राष्ट्रीय समाचार
नई दिल्ली
9 अगस्त 2020 को पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, और राजस्थान के किसानों ने तीन विवादास्पद कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन शुरू किया। इसके परिणामस्वरूप, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नवंबर 2021 में इन कानूनों को वापस लेने की घोषणा की, जिसके बाद किसानों ने 11 दिसंबर 2021 को अपना आंदोलन समाप्त कर दिया। हालांकि, सरकार द्वारा किसानों से किए गए वादे पूरे न होने पर, किसानों ने फिर से दिल्ली कूच करने की घोषणा की। अब आंदोलन का दूसरा चरण जारी है, और शंभू बार्डर पर धरना 200 दिनों से चल रहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने 12 अगस्त को पंजाब और हरियाणा सरकार को आंशिक रूप से बार्डर खोलने का निर्देश दिया, लेकिन 21 और 25 अगस्त की बैठकों के बाद भी समाधान नहीं निकल सका। किसान नेताओं का कहना है कि बार्डर सरकार द्वारा लगाए गए बैरिकेड्स की वजह से बंद है और उनकी मांगें सीधे केंद्र सरकार से संबंधित हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए एक बहुसदस्यीय समिति गठित करने की घोषणा की है। वहीं, आंदोलन के दौरान 26 किसानों की मौत और किसानों की आत्महत्याएं जारी हैं, जिससे स्थिति और गंभीर हो गई है। इसके साथ ही, कंगना रनौत के विवादास्पद बयान से स्थिति और तनावपूर्ण हो गई है।
किसानों के धरने से उनकी ऊर्जा और समय का नुकसान हो रहा है, साथ ही क्षेत्रवासियों को भी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। यदि सरकार इस मुद्दे को शीघ्रता से सुलझा लेती है, तो सभी पक्षों का भला होगा, और आने वाले चुनावों में सरकार को भी इसका लाभ मिल सकता है।
( राजीव खरे राष्ट्रीय उप संपादक)
Leave a comment