राष्ट्रीय ब्यूरो
रायपुर
जिन्हें 1983 क्रिकेट विश्व कप फ़ाइनल की याद है वो कभी बलविंदर सिंह संधू की उस खूबसूरत इन स्विंग पर गार्डन ग्रीनिज के बोल्ड होने को भूल नहीं सकते, जिसने भारत की उस ऐतिहासिक जीत की नींव रखी थी। बलविंदर सिंह संधू की उस गेंद को ग्रीनिज ने आउट स्विंग समझ कर छोड़ दिया था पर वह गेंद इन स्विंग निकली और ग्रीनिज की गिल्लियां ले उड़ी।
विश्व टेस्ट क्रिकेट चैंपियनशिप के फ़ाइनल में कुछ ऐसा ही वाक़या हुआ । बोलैंड की गेंद को शुभमन गिल ने आउट स्विंग समझ कर छोड़ दिया और वह इन स्विंग गिल के आफ और मिडिल स्टंप को ले उड़ी।
पहले दो दिनों के खेल में भारत की ग़लतियाँ उजागर होती रहीं। टास जीत कर गेंदबाज़ी चुनना कप्तान रोहित शर्मा की गलती थी आस्ट्रेलिया ने एक बहुत बड़ा स्कोर बना डाला। भारतीय गेंदबाज़ पहली पारी में साधारण लगे विशेषकर उमेश यादव । यहाँ चयनकर्ताओं की गलती भी दिखी क्योंकि जो खिलाड़ी आईपीएल में अनफ़िट था उसे चयनकर्ताओं ने विश्व टेस्ट क्रिकेट चैंपियनशिप के फ़ाइनल के लिये चुन लिया । ऊपर से चयनकर्ताओं ने यह भी नहीं सोचा कि इंग्लैंड में गेंद लहराती है तो बेहतर होता यदि स्विंग बालर्स चुने जाते। 1983 क्रिकेट विश्व कप की टीम के चयनकर्ताओं ने इस बात का ध्यान रखा था और यही कारण था कि हमारे साधारण से लग रहे मध्यम तेज गेंदबाज़ों विशेषकर रोज़र बिन्नी और मदनलाल ने अपनी लहराती स्विंग गेंदों से चमत्कार कर दिया।
टीम चयन में फ़िटनेस एक बहुत बड़ा फ़ैक्टर होता है पर आमतौर पर हमारे चयनकर्ता इस पर ध्यान नहीं रख पाते । खिलाड़ी भी चयन के लिये अपनी चोट छिपाते हैं पर आईपीएल में साफ़ पता लग रहा था कि फ़िटनेस की क्या हालत है। हमारे सितारा खिलाड़ी भले ही फार्म में न हों ऊपर से कुछ अनफ़िट भी हों, पर टीम की शोभा बढ़ाते रहते हैं और इससे नए उदीयमान अच्छे खिलाड़ी टीम में आ ही नहीं पाते।
बहरहाल मैच कोई भी जीते या हारे, अभी मुख्य विषय थी वह गेंद जिसने 40 साल पुरानी यादें ताज़ा कर दीं जिसने भारतीय टीम को विश्व कप जिताने और भारतीय क्रिकेट के स्वर्ण युग की नींव रखी थी।
( राजीव खरे स्टेट ब्यूरो चीफ़ छत्तीसगढ़ एवं राष्ट्रीय उप संपादक)
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