छत्तीसगढ़
रायपुर
हिंदू समाज में श्राद्ध का बहुत महत्व है । श्राद्ध करने के पीछे यह विश्वास होता है कि हम अपने पूर्वजों को याद कर रहे हैं, याने श्राद्ध लोगों के हृदय में पूर्वजों को याद रखने का एक माध्यम है, जो उनके द्वारा किए गए कार्य याद दिलाता है। ऐसी मान्यता है कि सर्वपितृ अमावस्या पर यदि सही विधि से पितरों का तर्पण और पिंडदान किया जाए तो पितरों की आत्मा को शांति मिलती है।
यह माना जाता है कि देवताओं की कन्या मानसी, ‘अच्छोदा’ के नाम से एक नदी के रूप में अवस्थित हुई थी। उसने अपने पितृगण की याद में एक हजार वर्ष तक तपस्या की जिससे प्रसन्न होकर देवताओं के पितृगण उसे वरदान देने के लिए आश्विन अमावस्या के दिन उपस्थित हुए। और उन्होने अच्छोदा की तपस्या प्रसन्न होकर वरदान दिया कि इस अमावस्या की तिथि को जो भी तर्पण और श्राद्ध करता है तो वह पितरों को तृप्त कर सकता है। उसी दिन से इस अमावस्या तिथि को हिंदू धर्म में बहुत महत्व दिया जाता है इस तिथि को सर्वपितृ श्राद्ध के नाम से जाना जाता है।
14 अक्टूबर दिन शनिवार को सर्व पितृ अमावस्या को रायपुर के सफायर ग्रीन निवासी 98 वर्षीय अवध नारायण सिंह अपने पुत्र कमलापति सिंह अपने पोते अखिलेश सिंह एवं परपोता 10 वर्षीय आदित्य राजे सिंह के साथ चार पीढ़ी एक साथ आज पितरों को जल समर्पित कर पूजा पाठ विधि विधान के साथ संपन्न कियाl इस अवसर पर आदित्य राजे के 98 वर्षीय परदादा अवध नारायण सिंह जी ने बताया धर्मशास्त्रों के अनुसार पितृ को पिण्डदान करने से दीर्घायु, पुत्र-पौत्रादि, यश, स्वर्ग, लक्ष्मी, धन-धान्य, समृद्धि, सौभाग्य तथा मोक्ष की प्राप्ति होती है।
( रायपुर ब्यूरो)
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