Policewala
Home क्षेत्रीय खबर “बच्चों की कब्र बनते बोरवेल: प्रशासनिक लापरवाही और हमारी जिम्मेदारी”
क्षेत्रीय खबर

“बच्चों की कब्र बनते बोरवेल: प्रशासनिक लापरवाही और हमारी जिम्मेदारी”

भारत में खुले बोरवेल में बच्चों के गिरने की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं, जिनमें कई बार उनकी मृत्यु भी हो जाती है। इन घटनाओं के बावजूद, संबंधित विभागों के अधिकारी बोरवेलों को सुरक्षित करने में लापरवाही बरतते हैं, जिससे ऐसी दुर्घटनाएं बार-बार घटित होती हैं।

ताज़ा कुछ उदाहरण ये हैं- (1) मध्य प्रदेश, गुना (दिसंबर 2024): 10 वर्षीय सुमित अपने गांव पिपल्या में खेलते समय 140 फीट गहरे खुले बोरवेल में गिर गया। 12 घंटे के रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद उसे बाहर निकाला गया, लेकिन अस्पताल में उसे मृत घोषित कर दिया गया। (2) राजस्थान, कोटपूतली (दिसंबर 2024): 3 वर्षीय चेतना अपने पिता के खेत में खेलते समय 150 फीट गहरे बोरवेल में गिर गई। लगभग 10 दिनों के बचाव प्रयासों के बाद उसे बाहर निकाला गया, लेकिन तब तक उसकी मृत्यु हो चुकी थी ( 3) राजस्थान, दौसा (दिसंबर 2024): 5 वर्षीय मासूम बच्चा बोरवेल में गिर गया। बचाव कार्य जारी है, लेकिन ऐसी घटनाएं प्रशासन की लापरवाही को उजागर करती हैं।

इन घटनाओं के बाद भी, संबंधित विभागों के अधिकारी बोरवेलों को कवर करने और सुरक्षा मानकों का पालन सुनिश्चित करने में विफल रहे हैं। यह आपराधिक लापरवाही का स्पष्ट उदाहरण है, क्योंकि उनकी जिम्मेदारी है कि वे ऐसे हादसों को रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाएं। भारतीय दंड संहिता की धारा 304ए के तहत, यदि किसी व्यक्ति की लापरवाही से किसी की मृत्यु होती है, तो वह आपराधिक कृत्य माना जाता है। बावजूद इसके, बोरवेल हादसों में जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ शायद ही कोई कठोर कार्रवाई होती है, जिससे उनकी जवाबदेही पर सवाल उठते हैं।

इस समस्या के समाधान के लिये कई कदम उठाए जाने ज़रूरी हैं (1) सख्त नियमों का पालन: बोरवेल खुदाई के बाद उन्हें तुरंत कवर करना अनिवार्य किया जाए, और इसका उल्लंघन करने वालों पर कठोर दंड लगाया जाए।(2) निगरानी और निरीक्षण:स्थानीय प्रशासन को नियमित रूप से क्षेत्रों का निरीक्षण करना चाहिए ताकि खुले बोरवेल की पहचान कर उन्हें बंद किया जा सके। (3) जनजागरूकता ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को बोरवेल की सुरक्षा के प्रति जागरूक किया जाए, ताकि वे स्वयं भी सतर्क रहें और बच्चों को ऐसे स्थानों से दूर रखें। (4) तकनीकी समाधान:बोरवेल में गिरने की घटनाओं को रोकने के लिए आधुनिक तकनीकों का उपयोग किया जा सकता है, जैसे कि बोरवेल कवर पर सेंसर लगाना, जो किसी भी अनधिकृत पहुंच की सूचना तुरंत दे सके।

बोरवेल में बच्चों के गिरने की घटनाएं न केवल प्रशासनिक लापरवाही को दर्शाती हैं, बल्कि समाज के प्रति हमारी जिम्मेदारियों की भी याद दिलाती हैं। यदि संबंधित विभागीय अधिकारी और समाज मिलकर इन समस्याओं का समाधान नहीं करते, तो भविष्य में भी ऐसी दुखद घटनाएं होती रहेंगी। समय की मांग है कि हम सभी मिलकर इन हादसों को रोकने के लिए ठोस कदम उठाएं और बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करें।

इन घटनाओं की गंभीरता को समझते हुए, हमें तत्काल प्रभाव से बोरवेल सुरक्षा मानकों को लागू करना चाहिए और संबंधित अधिकारियों की जवाबदेही तय करनी चाहिए, ताकि भविष्य में ऐसी त्रासदियों से बचा जा सके।

( राजीव खरे ब्यूरो चीफ छत्तीसगढ़)

Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles

ध्यान कार्यक्रम के माध्यम से किया जा रहा है, पुलिसकर्मियों के बेहतर स्वास्थ व तनावमुक्ति के प्रयास।

इंदौर मध्य प्रदेशहार्टफुलनेस संस्था के सौजन्य से, पुलिसकर्मियों को सिखाई जा रही...

मैहर में सनसनीखेज वारदात! पारिवारिक विवाद में चली गोली, एक की मौत

मैहर मध्य प्रदेश थाना प्रभारी रामनगर द्वारा मौके पर पहुंचकर पूछताछ की...

सीमेंट कैप्सूल गाड़ी की मोटरसाइकिल के सामने की टक्कर से दो की मौत एक घायल

मंडला नारायणगंज जनपद पंचायत नारायणगंज के अंतर्गत ग्राम पंचायत भावल के पास...