
मंडला – जिले में भ्रष्टाचार अपने चरम पर है। जिले में रिश्वतखोर अधिकारी व कर्मचारी खुलेआम धांधलियों को अंजाम दे रहे हैं। आए दिन समाचार पत्रों की सुर्खियों में लोकायुक्त की कार्रवाई में पकड़े जा रहे रिश्वतखोरों की खबरें सामने आ रही हैं। बावजूद इसके, नागरिक यह जानने में असमर्थ हैं कि इन पर क्या दंडात्मक कार्रवाई की जा रही है।
लोकायुक्त की टीम द्वारा रिश्वत लेते पकड़े गए कई अधिकारी व कर्मचारी सामने आए हैं, लेकिन इन पर आगे की न्यायिक या प्रशासनिक कार्रवाई कहां तक पहुंची, यह आमजन को अज्ञात है। सवाल यह है कि क्या सिर्फ पकड़ना ही पर्याप्त है, या फिर दंड का कोई निश्चित विधान भी है?
जनता का कहना है कि लोकायुक्त द्वारा की जा रही कार्रवाई सिर्फ “पकड़-धकड़” तक सीमित रह गई है। यदि पिछले पांच वर्षों का रिकॉर्ड उठाया जाए तो यह स्पष्ट होगा कि कई मामले लोकायुक्त के माध्यम से प्रकाश में आए, लेकिन आगे की प्रक्रिया का क्या हुआ — यह जानकारी सार्वजनिक नहीं हो पा रही है।
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि मंडला में सरकारी तंत्र बुरी तरह से भ्रष्ट हो चुका है। भ्रष्टाचारियों पर न तो कड़ी कार्रवाई हो रही है और न ही कोई उदाहरण स्थापित हो पा रहा है जिससे अन्य भ्रष्ट कर्मचारी-संभ्रांतों में भय उत्पन्न हो।
जनता की यह भी अपेक्षा है कि जिन अधिकारियों और कर्मचारियों को लोकायुक्त द्वारा रंगे हाथ पकड़ा गया है, उन पर सख्त और त्वरित दंडात्मक कार्रवाई सुनिश्चित की जाए तथा कार्रवाई की स्थिति सार्वजनिक रूप से स्पष्ट की जाए, ताकि शासन-प्रशासन में पारदर्शिता आए और भ्रष्टाचार पर रोक लगे।
मंडला जिले में व्याप्त भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म करने के लिए केवल कार्रवाई नहीं, बल्कि कठोर दंड और पारदर्शिता की भी आवश्यकता है। जनता चाहती है कि दंड का विधान स्पष्ट रूप से तय हो और उसे सख्ती से लागू किया जाए।
मंडला से अशोक मिश्रा की रिपोर्ट






