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अपर नर्मदा सिचाईं परियोजना शोभापुर को निरस्त कराने किसान संघर्ष मोर्चा व महिलाओ ने रोका सांसद का काफिला, सौंपा ज्ञापन

डिंडौरी मध्यप्रदेश

डिंडौरी जिले के करंजिया विकासखंड अंतर्गत कस्बा गोरखपुर में बुधवार को गोरखपुर किसान संघर्ष मोर्चा के नेतृत्व में सैकड़ों ग्रामीण,किसान व आमजन महिला पुरुष लामबंद होकर क्षेत्रीय सांसद फग्गनसिंह कुलस्ते को शोभापुर में बनने वाले बांध को निरस्त करने हेतु ज्ञापन सौंपा। उल्लेखनीय हैं कि क्षेत्रीय सांसद फग्गनसिंह कुलस्ते जैसे ही कस्बा के चौराहे के नजदीक पंडाल वालों के नजदीक पहुंचे तो आमजनता से शोभापुर बांध निरस्त करो निरस्त करो की आवाज बुलंद करते हुए उनका स्वागत किया तत्पश्चात मंच में ले जाकर तीन पन्ने का हस्ताक्षर युक्त लिखित ज्ञापन सौंपा।गौरतलब हैं कि शोभापुर बांध को लेकर क्षेत्र में विरोध की गति दिन ब दिन बढ़ती जा रही हैं डूब प्रभावित क्षेत्रों के लोग आर-पार के मूढ़ में आ गए हैं ग्रामीणों का कहना हैं कि जब गत वर्ष हाइकोर्ट में बांध के विरोध में लगें याचिका पर यह बांध निरस्त कर दिया गया था तो अब क्या जरूरत पड़ गई इसका मास्टर माइंड कौन है हमें बताया जाएं।
महिलाओं ने रोका रास्ता –
बांध निरस्तीकरण के विरोध में ज्ञापन सौंपने के दरमियान स्थानीय व आसपास के डूब प्रभावित क्षेत्रों से आएं महिलाओं ने लामबंद होकर सांसद की गाड़ी के आगे खड़े होकर रास्ता रोक लिया और बांध निरस्त करता हूं की बात लिखकर देने की बात पर अड़े रहें इस दरमियान उनके साथ भाजपा जिलाध्यक्ष अवधराज बिलैया जिला पंचायत अध्यक्ष रुदेश परस्ते भी मौजूद रहें अंततः महिलाओं के बढ़ते जिद और बांध निरस्त करो के जोरदार नारे के सामने सांसद को विवश होकर वाहन से उतरकर महिलाओं के बीच आना पड़ा लेकिन श्री कुलस्ते ने वह बात नहीं लिखी जो डूब प्रभावित क्षेत्र के लोग लिखवाना चाह रहें थें बल्कि ज्ञापन की प्रतिलिपि में जनता की बात लोकसभा तक रखूंगा लिखें बाद सामने से हटे तब जाकर सांसद की यात्रा आगे बढ़ी । हालांकि उन्होंने ज्ञापन लेने के बाद उपस्थित जनमानस को सांत्वना देते हुए सरकार तक जनता की भावना को रखने की बात कह दिया था।

ज्ञापन में लिखें शब्दों के अनुसार डिंडौरी मंडला तथा अनुपपुर जिले का पुष्पराजगढ़ जिला पूर्णतः अनुसूचित क्षेत्र हैं वहां भारत के संविधान के अनुच्छेद 244(1) के तहत संवैधानिक अधिकार प्राप्त है। अनुसूचित क्षेत्र में ग्रामवासियों की सहमति के बगैर नर्मदा नदी पर अपर नर्मदा परियोजना शोभापुर का निर्माण प्रस्तावित किया गया और परियोजना का डिजिटल भूमि पूजन शिलान्यास भी 29 फरवरी 2024 को कर दिया गया। जो कि नियम विरुद्ध हैं
जबकि परियोजना निर्माण क्षेत्र पूर्णतः अनुसूचित क्षेत्र में आता है, प्रभावित किसानों में 95 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति 1 प्रतिशत अन्य वर्ग के किसान है, परियोजना निर्माण प्रस्ताव में भूमि अर्जन, पुर्नवासन और पुर्नव्यवस्थापन में उचित प्रतिकार और पारदर्शिता अधिनियम 2013 की धारा 41 का उल्लंघन किया गया है। धारा 41 में स्पष्ट है कि “अनुसूचित जनजाति को नहीं हटाया जायेगा, अगर आवश्यक है तो कम संख्या में विस्थापन किया जायेगा” लेकिन यहा सारे नियम कानून को दरकिनार करते हुए जबरदस्ती निर्माण कराने पर तुले हैं संविधान के अनुच्छेद 244 (1) के तहत इन क्षेत्रों में संविधान की पांचवी अनुसूची लागू है पांचवी अनुसूची के पैरा 2 में अनुसूचित क्षेत्रों में किसी राज्य की कार्यपालिका शक्ति इस अनुसूची के उपबंधों के अधीन रहते हुए, किसी राज्य की कार्यपालिका शक्ति का विस्तार उसके अनुसूचित क्षेत्रों पर है लेकिन वर्तमान में अनुसूचित क्षेत्रों में सामान्य क्षेत्र की तरह जिला प्रशासन में पदस्थ कर्मचारी किय अधिकारीगणों के द्वारा कार्य संचालित किया जाता है, अनुसूचित क्षेत्र में परियोजना ऐरिर निर्माण के प्रस्ताव के पूर्व प्रभावित या विस्थापन होने वाले ग्रामों की ग्रामसभाओं से क्षति सहमत्ति नहीं ली जाती, यह संविधान का उल्लंघन हैं।
24 दिसंबर 1996 से पांचवी अनुसूचित क्षेत्रों के लिए केन्द्र सरकार पंचायत उपबंध (अनुसूचित क्षेत्रों पर विस्तार) पेसा कानून लागू किया तथा 15 नवंबर 2022 को मध्यप्रदेश सरकार ने पेसा नियम बनाया लागू किया जो इन क्षेत्रों में विद्यमान है अपर नर्मदा परियोजना को निरस्त करने का प्रस्ताव पारित किया है।

