राष्ट्रीय ब्यूरो
साइंस फ्रिकशन और हॉलीवुड फ़िल्मों में हवा में उड़ते इंसान की दिखाई जाने वाली कल्पना के बजाय वास्तविकता में भारतीय सेना के जवान जल्द ही जेटपैक सूट पहनकर उड़ते नजर आएंगे, इसके लिये सेना ने 48 जेटपैक सूट ख़रीदने की तैयारी आरंभ कर दी है।
जैसा नाम से ही पता चलता है कि जेट पैक सूट पहनकर इंसान जेट की तरह बन जाता है । ये जेट पैक सूट गैस टरबाइन इंजन पर चलते हैं, पर इन्हें जेट फ्यूल से भी चलाया जा सकता है। इसे पहनकर सैनिक 50 किलोमीटर प्रति घंटे तक की रफ्तार से हवा में 10 से 15 मीटर ऊपर तक उड़ सकते हैं । इनमें लगी टरबाइन 1000 हार्सपावर की शक्ति उत्पन्न करती हैं । इनका कंट्रोल हाथों में ही होता है ताकि इसकी दिशा, गति, टेकआफ और लैंडिंग बहुत ही आसान और सैनिकों के लिये सुविधाजनक रहे। ये जेट पैक सूट किसी भी मौसम में काम कर सकते हैं। खास तौर पर अंतरराष्ट्रीय सीमाओं पर निगरानी में ये सूट बहुत काम आ सकते हैं, जहां इन्हें पहन कर हवा में उड़ते हुए सैनिक दुश्मनों व सीमाओं की निगरानी, पहाड़ों, नदियों को पार कर, घने जंगलों में भी बेहतर ढंग से आसानी से कर सकते हैं।
हालाँकि अभी बने सूट से सैनिक सिर्फ़ उड़ सकते हैं क्योंकि इसे दोनों हाथों से कंट्रोल करना पड़ता है और उड़ते समय उनके लिये किसी पर हमला करना कठिन होता है पर भारतीय सेना इसमें बदलाव करके हमला करने की क्षमता के साथ ये सूट तैयार करवा रही है।
भारतीय सेना चाहती है कि जेटपैक का वजन 40 किलो से कम और वह 80 किलो वजन लेकर कम से कम 8-10 मिनट उड़ सके। साथ ही आधुनिक टरबाइन से यह इलेक्ट्रिक या फिर हाईब्रिड तकनीक पर कार्य कर सके।याने इनकी टरबाइन बैटरी, गैस, पेट्रोल, डीज़ल या कैरोसिन से भी चल सके। ये जेट पैक सूट कम से कम -10 से -15 और ज़्यादा से ज़्यादा 40 से 45 डिग्री के तापमान में आसानी से चलाए जा सकें। सेना ने इस सूट की शेल्फ लाइफ़ न्यूनतम 10 साल चाही है। सेना को जो जेट पैक सूट चाहिए वो समतल, रेगिस्तान, नदी, पहाड़ और हाई ऑलटेट्यूड एरिया में 3000 मीटर की ऊंचाई तक आसानी से ऑपरेट कर सकने वाले चाहिए।
सेना ने 60 फीसदी स्वदेशी जेटपैक सूट की माँग की है। विश्व बाजार में इस सूट की कीमत 3 से 4 करोड़ है पर स्वदेशी होने के बाद इसकी क़ीमत कम होती जाएगी । कुछ स्वदेशी कंपनियां भी इसी तरह के जेट पैक सूट तैयार करने में लग गई हैं । बेंगलुरु में हल में ही हुए एक शो एयरो इंडिया में भी एक स्वदेशी कंपनी ने ऐसे ही जेट पैक सूट का प्रदर्शन किया है।
वर्तमान में इन जेटसूट को मात्र एक ही कंपनी ग्रैविटी इंडस्ट्री बना रही है जो कि यूके में है। अभी कुछ माह पहले ही ग्रैविटी इंडस्ट्री के सीईओ रिचर्ड ब्राउनिंग ने नो कॉस्ट नो कमिटमेंट के तहत दुनिया भर के कुछ विकसित देशों के साथ भारत में भी एंटी ग्रैविटी सूट पहनकर आगरा में तकनीक के प्रदर्शन हेतु उड़ान भरी थी । इसमें सेना के अधिकारी और अन्य स्टेक होलडर्स भी शामिल थे । पश्चिमी देशों में भी इसके ट्रायल जारी हैं और वहाँ की सेना इन जेट पैक सूट पर रिसर्च कर रही हैं, जिसमें अमेरिका और यूनाइटेड किंगडम भी शामिल हैं। यूके मरीन ने इसी ग्रैविटी सूट से चलती स्पीड बोट से क्वीन एलिज़ाबेथ एयरक्राफ्ट कैरियर के चारों ओर चक्कर लगाने का एक वीडियो भी जारी किया है।
सैन्य ताकत के मामले में भारत का नाम दुनिया के सबसे ताकतवर देशों में शुमार है । हमारी सेना खुद को अत्याधुनिक हथियारों और तकनीकों के माध्यम से लगातार अपग्रेड कर रही है ।भारतीय सेना इस जेट पैक सूट को अपनी जरूरत बता चुकी है, इससे जवानों को मोबिलाइज करना बहुत आसान हो जाएगा क्योंकि इसे पहन कर सैनिक एक जगह से दूसरी जगह तक बिना किसी वाहन के पहुंच सकेंगे। हैलीकाप्टर से मोबलाइज करना कई बार बहुत ख़तरनाक होता है । इसी दिशा में अब मोबालाइज करना आसान कर सेना के जवान जेट पैक सूट से लैस होकर हवा में उड़ते हुए गश्ती करते और जरूरत पड़ी तो स्ट्राइक के लिए भी इनका इस्तेमाल करते दिखाई देंगे । हालाँकि अभी भारत ने इनके प्रोक्योरमेंट के लिये 60% स्वदेशी सूट की माँग रखी है पर सरकार की योजना है कि जल्द ही भविष्य में भारत में इनका निर्माण भी आरंभ किया जा सके। ग़ौरतलब है कि अभी तक युद्ध के हथियारों का व्यवसाय चंद विकसित देशों की मिल्कियत थी पर मल्टी बिलियन डालर के इस व्यापार में भारत बहुत तेज़ी से ऐंट्री ले चुका है और विश्व शांति के लिये विश्वशक्ति बनना बहुत ज़रूरी है।
( राजीव खरे राष्ट्रीय उप संपादक)
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