संवाददाता – बिरेश शुक्ला
लोकेशन- रीवा
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*पूर्व राष्ट्रीय राजमार्ग 27 या मौत का मार्ग? — गढ़ से गंगेव तक सड़क की दुर्दशा पर अधिकारियों की चुप्पी शर्मनाक
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रीवा। जिला मुख्यालय से करीब 50 किलोमीटर दूर स्थित पूर्व राष्ट्रीय राजमार्ग-27 अब सड़क नहीं, बल्कि लोगों की मजबूरी और प्रशासन की लापरवाही का प्रतीक बन गया है। इस मार्ग पर चलना ऐसा लगता है जैसे कोई नाले या खाई में वाहन दौड़ा रहा हो। हर दिन सैकड़ों लोग जान जोखिम में डालकर इस रास्ते से गुजरते हैं, लेकिन ना जनप्रतिनिधियों को चिंता है, ना विभागों को शर्म।
गढ़ ग्राम पंचायत, जो जनपद पंचायत गंगेव की सबसे बड़ी और प्रमुख पंचायतों में से एक है, वहां के नागरिक वर्षों से सड़क निर्माण की गुहार लगा रहे हैं। 2018 से लेकर 2025 तक न तो सड़क बनी, न नालियां, न ही जल निकासी की कोई व्यवस्था। बरसात आते ही यह मार्ग दलदल बन जाता है और गर्मियों में धूल का गुबार उड़ा देता है।
🚫 जिम्मेदारों की चुप्पी – जनता का रोष
स्थानीय लोगों ने बताया कि बार-बार आवेदन देने और शिकायतें करने के बावजूद PWD (लोक निर्माण विभाग) और राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) के अधिकारी हर बार “शीघ्र कार्यवाही होगी” कहकर टाल देते हैं।
ना विधायक ध्यान दे रहे, ना सांसद, और स्थानीय प्रशासन तो मानो आंखें मूंदे बैठा है।
ग्रामवासियों का कहना है कि —
> “यह वही गढ़ है, जिसने हर चुनाव में भाजपा को भारी बहुमत दिया।
लेकिन अब लगता है कि हमारा गढ़ उनकी प्राथमिकता में नहीं है।
जहां ताकतवर नेताओं का प्रभाव है — मनगवा, रायपुर, सोहागी, कटरा — वहां बाईपास, नालियां, सुंदर सड़कें बन गईं।
लेकिन हमारे हिस्से आई सिर्फ धूल, गड्ढे और लापरवाही।”
⚠️ दुर्घटनाओं का सिलसिला – जिम्मेदारी कौन लेगा?
स्थानीय लोगों ने यह भी बताया कि इस मार्ग पर आए दिन दुर्घटनाएं हो रही हैं। ट्रैक्टर, बाइक और ऑटो पलटने की घटनाएं आम हो गई हैं, परंतु आज तक एक भी ठेकेदार या विभागीय अधिकारी के खिलाफ मुकदमा दर्ज नहीं हुआ।
रीवा जिले में छोटे ठेकेदारों पर कभी-कभी कार्रवाई हो जाती है, लेकिन राष्ट्रीय राजमार्ग-27 की दुर्दशा पर सबकी खामोशी सवाल खड़े करती है।
💬 जनता की नाराज़गी – नेताओं से जवाब की मांग
ग्राम पंचायत गढ़ के नागरिकों ने कड़ा रुख अपनाते हुए कहा है कि अगर जल्द ही सड़क निर्माण कार्य शुरू नहीं किया गया तो वे जनआंदोलन करेंगे और मुख्यमंत्री, सांसद व लोक निर्माण मंत्री के नाम ज्ञापन सौंपकर जवाब मांगेंगे।
> “हमने मोदी और शिवराज के नाम पर वोट दिया था, अब दोनों के नाम पर शर्म महसूस हो रही है।
गढ़ जैसे धार्मिक और शिक्षित क्षेत्र की यह दुर्दशा हमारे कर्मों का नहीं, नेताओं की बेरुखी का परिणाम है।” 
अब जनता का सब्र टूट चुका है। लोग कह रहे हैं —
> “अगर इस बार भी सड़क नहीं बनी, तो आने वाले चुनाव में हम सड़क दिखाने वालों को सड़क दिखा देंगे।






