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धैर्य परमात्मा का मार्ग है, अति शीघ्रता पतन की राह है मुनिराज श्री ऋषभरत्नविजय जी

इंदौर मध्य प्रदेश

मुनिराज श्री ऋषभरत्नविजयजी ने बताया कि, जीवन में सुवास भरना है परंतु हमने जीवन में कचरा भर रखा है। गुणों का आकर्षण होगा तब दोषों का विसर्जन होगा। हमेशा तुरंत फल प्राप्त हो एसी इच्छा रहती है। व्यवसाय में शीघ्र लाभ प्राप्त हो जाय, शीघ्र प्रसिद्धि मिल जाये। शीघ्रता के कारण परिवार, मित्र समाज सभी को बहुत पीछे छोड़ दिया है एवं हम एकांत के अंधेरे में अकेले खड़े हैं। शीघ्रता की सोच से धैर्य का गुण चला गया है। जो वस्तु जितनी शीघ्रता से आती उतनी ही शीघ्रता से चली भी जाती है। फास्ट फूड, फास्ट सक्सेस, फास्ट जर्नी एवं फास्ट कार्य के कारण बुरे कामों की अधिकता हो गई है एवं मस्तिष्क व स्वास्थ्य को क्षति पहुंच रही है। इतना फास्ट होने से टेंशन एवं अवसाद जीवन का अंग बन गये हैं एवं सहन शक्ति कम होती जा रही है। अपेक्षित परिणाम न आने पर अक्सर आत्महत्या की घटनायें घटित हो रही है। जिस तरह जीवन में फास्ट चीजें चाहिये तो धर्म भी फास्ट होना चाहिए।
कष्ट आदि बड़ गये है जिनको सहने करने के लिये मनुष्य में सशक्त सहनशक्ति का होना आवश्यक है क्योंकि शरीर कमजोर हो तो चल जायेगा परंतु मन कमजोर नहीं होना चाहिए। मन मज़बूत है तो कठिन से कठिन कार्य सरलता से संपन्न हो सकता है। सहन करने से व्यक्तित्व में निखार आ सकता है एवं दुःखों पर विजय प्राप्त करने की शक्ति आ जाती है। धैर्य लाख दुःखों की एक दवा है।
परमात्मा तक पहुँचना है तो अहंकार का कठोर कवच उतारना पड़ेगा जैसे नारियल की गिरी प्राप्त करना है तो उसके कठोर भाग को तोड़ना पड़ता है। उसका पानी नकारात्मक सोच है जो सकारात्मक गिरी का रूप धारण कर लेता है। साधना जितनी फास्ट होगी लाभ भी फास्ट प्राप्त होंगे। सहन शक्ति अपने साथ शांति, सौहार्द, करुणा एवं प्रेम की चौकड़ी साथ में लाती है जिनके माध्यम से कल्याण के रास्ते पर चला जा सकता है।
मुनिवर का नीति वाक्य
“‘समझ शक्ति ही सहन शक्ति में वृद्धि करती है”
श्री दिलीप शाह ने सूचना दी कि, कल 15/10/23 रविवार को प्रातः 9 बजे अनंतलब्धिनिधान श्री गौतमस्वामीजी की महापूजन का आयोजन प्रेमसूरी आराधना भवन, तिलकनगर में किया गया है जिसके विधिकारक हर्षद भाई एवं महावीर भाई जैन है। इस कार्यक्रम के लाभार्थी अशोक कुमार, शांतिलाल, ललित कुमार संघवी परिवार है।

रिपोर्ट- अनिल भंडारी

 

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