छत्तीसगढ़
कांकेर 23 जनवरी 2025
छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले के आमाबेड़ा तहसील स्थित मानकोट गांव में बुनियादी सुविधाओं का अभाव एक बड़ी समस्या बन चुका है। गांव में बिजली, सड़क और साफ पेयजल जैसी आवश्यक सेवाओं की कमी से ग्रामीणों की जिंदगी अत्यधिक कठिन हो गई है। लगभग 60 परिवारों की आबादी वाले इस गांव में मूलभूत आवश्यकताओं के अभाव ने सरकारी योजनाओं और ग्रामीण विकास की सच्चाई को उजागर किया है।
आजादी के 75 वर्षों बाद भी मानकोट गांव में बिजली नहीं पहुंची है। ग्रामीण हर बार चुनाव के दौरान आश्वासन सुनते हैं, लेकिन बिजली की रोशनी आज तक गांव में नहीं पहुंच पाई। बच्चे टॉर्च की रोशनी में पढ़ाई करने को मजबूर हैं। वहीं, मोबाइल चार्जिंग और अन्य इलेक्ट्रॉनिक जरूरतों के लिए लोगों को दूसरे गांवों तक जाना पड़ता है।
भारत सरकार ने 2005 में राष्ट्रीय ग्रामीण विद्युतीकरण योजना (RGGVY) और 2015 में दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना (DDUGJY) के तहत हर गांव और घर को बिजली पहुंचाने का लक्ष्य रखा था। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 2018 तक देश के 100% गांवों में बिजली पहुंच चुकी थी, लेकिन हकीकत यह है कि छत्तीसगढ़ जैसे कई राज्यों के दुर्गम इलाकों में यह दावा पूरी तरह सत्य नहीं है। 2021 के ग्रामीण विद्युतीकरण आंकड़ों के अनुसार, छत्तीसगढ़ के 2.8% गांव अभी भी बिजली से वंचित हैं।
मानकोट गांव तक पहुंचने के लिए ग्रामीणों ने श्रमदान से पांच किलोमीटर लंबी कच्ची सड़क बनाई है। लेकिन बारिश के मौसम में यह सड़क बह जाती है, जिससे गांव मुख्यधारा से कट जाता है। इसके कारण बीमार व्यक्तियों को अस्पताल ले जाने के लिए खाट पर ढोना पड़ता है।
गांव में पीने के पानी की स्थिति और भी दयनीय है। ग्रामीण कुएं और झीरिया का उपयोग कर रहे हैं, लेकिन गर्मियों में यह स्रोत भी सूख जाते हैं। नल-जल योजना के तहत 2020 में गांव में पानी टंकी और पाइपलाइन बिछाई गई थी। इसके लिए लगभग 80 लाख रुपये खर्च किए गए, लेकिन इस परियोजना का लाभ केवल कुछ ही परिवारों को मिला।
गांववालों ने कई बार जिला प्रशासन को इन समस्याओं के बारे में अवगत कराया, लेकिन अब तक किसी ठोस समाधान की पहल नहीं हुई। जिला पंचायत के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हरेश मंडावी ने कहा कि यह मामला उनके संज्ञान में है। चुनावी आचार संहिता समाप्त होते ही विकास कार्यों को प्राथमिकता दी जाएगी।
छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में जहां सरकारें आदिवासी और पिछड़े क्षेत्रों के विकास पर जोर देने की बात करती हैं, वहां मानकोट जैसे गांव आज भी विकास की रोशनी से वंचित हैं। ग्रामीणों को उम्मीद है कि प्रशासन जल्द ही उनकी समस्याओं का समाधान करेगा, ताकि आने वाली पीढ़ी को बेहतर सुविधाएं मिल सकें।
मानकोट गांव की यह स्थिति सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में कमी और प्रशासनिक उदासीनता की ओर इशारा करती है। जरूरत है कि विकास योजनाओं को जमीनी स्तर पर लागू किया जाए, ताकि देश के हर गांव को सही मायनों में “आत्मनिर्भर भारत” का हिस्सा बनाया जा सके।
( राजीव खरे ब्यूरो चीफ़ छत्तीसगढ़ )
Leave a comment