इंदौर मध्य प्रदेश
वन स्टॉप सेंटर में महिला हेल्प लाइन नंबर 181 द्वारा तीन बहनों को को वन स्टॉप सेंटर में भेजा गया सुबह आवेदन आया और फिर उन्हें आश्रय दिया गया वन स्टॉप सेंटर में परामर्श सत्र में प्रथम में सामने आई बातें परिवर्तित नाम आकांक्षा (बड़ी बहन) रूपाली( मझली बहन) प्रीति (छोटी बहन )वर्ष बड़ी बहन की 23 मझली बहन की 20 और छोटी बहन का 18 वर्ष (परिवर्तित नाम) आकांक्षा बड़ी बहन जो एक कंपनी में कार्यरत है और उसकी जब विवाह का प्रस्ताव आया तो उसने शादी से इनकार कर दिया उसका कहना था कि मैं आगे पढ़ना चाहती हूं मैं अपने पांव में खड़े होना चाहती हूं परिवार और अपने समाज से लड़के छोटे से गांव से निकली लड़की ने अपने को साबित किया अपने पांव में खड़ा होकर दिखाए परंतु जब बड़ी बहन ने शादी नहीं किया तो मां पिताजी को उनकी और दो लड़कियों की चिंता सताने लगी फिर उन्होंने जल्दी ही अपने दो लड़कियों की रूपाली और प्रीति का विवाह कर दिया सुखिया संपन्न परिवार में दोनों लड़कियां पढ़ना चाहती थी अपने पांव में खड़ा होना चाहती थी परंतु ससुराल वाले यह समझ नहीं रहे थे और उन्हें पढ़ने नहीं दे रहे थे दोनों लड़कियों ने अपने मायके को भी अपनी यह बात कही कि मुझे पढ़ाई करनी है परंतु गरीब पिता ने कहा कि मैं नहीं कर पाऊंगा तुम्हारे ससुराल वाले अगर आगे पड़वा देते हैं तो ठीक वरना ससुराल वाले जैसे रखते हैं वैसे ही रहो ससुराल वाले पढ़ने की को तैयार नहीं थे एक दिन भर काम करवाना और बाहर नहीं निकलने देना और पढ़ाई की बात करने पर मरने की धमकियां देना और मारना यह बातें जब ना ससुराल वाले और ना ही उनके मायके वाले कोई समझे तो उन्होंने दोनों लड़कियों ने अपनी बड़ी बहन को या बताया कि वह पढ़ना चाहती है अपने पांव में खड़ा होना चाहती है यह बात सुनकर फिर दोनों बहनों का कष्ट देखकर बड़ी बहन जब अपने घर पहुंची तो दोनों छोटी बहन भी अपने मायके आई और उन तीनों ने एक प्लान बनाया जिसमें बड़ी बहन ने अपने दोनों बहनों को लेकर 18 तारीख को इंदौर पहुंच गई इंदौर पहुंचने के बाद पुलिस के द्वारा वन स्टॉप सेंटर में आ पहुंची और वन स्टॉप सेंटर में उन्हें आश्रय दिया गया उनकी सारी ज़रूरतें पूरी की गई एवं परिवार वालों को बुलाया गया जब वन स्टॉप सेंटर में परामर्श सत्र में ससुराल वाले और मायके वाले और उपस्थित लड़कियों को परामर्श में छोटी लड़की प्रति एवं उनके ससुराल वाले और मायके वालों के बीच में यह समझौता हुआ कि अब से प्रीति मायके में रहकर अपनी संपूर्ण पढ़ाई करेगी जब पढ़ाई संपूर्ण हो जाएगी तब वह अपने ससुराल चले जाएगी और इस मध्य में ससुराल वाले उनके घर आकर अपनी बहू से मिल सकते हैं एवं ससुराल में ससुर अपने बहू की पूरी पढ़ाई की जिम्मेदारी भी ले रहे हैं इस तरह इस समस्या का समाधान हुआ
और उनके बीच में यह समझौता हो गया तय
बहु रुपाली अपने ससुराल वालों के साथ परामर्श में उपस्थित हुई और कई कई घंटे परामर्श में होने के बाद परामर्श सत्र में समझौता पत्र रूपाली के लिए तैयार किया गया की रूपाली और रूपाली के ससुराल वालों के मध्य में समझौता कई शर्तों में हुई रूपाली के पति पढ़ाएंगे और मारपीट नही हो।
बड़ी बहन ने जो हिम्मत दिखा कर अपने बहनों को लेकर वन स्टॉप सेंटर पहुंची 3 दिन अश्र् या में रहने के बाद बड़ी बहन आकांक्षा अपने माता-पिता के संग अपने नौकरी फिर जॉइन करने गई एवं दोनों लड़कियां भी खुशी-खुशी अपने परिवार मायके एवं ससुराल वालों के साथ वन स्टॉप सेंटर से गई। जब दूसरे दिन लड़किया और परिवार गांव पंहुचा तो समाज जनों ने पंचायत बैठाए और लड़कियों को जबरदस्ती ससुराल भेजने की कोशिश की गई । पुनः बड़ी बहन ने वन स्टॉप सेंटर इंदौर में संपर्क किया ,,तत्काल जिला कार्यक्रम अधिकारी श्री रामनिवास बुदोलिया जी ने उज्जैन जिला कार्यक्रम अधिकारी से संपर्क करके गांव में परियोजना अधिकारी,पर्यवेक्षक ,आनगावाद कार्यकर्ता की टीम भेज कर घर में समझाइश दिलवाई गई। लेकिन इसके बाद भी सामाजिक दबाव में लड़कियों और उनके परिजन को गांव में परेशान किया जा रहा था तो प्रशासक वन स्टॉप सेंटर इंदौर द्वारा महिदपुर पुलिस थाने में थाना प्रभारी से संपर्क स्थापित करके पुलिस सहायता भेजवाई,,सरपंच को समझाया । इस तरह वन स्टॉप सेंटर ने फिर एक बार तीन परिवारों को एक किया बेटियों को उनके पढ़ाई के अधिकार दिलवाते हुए परिवार के साथ मिलाया।
जिला कार्यक्रम अधिकारी:
रामनिवास बुदोलिया
प्रशासक: डॉ वंचना सिंह परिहार
रिपोर्ट- अनिल भंडारी
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