रायपुर
कम से कम मुझे तो ऐसा नहीं लगता । भारतीय क्रिकेट टीम में इतने स्टार खिलाड़ी हैं , कि शायद ही वो कोच की परवाह करते होंगे । फिर राहुल द्रविड़, निःसंदेह वो अपने समय के बेहतरीन खिलाड़ी रहे हैं। पर सामान्यतः जैसे एक टापर अच्छा शिक्षक नहीं होता, वैसे ही द्रविड़ कैसे कोच होंगे यह कहा नहीं जा सकता।हर बड़े टूर्नामेंट के फ़ाइनल में हारना भी यही इंगित करता है। रवि शास्त्री तो फिर भी कुछ करते दिख जाते थे ( एक फ़ोटो में उनकी कुर्सी के नीचे बोतल की फ़ोटो भी वायरल हुई थी हालाँकि यह बात अलग है कि वह बोतल फोटोशाप से जोड़ी गई थी) पर द्रविड़ से यह उम्मीद भी नहीं की जा सकती।
ऊपर से हमारे स्टार खिलाड़ी क्या स्पान्सर के अलावा किसी की सुनते हैं? रोहित शर्मा के पुल शाट पर आउट होने पर महान सुनील गावस्कर ने उन्हें टोका था , तो रोहित ने उन्हें टका सा जवाब दे दिया था। तो द्रविड़ क्यों अपनी फ़ज़ीहत कराऐंगे ।
अब करें कोचिंग की बात – हम अगर गौर करें तो रोहित शर्मा बहुत सारे मैच में वो 35-40 रन पर आउट होते रहे हैं। लगभग एक से पैटर्न पर। 30 रन के बाद एक छक्का लगाकर अति उत्साह जिसे शायद लापरवाही कहना बेहतर होगा , दूसरा छक्का मारने के चक्कर में आउट हो जाते हैं। भारतीय कप्तान जो ओपनर भी हो का काम वन डे और टेस्ट में सिर्फ़ ताबड़तोड़ 35-40 रन बनाना नहीं है। इसी चक्कर में हम विश्व कप फ़ाइनल और इंग्लैंड के खिलाफ पहला टेस्ट हार चुके हैं।
ग़ौरतलब यह भी है कि विश्व कप में फ़ाइनल के पहले भी उनका खेलने का तरीक़ा वैसा ही था। पर जीत रहे थे तो कोई कुछ कह नहीं रहा था। पर आस्ट्रेलिया के कोच नादान तो नहीं हैं , वो जानते थे कि रोहित कैसे आउट होंगे । एक योजना के तहत मैक्सवेल से बालिंग करवाई गई, रोहित ने एक छक्का लगाया और फिर दूसरा छक्का मारने के चक्कर में आउट हो गए। पर जो बात आस्ट्रेलियन कोच समझ गए वो राहुल द्रविड़ क्यों नहीं समझ पाए, या फिर समझ कर भी रोहित से नहीं बोले कि कहीं गावस्कर जैसी फ़ज़ीहत न हो जाए।
इति श्री भारतीय क्रिकेट कोचम् कथा।
( राजीव खरे राष्ट्रीय ब्यूरो)
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