भारतीय कृषि दर्शन“ प्रकृति के साथ, संस्कृति, परंपरा और आत्मनिर्भरता का सतत विकास का प्रकल्प है – डॉ भरत शर्मा

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इंदौर मध्य प्रदेश

कृषि भूमि पत्रिका के नवसंस्करण के विमोचन अवसर पर उक्त वक्तव्य संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार सदस्य – डॉ भरत शर्मा ने दिए। आपने कहा कि भारतीय संस्कृति में कृषि केवल जीविकोपार्जन का साधन नहीं, बल्कि जीवन पद्धति का हिस्सा रही है । भारत की आत्मा गांवों में बसती है, और गांवों का जीवन कृषि में। किसान का सम्मान करना, कृषि उपक्रम को सशक्त बनाना और उसकी कृषि एवं ग्रामीण परंपराओं को संरक्षित करना राष्ट्र की प्राथमिकता है । किसान उत्पादक संगठन (FPOs) और सहकारी संस्थाओं के माध्यम से किसानों की आय और बाजार तक पहुंच बढ़ रही है।
इस अवसर पर वरिष्ठ पत्रकार सुदेश तिवारी ने कहा कि कृषि अब व्यवसाय के स्वरूप में जैविक खेती, फूड प्रोसेसिंग, पैकेजिंग, निर्यात और एग्री-टेक के माध्यम से कृषि एक बड़े उद्योग का रूप ले रही है। डेयरी, मत्स्य पालन, और बागवानी नए रोजगार के क्षेत्र खोल रहे हैं।
कृषि भूमि के प्रबंध संपादक सुबोध मिश्रा ने अपनी मासिक पत्रिका के विमोचन अवसर पर डॉ भरत शर्मा और वरिष्ठ पत्रकार सुदेश तिवारी का सम्मान किया और कृषि भूमि पत्रिका के प्रबंधन मंडल के सदस्य, उद्योगपति राकेश खंडेलवाल, वीरेंद्र पुराणिक, शिक्षाविद राजीव झालानी और गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।

रिपोर्ट अनिल भंडारी

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