घुनघुटी चौकी में खुलेआम अवैध रेत खनन, नेताओं और अधिकारियों की मिलीभगत पर उठ रहे सवाल
रिपोर्ट इनायत अहमद -6265554656
कहते हैं पुलिस के हाथ लंबे होते हैं और अपराधी चाहे कितना भी चालाक क्यों न हो, कानून की पकड़ से नहीं बच सकता। लेकिन उमरिया जिले के पाली थाना क्षेत्र की घुनघुटी चौकी में यह कहावत खोखली साबित हो रही है। चौकी से कुछ ही किलोमीटर की दूरी में रेत का अवैध उत्खनन खुलेआम हो रहा है और पुलिस अमला जानते हुए भी खामोश है।
शाम ढलते ही लगती है ट्रैक्टरों की कतार
ग्रामीण बताते हैं कि जैसे ही शाम होती है, नदी किनारों और नालों से रेत से लदी ट्रैक्टर-ट्रॉलियों की कतार सड़क पर निकल पड़ती है। यह रेत सीधे उन जगहों तक पहुंचाई जाती है जहां अवैध कारोबारियों के नेटवर्क पहले से मौजूद हैं। ग्रामीणों का दावा है कि इस पूरे खेल में भाजपा से जुड़े कुछ नेता समाज सेवा और विकास की आड़ लेकर रेत कारोबार को खुला संरक्षण दे रहे हैं।
पुलिस और वन विभाग पर सवाल
जिन विभागों की जिम्मेदारी है कि वे प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा करें, वही आंखें मूंदे बैठे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि चौकी में वर्षों से पदस्थ कुछ पुलिसकर्मी खुद इस खेल में हिस्सेदारी निभा रहे हैं। यही वजह है कि शिकायतों और लगातार खबरें आने के बावजूद कार्रवाई का असर कभी नजर नहीं आता। वन विभाग भी चुप है।
नेताओं की शह से माफिया बेखौफ
नाम न छापने की शर्त पर ग्रामीणों का कहना है कि कुर्ता पहनकर समाज सेवा का ढोंग करने वाले नेता असल में अवैध रेत कारोबार के ठेकेदार हैं। स्थानीय चर्चा में जयसवाल, यादव, वर्मा और बघेल जैसे नाम बार-बार सामने आ रहे हैं। आरोप है कि इन नेताओं के संरक्षण में यह धंधा वर्षों से बेरोकटोक चल रहा है।
ममान, ओदरी और घुनघुटी सबसे ज्यादा प्रभावित
केवल घुनघुटी ही नहीं, बल्कि ममान और ओदरी भी अवैध उत्खनन की गिरफ्त में हैं। ट्रैक्टर-ट्रॉली दिन-रात नदी और नालों को खोदकर रेत निकाल रहे हैं। इसका सीधा असर पर्यावरण पर पड़ रहा है। गांवों की सड़कों का हाल बदतर होते जा रहा है।
बीते दिनों खनिज विभाग ने औपचारिक कार्रवाई करते हुए कुछ वाहन जब्त किए लेकिन इसका असर रेत माफियाओं पर तनिक भी नहीं पड़ा। अगले ही दिन से ट्रैक्टर-ट्रॉली उसी रफ्तार से दौड़ते रहे। ग्रामीणों का कहना है कि खनिज विभाग नेताओं और अधिकारियों के दबाव में महज खानापूर्ति करता है, असली कार्रवाई कभी नहीं होती।
प्रशासन की चुप्पी, जनता का गुस्सा
सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब ग्रामीण खुले तौर पर यह खेल देख और बता रहे हैं तो जिला प्रशासन और उच्च अधिकारी क्यों चुप हैं? क्या उन्हें इसकी भनक नहीं है या फिर उन्हें भी हिस्सा पहुंचाया जा रहा है? ग्रामीण कहते हैं कि उनके गांवों की शांति और पर्यावरण बर्बाद हो रहा है, लेकिन प्रशासन मौन साधे बैठा है।
ग्राम ओदरी का प्रतीक्षालय बना अड्डा
हालात इतने बदतर हैं कि ग्राम ओदरी में यात्रियों के लिए बनाए गए प्रतीक्षालय तक को माफियाओं ने अड्डा बना लिया है । यानी सरकारी सुविधा का इस्तेमाल खुलेआम अवैध कारोबार के रूप में किया जा रहा है और जिम्मेदार विभाग आंखें मूंदे हुए हैं।
कब रुकेगा यह खेल?
स्पष्ट है कि घुनघुटी और आसपास के इलाकों में रेत का अवैध कारोबार नेताओं और अधिकारियों की मिलीभगत के बिना संभव ही नहीं है। अगर सरकार और प्रशासन सचमुच ईमानदार है तो सबसे पहले उसे अपने ही तंत्र के भीतर बैठे भ्रष्ट अधिकारियों और नेताओं पर कार्रवाई करनी होगी।
वरना रेत माफियाओं का यह खेल इसी तरह चलता रहेगा और घुनघुटी, ममान और ओदरी जैसे इलाके अवैध खनन की प्रयोगशाला बने रहेंगे। सवाल सिर्फ इतना है कि प्रशासन कब तक आंखें मूंदे रहेगा और जनता कब तक इस लूट को सहती रहेगी।