छत्तीसगढ़
रायपुर।
छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में स्थित कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया है। यह छत्तीसगढ़ का पहला स्थल है जिसे यह प्रतिष्ठित मान्यता मिली है। इस उपलब्धि को राज्य सरकार ने ऐतिहासिक बताया है, वहीं वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने इसे छत्तीसगढ़ के लिए गर्व का क्षण करार दिया है।
प्राकृतिक सौंदर्य और जैव विविधता का खजाना
कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान अपनी अद्वितीय जैव विविधता, घने जंगलों, गुफाओं और दुर्लभ वनस्पतियों के लिए प्रसिद्ध है। यहां विभिन्न प्रकार के वन्यजीवों के साथ-साथ सैकड़ों प्रजातियों की तितलियाँ भी पाई जाती हैं, जो इसे और भी खास बनाती हैं।
बटरफ्लाई पार्क की संभावनाएं
इस क्षेत्र में बटरफ्लाई पार्क (तितली उद्यान) विकसित करने की अपार संभावनाएं हैं, जिससे न केवल पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा बल्कि पर्यावरण संरक्षण और शोध के नए अवसर भी खुलेंगे। प्राकृतिक परिस्थितियों और विविध प्रजातियों की उपलब्धता को देखते हुए विशेषज्ञों का मानना है कि यहाँ एक समर्पित इको-टूरिज्म प्रोजेक्ट के रूप में बटरफ्लाई पार्क की स्थापना की जा सकती है, जो कांगेर घाटी को और अधिक आकर्षक बनाएगा।
पर्यटन और संरक्षण को मिलेगा बढ़ावा
विश्व धरोहर सूची में शामिल होने से कांगेर घाटी को वैश्विक पहचान मिलेगी, जिससे पर्यावरण संरक्षण और पर्यटन क्षेत्र में उल्लेखनीय वृद्धि होगी। इससे न केवल स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी, बल्कि वन्यजीव संरक्षण के प्रयासों को भी प्रोत्साहन मिलेगा।
सरकार ने जताई खुशी, संरक्षण के लिए बढ़ेगा फोकस
राज्य सरकार ने इस उपलब्धि पर हर्ष व्यक्त करते हुए कहा है कि कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान को और अधिक विकसित करने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएंगे। वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने कहा कि यह उपलब्धि छत्तीसगढ़ के समृद्ध प्राकृतिक संसाधनों और जैव विविधता के महत्व को दर्शाती है।
यूनेस्को की इस मान्यता से कांगेर घाटी न केवल राष्ट्रीय बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी एक प्रमुख पर्यटन और पर्यावरण संरक्षण केंद्र के रूप में उभरेगा।
( राजीव खरे ब्यूरो चीफ छत्तीसगढ़)
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