प्रभुपाल चौहान
गाजीपुर जिला कारागार का बैरक नंबर 10 अफजाल अंसारी का ठिकाना बन गया है। इससे कई कहानियां भी जुड़ी है। ब्रिटिश हुकूमत में यह विश्राम स्थल था। तो जरायम की दुनिया में यहीं से अंसारी बंधुओं का सिक्का चलता था यह उनका पुराना ठिकाना है। अभी बैरक के पास निश्चित चबूतरे पर मुख्तार अंसारी की चौपाल लगती थी तो सियासत से लेकर पूर्वांचल में अपराध का ताना-बाना भी यहीं से तैयार होता था। गैंगस्टर एक्ट में सजा होने पर करीब 15 -16 वर्ष बाद अफजाल अंसारी पुनः सजा काटने के लिए इसी बैरक में पहुंचे है।
माफिया मुख्तार अंसारी इसी बैरक में बंद था। और उस दौर में यही से पूर्वांचल में अपराध से लेकर राजनीति तक हर पहलुओं का संचालन किया करता था। यही नहीं जेल में रहते हुए भी उसने 29 नवंबर 2005 को मोहम्मदाबाद के विधायक सहित अन्य की निर्मम हत्या करवाई।
गाजीपुर जिला जेल में अफजाल अंसारी सारी रात करवटें बदलते रहे। सामान्य बंदियों की तरह रोटी सब्जी, हल्का चावल दाल खाया। जमीन पर सोए। सुबह 5:30 बजे बैरक खुली तो नियमित दिनचर्या में जुटे, चाय पिया और नाश्ता भी किया। उसके बाद अपने आप को गैरत नहीं रखा। जेल प्रशासन ने निगरानी बढ़ा दी है।
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