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बड़ी तादाद में भीड़ ने किया पाक घोड़े का दीदार, पिछले 168 सालों से निकाली जा रही है दुलदुल सवारी,

डीएम और एडिशनल एसपी ने घोड़ें को जलेबी खिलाकर जुलूस का शुभारंभ किया.

 

14/07/2024 चरखारी जिला महोबा उत्तर प्रदेश

महोबा के चरखारी में दुल दुल सवारी बड़ी ही सानो शौकत से निकाली गई ।

इस्लाम की खातिर अपना सर कटाने वाले इमाम हुसैन को यूं तो सारी दुनिया में अपने-अपने तरीके से याद किया जाता है, लेकिन उत्तर प्रदेश के महोबा के चरखारी में मुहर्रम की सातवीं को इमाम हुसैन की दुलदुल सवारी पाक घोड़ा पिछले 168 सालों से निकाला जा रहा है. हिन्दू-मुस्लिम एकता का प्रतीक इमाम की सवारी से सभी धर्मों के लोगों का खासा लगाव है. ऐसी मान्यता है कि इमाम हुसैन का घोडा जिस अकीदतमंद (श्रद्धालू) का तबर्रुक( प्रसाद )खा लेता है उसकी मुराद पूरी हो जाती है और अकीदतमंद चांदी का नींबू सवारी में चढ़ाता है. यहां 80 हजार से 1 लाख लोगों की भीड़ इमाम हुसैन की सवारी का दीदार करने आती है.
महोबा एस पी अपर्णा गुप्ता के निर्देशन पुलिस की रही चाक चौबंद व्यवस्था
डीएम और एडिशनल एसपी ने घोड़ें को जलेबी खिलाकर जुलूस का शुभारंभ किया.

इस्लाम के पैगम्बर मुहम्मद साहब के नवासे इमाम हसन और हुसैन ने सच्चाई और अपनी उम्मत के लिए अपनी जान की परवाह नहीं की और इमाम हुसैन कर्बला के मैदान में शहीद हो गए. उनकी इस शहादत को इस्लाम के लोग ही नहीं बल्कि सभी धर्मों के लोग मुहर्रम को याद करते है. चरखारी में पिछले 168 सालों से इमाम हुसैन को याद करने के लिए इमाम की सवारी दुलदुल निकाली जाती है. माना जाता है की इमाम हुसैन दुलदुल नाम के अपने इसी घोड़े पर बैठ कर कर्बला के मैदान में यजीदी फौज से अपनी उम्मत और सच्चाई के लिए जंग करने गए थे और नमाज के वक्त सजदे में सर कटाकर अपने आप को दीन की खातिर शहीद कर दिया था.

इसी याद को ताजा करने के लिए इस गम के माहौल में इमाम की सवारी निकाली गई. ये सवारी चरखारी कस्बे के मुकेरीपुरा मोहल्ला से दुलदुल सजाकर निकाली गई. वर्षों से इसी श्रद्धा के साथ इमाम की सवारी निकलती है जिसमें अकीदतमंद अपनी मन्नतें लेकर इमाम की सवारी पर हाजरी देते है और पाक घोड़े को जलेबी खिलाकर प्रसाद चढ़ाते है. डीएम मृदुल चौधरी और एडिशनल एसपी सत्यम ने इमाम हुसैन की सवारी घोड़ा को जलेबी खिलाकर जुलूस को रवाना किया जो सुबह 5 बजे तक कस्बे में निर्धारित स्थानों में घूमता रहा. इस मौके पर ने कहा कि सच्चाई के रास्ते पर हुसैन ने अपने आप को कुर्बान कर दिया. सत्य के लिए सब कुछ लुटा दिया उनकी इस सीख को सभी जीवन मे उतारना है और हो सत्य के विपरीत काम करें उनके खिलाफ खड़ा होना चाहिए.

पुलिसवाला के लिए सालिम खान की रिपोर्ट

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