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श्री तिलकेश्वर पार्श्वनाथ तीर्थ धार्मिक पारमार्थिक सार्वजनिक न्यास एवं श्री संघ ट्रस्ट इंदौर


इंदौर मध्य प्रदेश आचार्य श्री वीररत्नसूरीश्वरजी म.सा. एवं आचार्य श्री पद्मभूषणरत्न सूरीश्वरजी म.सा. आदिठाणा 22 का
स्वर्णिम चातुर्मास वर्ष 2023 दिनांक – 08/09/2023

असीमित तृष्णा एवं अस्थिर मन निश्चित नियति के अधीन हैं
मुनिराज श्री ऋषभरत्नविजयजी ने प्रवचन में बताया कि, आत्मा पर लगे कुसंस्कार को हटाने एवं सुसंस्कार पाने के लिये धर्म आराधना करना आवश्यक है। जीवन नाशवान है व मन चंचल है। जैसे-जैसे आगे की ओर अग्रसर होंगे जीवन में रुकावटें एवं विघ्न आयेंगे ऐसे समय व्यक्ति दृढ़ धर्म करता है तो उसका मोक्ष निश्चित है। संसार की वास्तविकता से रूबरू करवाने वाले चार निम्न तथ्य हैं :-
1. सतत कम होती (आयु) : आयुष लगातार कम होती जाती है और इसको बढ़ाने का उपाय/साधन इस संसार में उपलब्ध नहीं है। यह इस लोक का अटल सत्य है।
2. सतत बढ़ती (तृष्णा) : तृष्णा एक ऐसी वस्तु है जो हमेशा बढ़ती है। लाभ के साथ लोभ बढ़ता है जो कर्म बंध का कारण है फिर यह दुःख में परिवर्तित हो जाता है। हमारे पास जो भी धन-संपत्ति है वह इसी संसार में छूट जायेगी। मन में तृष्णा का गड्ढ़ा इतना गहरा है कि वह कभी भरता नहीं है और मनुष्य भटकता रहता है।
3. सतत बढ़े और घटे (मन) : मन बढ़ता एवं घटता भी है। मन को लगने वाला अच्छा स्वरूप जब तक बना हुआ है तब तक मन का मोह बढ़ता है और जैसे ही उसका स्वरूप बदला मन का मोह कम होने लगेगा। मन से जीव कर्म का क्षय करता है तो कर्म बंध भी करता है। मन आत्मा के साथ जुड़ा है वह आत्मा को सुखी भी करता है एवं दुखी भी करता है।
4. अपरिवर्तनशील (नियति) : नियति निश्चित है जो न घटती है और न ही बढ़ती है। ज्ञानी के ज्ञान में लिखा न तो कम होता है न अधिक मतलब वह स्थिर है। जिसको “नियति” कहते हैं। अर्थात जो होना है वह होगा ही । सभी प्राकृतिक घटनाक्रम “नियति” का उदाहरण हैं। जैसा पाप कर्म किया है वैसा ही वापस आएगा यह भी निश्चित है।
यदि व्यक्ति उपरोक्त चारों यथार्थता को ध्यान में रखकर जीवन निर्वाह करेगा तो कभी दुःख नहीं होगा। परंतु अमरता की मृगतृष्णा मनुष्य के दुःखों का कारण बन गई है।
मुनिवर का नीति वाक्य
“‘नियति का मान और तृष्णा का बलिदान, मन बन जायेगा महान” राजेश जैन युवा ने आगामी 12 सितंबर से प्रारंभ होने वाले पर्युषण महापर्व के संबंध में जानकारियाँ दीं। इस बार आचार्य भगवंत श्रीमद् विजय पद्मभूषणरत्नसूरीश्वरजी म.सा. की शुभ निश्रा में यह महापर्व उत्साह से मनाया जायेगा।
राजेश जैन युवा 94250-65959 रिपोर्ट अनिल भंडारी

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