Policewala
Home Policewala थांदला से श्यामा ताहेड़ हो सकते है भाजपा के संभावित प्रत्याषी
Policewala

थांदला से श्यामा ताहेड़ हो सकते है भाजपा के संभावित प्रत्याषी

भाजपा नये नजरे पर लगायेगी दाव, ताहेड़ की सौम्य छबी दिला सकती है टिकट

थांदला , मध्यप्रदेश
अजय लछेटा

2023 के विधानसभा चुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी थांदला में नये चेहरे की तलाष कर रही है। कारण यहां टिकट के लिए जिस तरह से भाजपाईयों में द्वंद चल रहा है, उससे पार्टी संगठन पुराने चेहरों की बजाये नये कार्यकर्ता को आगे लाने का मन बना रहा है। टिकट की इस लड़ाई में पार्टी शांत और सरल उम्मीदवार के रूप में श्यामा ताहेड़ को मौका दे कर सबको अचम्भित कर सकती है।
ष्फिल्हाल ष्यामा ताहेड़ भाजपा में किसी भी गुटबाजी में शामिल नहीं है, यहीं उनकी टिकट की दावेदारी को मजबूत भी कर रहा है। थांदला विधानसभा से टिकट के आर्धा दर्जन दावेदारों पर गुटबाजी में शामिल होने का तमगा लगा हुआ है, तो कुछ पर परिवारवाद को आगे बढ़ाने का आरोप। भाजपा के पास इस विधानसभा में श्यामा ताहेड एक ऐसे नेता है जो पार्टी की गुटीय राजनीति से निकालकर भाजपा को जीत दिलाने का मादा रखते हैं। ताहेड़ 2008 से भाजपा के साथ सक्रिय भूमिका में काम कर रहे हैं। उच्च षिक्षित होने के साथ-साथ ताहेड़ को मेघनगर-थांदला में भाजपा की साफ-सुधरी छबि और सरल व्यक्तित्व के जनजाति नेता के रूप में जाना जाता है। ताहेड़ भाजपा की ओर से वर्तमान कांग्रेस विधायक विरसिंह भूूरिया का तोड़ भी माने जा रहे हैं, क्यांेंकि भूरिया को भी उनकी सरलता के कारण जनता पंसद करती हैं, यहीं गुण श्यामा ताहेड़ में भी है। ताहेड़ ने 27 सालांे तक षिक्षक के रूप में सेवाएं दी जिससे उनके समाज में उनके शैक्षणिक योगदान का लाभ भी भाजपा को मिल सकता है।
पूर्व जिला महामंत्री रह चुके हैं
2008 में स्वैछिक सेवानिवृत्ति के बाद श्यामा ताहेड़ भाजपा की रीति-नीति से प्रभावित हो कर पार्टी के सक्रिय कार्यकर्ता केे रूप मंे काम करत रहे हैं। अंचल में सामाजिक कुरूतियों के खिलाफ मुखर होकर काम करने ,सनातन संस्कृति के सरंक्षण के आवाज बुलन्द करने और आदिवासी सभ्यता के लिए मुखर हो कर अपनी बात हर मंच पर रखने में ताहेड़ को कोई सानी नहीं है। वे भीली भाषा में ग्रामीणजनों के बीच अपने धर्म-संस्कृति- और आदिवासी सभ्यता की महानता को बता कर उस पर गर्व करने के लिए समाज को प्रोत्साहित करते रहे हैं। इन्हीं सामाजिक कामों की बतौलत भारतीय जनता पार्टी ने 2013 से 2018 तक ताहेड़ को जिला महामंत्री का बनाक उनके संगठनात्मक प्रभाव का लाभ लिया।
आदिवासी संगठनांे में ताहेड़ की सक्रिय भूमिका
