Policewala
Home Policewala कोचिंग सेंटरों में आपराधिक लापरवाही से दुखद मौतें: प्रभावी नियमन जरूरी
Policewala

कोचिंग सेंटरों में आपराधिक लापरवाही से दुखद मौतें: प्रभावी नियमन जरूरी

राष्ट्रीय समाचार

नई दिल्ली

दिल्ली में एक अवैध कोचिंग सेंटर के बेसमेंट में पानी भर जाने से तीन प्रतिभागियों की मौत ने देश को हिला कर रख दिया। यह घटना कोचिंग सेंटरों की लापरवाही और प्रशासन की आपराधिक उदासीनता को उजागर करती है। बेसमेंट में व्यावसायिक गतिविधियों पर प्रतिबंध होने के बावजूद, कई कोचिंग सेंटर अवैध रूप से वहां चल रहे थे। इसके बावजूद स्थानीय प्रशासन, जैसे एमसीडी, ने इन पर कार्रवाई नहीं की थी। अब, जनता के आक्रोश के बाद, कुछ अधिकारियों पर दिखावटी कार्रवाई की गई और कुछ कोचिंग सेंटरों को सील किया गया है। पर बड़े मगरमच्छों को बचाकर देर से की गई इस दिखावे की कार्यवाही से उन बच्चों की जान वापस नहीं आ सकती।

यह हादसा कोचिंग सेंटरों के नियमन की कमी और मुनाफाखोरी और उस पर भ्रष्ट विभागीय संरक्षण के कारण हुआ। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने छह महीने पहले ही कोचिंग सेंटरों के लिए बुनियादी ढांचे, अग्नि सुरक्षा और अन्य सुरक्षा मानकों के पालन के दिशा-निर्देश जारी किए थे, परन्तु उनके अनुपालन की गंभीरता से निगरानी नहीं की गई। इस घटना ने सांसदों और उपराष्ट्रपति की चिंता को भी जन्म दिया, जिन्होंने इसे एक गंभीर समस्या बताया, और बड़ी कुशलता से घड़ियाली आंसू बहाए।

सिर्फ़ कोचिंग संस्थान ही नहीं उससे संबंधित शासकीय विभागों और नगरीय निकाय, उनके फ़ील्ड व उच्च अधिकारियों की लापरवाही अक्षम्य है। जिनका एक साधारण से साधारण व अदना सा कर्मचारी भी जानता है कि हर बरसात के पहले संभावित परेशानियों और खतरों का आकलन कर आवश्यक सामयिक कार्यवाही करना कितना ज़रूरी है। बड़े बड़े प्रबुद्ध और प्रशासनिक सेवा के आलाधिकारियों की अक़ल पर तरस आता है कि इनके दिमाग़ में यह मामूली सी बात क्यों नहीं आती। क्या नेताओं की चापलूसी करना ही उनका प्रमुख कार्य है । केंद्र सरकार की शह पर आप सरकार के ज़रा ज़रा से कामों में अपनी नाक घुसेड़ने वाले दिल्ली के एलजी भी इस हादसे के लिए उत्तरदायी हैं , क्योंकि यदि वे भी समय पर विभाग का रिव्यू करते तो शायद ऐसी स्थिति निर्मित हो ही नहीं सकती थी । पर उन्होंने भी आप सरकार की लानत मलामत करने और उनके कामों को रोकने और केंद्र सरकार के पिट्ठू बने रहने के अलावा कुछ नहीं किया । डीएमसी के कमिश्नर की तो जाँच होना चाहिए कि ये आईएएस कहलाने के लायक़ भी हैं कि नहीं । ऐसे निकम्मे अधिकारी ऐसे पद के योग्य नहीं है कायदे से दो इन्हें भी बर्खास्त बर्खास्त कर देना चाहिए।

देशभर में कोचिंग उद्योग तेजी से बढ़ रहा है, जो 2022 में 58 हजार करोड़ रुपये का था और 2028 तक 1.3 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचने की संभावना है। कोचिंग सेंटर संचालक अधिक मुनाफा कमाने के लिए सुरक्षा और बुनियादी सुविधाओं में कटौती करते हैं। इसके अलावा, दिल्ली में छात्रों ने मकान मालिकों द्वारा अधिक किराया और व्यावसायिक दरों पर बिजली-पानी के बिल वसूलने की शिकायत की है। यह घटना यह दर्शाती है कि कोचिंग सेंटरों की नियमित निगरानी और नियमन की आवश्यकता है ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके।

( राजीव खरे राष्ट्रीय ब्यूरो)

Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles

गरियाबंद विधायक जनक धुव्र और डॉ सत्यजीत साहू ने विश्व शांति यात्रा का समर्थन किया

रायपुर छत्तीसगढ़ गरियबंद के गांधी मैदान में आयोजित ज़िला स्तरीय आमसभा को...

बस्तर जिला प्रशासन द्वारा निवृतमान कलेक्टर श्री विजय दयाराम के. को दी गई आत्मीय विदाई

समाचार बस्तर की जनता से मिले अपार स्नेह से मिली सुखद अनुभूति-निवृत्तमान...

ग्रीस में भारतीय निवेशकों की बढ़ती रुचि: एक सुनहरा अवसर

यदि आप विदेश में घर ख़रीद कर रहने की योजना बना रहे...