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माता सिंपल बेन शाह ने 30 उपवास कर अपने दीक्षार्थी पुत्ररत्न परम पूज्य श्री शौर्यरत्नविजयजी म.सा. के 36 उपवास किया वधामणा

इंदौर मध्य

 

प्रदेश परम पूज्य श्री शौर्यरत्नविजयजी म.सा. के 36 उपवास एवं सिंपलबेन शाह के 30 उपवास की पूर्णाहुति का महा महोत्सव का हुआ शुभारम्भ
इंदौर के तिलकेश्वर पार्श्वनाथ तीर्थ, तिलकनगर में प.पू. आचार्य भगवंत श्रीमद् विजय वीररत्नसूरीश्वरजी महाराजा एवं आचार्य भगवंत श्रीमद विजय पद्मभूषणरत्नसूरीश्वरजी के नूतन शिष्य मुनिराज श्री शौर्यरत्नविजयजी म.सा.(18 वर्ष) ने 36 उपवास की उग्र तपस्या (केवल गर्म जल के आधार पर) की है उन्होंने दीक्षा के समय अपने गुरु जो की 36 गुण के धारक है उनके निमित्त तपस्या करने का वचन अपने गुरुदेव को दीक्षा के समय दिया था। उनका 36 उपवास का उग्र तप का वंदन एवं वधामणा कार्यक्रम हज़ारो लोगो की उपस्तिथि में प्रारम्भ हुआ। सूरत के प्रसिद्द संगीतकार मोन्टुभाई ने अपनी अलौकिक छवि में पूरे समा को बांधे रखा। लाभार्थी समिति के कोषाध्यक्ष श्री कमलजी – चंद्ररेखाजी फुलेचा का सम्मान किया गया। उपरोक्त अवसर पर सरल साध्वी प्रवरा श्री विजयप्रभाश्रीजी एवं भक्तिरेखाश्रीजी म.सा. सहित कुल 22 ठाणा महाराज साहब मौजूद थे। सभी को 7 महानुभाव द्वारा प्रभावनाए वितरित की गई।

मुनिराज श्री ऋषभरत्नविजयजी ने तप की महिमा बताते हुए कहा कि, हम सभी को दान, शील, तप एवं भाव धर्म की एक अद्भुत परंपरा प्राप्त हुई है। सद्कार्यों के योगों से सफलता का फल प्राप्त होता है। दान दिया हुआ कभी निष्फल नहीं होता, शील पालन जीवन में चमत्कारों से कम नहीं है, तप निकाचित एवं अनिकाचित कर्मों को तोड़ देता है एवं भाव धर्म से परमात्मा तक पहुंचा जा सकता है। सुख चाहिये यह सभी की आंतरिक इच्छा होती है परंतु सुख ऐसे ही नहीं मिलता है इसके लिये जितना त्याग उतना सुख है, इसलिये परमात्मा ने त्याग का मार्ग बताया है। श्री शौर्यरत्नविजयजी म.सा.ने छोटी उम्र में दीक्षा का ‘पराक्रम’ किया और उसके चार माह में ही मासक्षमन का ‘शौर्य’ किया है। त्यागी मुनिराज श्री शौर्यरत्नविजयजी म.सा.ने अपने संक्षिप्त उद्बोधन में तप कि महिमा उदाहरण देकर बतायी। सागर में जल नदियों से आता है फिर भी उसमें बाढ़ नहीं आती क्योंकि गर्मी की कारण वाष्पीकरण होकर जल निर्मल हो जाता है ठीक इसी तरह हमारा जीवन सागर समान है जहाँ पाप पुण्य की नदियों का जल आता है और त्याग व तप से पाप वाष्प बन कर उड़ जाता हैं।

आज 3 अगस्त को निकलेगा भव्य वरघोड़ा प्रातः 8 बजे तिलक नगर से महावीर नगर तक।
शौर्यरत्नविजयजी एवं उनकी सांसारिक माताजी के महामृत्यंजय जप का भव्य पारणा महोत्सव हेतु कल सुसज्जित डोली एवं बैंड-बाजे के साथ प्रातः 8 बजे तिलक नगर उपाश्रय से वरघोड़ा प्रारम्भ होगा जिसमे श्रीमद विजय पद्मभूषणरत्नसूरीश्वरजी महाराजा एवं ऋषभरत्नविजयजी म.सा. एवं साध्वी वर्या श्री विजयप्रभाश्रीजी एवं भक्तिरेखाश्रीजी म.सा. सहित साधु साध्वी भगवंत के 22 ठाणा और हज़ारो धर्मालुजन शरीक होंगे और कमल – चंद्ररेखा फुलेचा के निवास स्थान 59, महावीर नगर पर पहुंचेगा। वहाँ पर सकल श्रीसंघ की नवकारसी का आयोजन होगा। सम्पूर्ण कार्यक्रम में युवा वर्ग के रवि बांठिया, राजेंद्र चत्तर, विकास जैन, अक्षय मोंटू कोठारी, चंदू डागा, चिंटू रांका, गोलू कोठारी, राहुल कोठारी, सुरेश कोठारी विशेष रूप से उपस्थित रहेंगे।

 

रिपोर्ट अनिल भंडारी

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