इंदौर मध्य प्रदेश
मुनिराज श्री ऋषभरत्नविजयजी ने बताया परमात्मा का बहुत परम उपकार है कि उनके शासन में ज्ञान प्राप्त कर रहे है। जिनशासन में सुख दुःख की बाते जान सकते है। आपको जो निराकरण चाहिए वह भी मिल जायगा। हमको किसी भी प्रकार जानकारी की आवश्यकता हो तो गूगल वेबसाइट खोलते हैं परंतु परमात्मा केवलज्ञान से सब कुछ दिखता हैं और सब खुला है कोई खोज की आवश्यकता नहीं है, प्रश्न करो समाधान मिल जायगा। जीवन में आपने क्या खोया और क्या पाया यह विचार किया क्या? यदि साधना की है तो पाया है अन्यथा खोया है। जो खोया है वह आपकी नादानी है और जो पाया वह प्रभु की मेहरबानी है।
‘क्रम बद्ध पर्याय’ अर्थात जो होने वाला है या होना निश्चित है उसको कोई नहीं रोक सकता है। परमात्मा की प्रकृति भी इसी पर्याय की तरह होती है। प्रभु को हानि के संबंध में भी पता होता है परंतु वे भी उस हानि को नहीं टालते क्योंकि जो होना है वह होकर रहेगा। । आगम शास्त्रों से जीवन चर्या के चमत्कारिक समाधान एवं दिशा प्राप्त हो सकती है क्योंकि उनमें सभी प्रकार के समाधान बताए गए हैं जिनको Magical Solution, Magical Spirit, Magical Satisfaction, Magical Site एवं Magical Sense कहते हैं। (1) शास्त्रों में हमारे सवालों के स्पष्ट समाधान मौजूद है, (2) जब हम डिप्रेशन में हों तो यह शास्त्र के उत्साह में वृद्धि कारक होते हैं, (3) इन शास्त्रों से आत्म संतोष मिल सकता है, (4) जीवन की सही दिशा आगम शास्त्रों से मिल सकती है एवं (5) इन शास्त्रों से जीवन में सही निर्णय ले सको ऐसा ज्ञान भी मिल जाता है
मुनिवर का नीति वाक्य
“‘बैर परम्परा भव परम्परा बढ़ाती है”
राजेश जैन युवा ने जानकारी दी कि दिनाँक 8 अक्टूबर, रविवार प्रातः 9.30 बजे आचारंग सूत्र की सरल वाचना का आयोजन तिलकेश्वर पार्श्वनाथ प्रेमसूरी आराधना भवन में किया गया है। इस कार्यक्रम के लाभार्थी श्रीमती शकुंतलबेन सुराना परिवार है एवं आयोजक पार्श्व मुक्ति युवा मंच है। यह वाचना मुनिवर श्री तीर्थंकररत्नजी म.सा. द्वारा की जावेगी।
राजेश जैन युवा 94250-65959
रिपोर्ट- अनिल भंडारी
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