श्यामा ताहेड़ ने राजनैतिक जीवन की शुरूआत भाजपा से करने के साथ अलग-अलग सामाजिक संगठनों में अपनी पैठ भी बना कर रखी हैं। ताहेड़ जन जागृति मंच में जिला संयोजक, आदिवासी भील भगत समाज के संस्थापक, वनवासी कल्याण परिषद मध्य भारत प्रांत के उपाध्यक्ष , वनवासी कल्याण आश्रम जैसी संस्थाओं से जुड़े ओर अहम पदों पर रहते हुये सामाजिक उत्थान केे लिए काम कर रहे हैं। ताहेड़ डिलिस्टिंग अभियान से भी जुडे ओर करीब 70000 हजार लोगों के हस्ताक्षर वाले ज्ञापन को तत्कालीन राज्यपाल को सौप कर मंतातरित हो चुके लोगांे के विरूद्ध चलाये गये अभियान में सक्रिय भूमिका में रहे। वर्तमान में वे जनजाति जागृति मंच के जिला संयोजक की भूमिका में ताहेड़ में नषामुक्ति, दहेज दापा अषिक्षा को लेकर सामाजिक बदलाव लाने में अहम भूमिका निभा रहे हैं।
बेटियों को बनाया जज और एयर होस्टेज
अपनी दो बेटियों उस दौर में उच्च षिक्षित किया जब आदिवासी समाज में बेटियों को स्कुली षिक्षा पूरी करने के लिए भी जद्दोजहद करना पड़ती थी। बेटियों की षिक्षा में कई सामाजिक अवरोध भी आये मगर श्यामा ताहेड़ ने सामाजिक बंन्धनों को तोड़ते हुये अपनी बेटियों को खुब बढ़ाया, और उच्च षिक्षा की दिलाई। इसी षिक्षा की बदौलत उनकी एक बेटी न्यायाधीष तो दुसरी एयर होस्टेज बन कर अपने माता-पिता का नाम रोषन कर रही है। संभवतयाः ताहेड़ दम्पत्ति जिले के ऐसे पहले दम्पत्ति है जिनकी दोनों बेटीयों इतने बड़े औहदे पर कार्यरत् है जबकि ताहेड़ आज भी अपने पुष्तैनी गांव काजली डुंगरी में अपनी परिवार के साथ ही रहते हैं। श्याता ताहेड ने ना सिर्फ अपनी बच्चिायों को षिक्षा के लिए प्रेरित किया अपितु वे अपने गृह क्षेत्र में रहकर कई बच्चियों को उच्च षिक्षा के लिए प्रोत्साहित करने का काम कई सालों से कर रहे है।
पत्नी का लड़ाया चुनाव ओर जितवाया
श्यामा ताहेड़ ने अपनी पत्नी देवली परमार को वर्ष 2014 में हुये त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव में जिला पंचायत के वार्ड का चुनाव लड़ाया। भाजपा समर्थित उम्मीदवार के रूप में जिला पंचायत वार्ड क्रमांक 10 का चुनाव जीत कर कांग्रेस के इस गढ़ में सेंध लगा दी जिससे उनकी राजनैतिक पहचान भोपाल तक बनी। श्यामा ताहेड़ आदिवासी समुदाय के अच्छे और सुलझे हुये जनप्रतिनिध के रूप में माने जाते है। उनका रहन-सहन, बोली ,अदब और समाज के सभी वर्गो को प्रभावित करता है। ताहेड़ का आदिवासी समुदाय के साथ पिछड़ा वर्ग सामान्य वर्ग के साथ भी सामंज्य स्थापित च मैदान में उतार सकती है।

Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Recent Posts

Categories

Related Articles

खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी

चंदेरी अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद इकाई चंदेरी द्वारा रानी लक्ष्मीबाई जयंती के...

इंदौर के धोबी घाट पर धोबी समाज के लोगों की हुई बैठक हिंदूवादी भी हुए शामिल

इंदौर मध्य प्रदेश इंदौर के महापौर द्वारा धोबी घाट पर क़र्बला कमेटी...