंठ भोजन कभी नहीं करना है।
11. भोजन में चार सफेद जहर का त्याग – मैदा, नामक, शक्कर एवं खार सफेद जहर माने जाते है।
मुनिवर ने कहा कि, जो भी व्यक्ति उक्त स्टेप्स का जीवन में ध्यान रखकर भोजन करता है वह कभी बीमार नहीं पड़ेगा एवं जीवन आनंदमय हो जायेगा। राजेश जैन युवा ने बताया की
मुनिवर का नीति वाक्य
“वाद एवं स्वाद दोनों पर रखो नियंत्रण खास”

दिलीप शाह ने जानकारी दी कि, आज बच्चों के लिये विशेष शिविर “वाद और स्वाद (आहार विचार) का आयोजन किया गया जिसमें इंदौर शहर की 9 जैन पाठशालाओं के सभी उम्र के बच्चों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया। विशिष्ठ अथितियों एवं बच्चों ने “आहार पर विचार” पर अपने विचार व्यक्त किये। शुद्ध एवं सात्विक आहार विषय पर बच्चों के द्वारा रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत किये। कार्यक्रम के अंत में प्रतिभागियों को पुरस्कार वितरण हुआ। प्रथम पुरस्कार श्री तिलकनगर जैन धार्मिक पाठशाला, द्वितीय पुरस्कार श्री अभयसागर की पाठशाला रेसकोर्स रोड, एवं तृतीय पुरस्कार अनुराग नगर पाठशाला, इंदौर ने जीता। लाभार्थी परिवार सुरेंद्र- अंगुरबाला अंकित खुशबू रौनक प्रिया गोलछा परिवार द्वारा सभी प्रतिभागियों को भी पुरस्कृत किया। सभी पाठशाला के बच्चों की प्रस्तुति खूब-खूब सराहनीय रही एवं सम्पूर्ण कार्यक्रम का सफल संचालन दिव्या शाह ने किया।
भवदीय
राजेश जैन युवा 94250-65959 रिपोर्ट अनिल भंडारी

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