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दिगंबर जैन समाज के पर्युषण पर्व के शुरू होने के पहले महापर्व के स्वागत के लिए….125 वर्ष प्राचीन भगवान पारसनाथजी की प्रतिमा के समक्ष सम्मेद शिखरजी विधान किया

इंदौर मध्य प्रदेश
राजस्थान स्थित श्री महावीरजी तीर्थ के प्रख्यात संगीतकार सोनू भैया ने प्रस्तुति देकर सभी को भक्ति रंग में रंगा दिया
इंदौर। दिगंबर जैन समाज के पर्युषण महापर्व की शुरुआत 19 सितंबर से होगी। महापर्व के स्वागत के लिए दिगंबर जैन सोशल ग्रुप एकता द्वारा आज 17 सितंबर रविवार को सम्मेद शिखरजी विधान का आयोजन किया गया।
ये जानकारी देते हुए दिगंबर जैन सोशल ग्रुप एकता के सचिव विकास पांड्या, संस्थापक अध्यक्ष राहुल सेठी और सयोंजक पंकिल जैन ने बताया की संगीतमय सम्मेद शिखरजी विधान छावनी स्थित दिगंबर जैन पारसनाथ मंदिर, बड़ी नसियाजी में किया गया। विधानचार्य पंडित योगेन्द्र काला थे। विधान सुबह 9 बजे से दोपहर 1 बजे तक चला। शुरुआत में सुबह 8 बजे श्रीजी के अभिषेक और शांतिधारा हुई। यह मंदिर बहुत प्राचीन है, मंदिरजी में श्री 1008 पारसनाथजी भगवान जी की प्रतिमा 125 वर्ष प्राचीन है। ये प्रतिमा काले पाषाण की है। प्रभु की इसी अतिशयकारी प्रतिमा के समक्ष ही ग्रुप सदस्यों द्वारा विधान किया गया। विधान के लिए विशेष रूप से राजस्थान स्थित श्री महावीरजी तीर्थ क्षेत्र के प्रख्यात संगीतकार सोनू भैया और उनकी टीम इंदौर आये और उन्होंने ही विधान में भजनों की प्रस्तुति देकर सभी की भक्ति रंग में किया। विधान के सौधर्म इन्द्र संजय राजुल जी जैन, कुबेर इन्द्र अशोक अर्चना पाटनी, माहेंद्र इंद्र राजेश ममता बज, ईशान इंद्र वीरेंद्र मोनिका काला , यज्ञनायक रमेश मंजू जैन(आरोन वाले), जयेश अंकिता झांझरी सनतकुमार इंद्र, प्रमुख इंद्राणी अलका स्व ऋषभकुमार, दीपक निधि जैन, राजेश आरती जैन इंद्र इंद्राणी सहित कुल 8 मुख्य पात्र बनाए गये थे। उन्होंने मुकुट-माला पहनकर भक्ति की थी।
आकर्षण का केंद्र रहा मंडलजी
कोषाध्यक्ष सलोनी जैन, मार्गदर्शक पूजा कासलीवाल और महासचिव सोनम जैन अभिनंदन ने बताया की विधान के लिए विशेष रूप से मण्डलजी की रचना करवाई गई थी। थर्माकॉल का शिखरजी का पर्वत बनाया गया था। सभी मुख्य इंद्र-इंद्राणी द्वारा उसी पर्वत पर विधान के समय अर्घ चढ़ाये गये। ये पर्वत तीन बाय तीन का बनाया गया था, जो की आकर्षण का केंद्र रहा। रिपोर्ट अनिल भंडारी

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