ग्राम सभाओं की विशेष शक्तियों का निर्वचन (Interpretation) करते हुए भारत के उच्चतम न्यायालय द्वारा 2013 में दिए गए फैसले Orissa mining Corporation vs Union of India में कहा गया है कि “notably the court says nothing about anyone having the power to overrule the gram sabha-” अर्थात विशेष रुप से उच्चतम न्यायालय का कहना है कि किसी भी प्राधिकारी के पास इतनी शक्ति नहीं कि वह ग्राम सभा के किसी भी फैसले को नामंजूर कर सकें। उच्चतम न्यायालय द्वारा दिए गए इस फैसले के तहत किसी भी प्राधिकारियों (Authorities) को ग्राम सभाओं द्वारा दिए गए सुसंगत निर्णयों के विरुद्ध कार्रवाई करना ग्राम सभाओं का उल्लंघन (Violation) एवं उच्चतम न्यायालय का अवमानना (Contempt of Court) होगा। फिर किस बिना पर ग्राम सभा के आदेशों का उल्लंघन ? अपर नर्मदा परियोजना में भारत की सबसे बड़ी जनजाति गोंड के धर्मगुरू पारि कुपार लिंगों जी का तपस्थल लिंगों पहाड़ तथा ग्राम परसवाह, शोभापुर में करम श्री देवी स्थल है, यह आदिवासी पारंपरिक देवी देवताओं का आस्था का धार्मिक मुख्यालय है, यह स्थल भी बांध निर्माण से पानी डूब जाएगा, इन ऐतिहासिक स्थलों के जलमग्न होने से देश की 14 करोड़ गोंड जनजाति की आस्था को ठेस पहुंचेगा। आस्था स्थल के लिए शासन का क्या रूख हैं स्पष्ट नहीं हैं। माननीय सर्वोच्च न्यायालय भारत एव उच्च न्यायालय मध्यप्रदेश से हम समस्त आदिवासी अनुसूचित जनजाति प्रार्थना करते है कि करोड़ो हिन्दू भाईयों की आस्था को देखते हुए अयोध्या पर राम मंदिर बनाने का निर्णय दिया गया हैं, और उसके विस्तार हेतु उसके आस पास के गांव की भूमि अधिग्रहण की गई है। उसी प्रकार करोड़ों आदिवासियों के आस्था स्थल लिंगोगढ़ तथा करम श्री देवी स्थल को जलमग्न होने से बचाया जाए । इसी प्रकार नर्मदा नदी जबलपुर से अमरकंटक तक भूकंप जोन- भूकंप भू गर्भीय क्षेत्र हैं बांध बनने से भूगर्भीय हलचल तेज होने की संभावनाओं से इंकार नहीं किया जा सकता इसके अलावा यह जैव विविधता से परिपूर्ण हैं। ऐसे गंभीर मामलों पर गहन अध्ययन और इन बातों का परीक्षण आवश्यक हैं अतएव अनुसूचित क्षेत्र में प्रदत्त संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन ना किया जाए।यदि सिंचित करना ही हैं तो जिले में छोटे छोटे बांध बनाए जाएं, लिप्ट ऐरिकेशन सिस्टम बनाएं जाए हम उसका स्वागत करते है, विस्थापन ना हो आंशिक क्षति हो प्रकृति पर्यावरण की क्षति ना हो। क्योंकि डूब क्षेत्र की कृषि भूमि उपजाऊ भूमि है, नर्मदा नदी के दोनों तटों की अन्न देने वाली परियोजना से जलमग्न हो डूब जाएगी ।अतः हम सभी डूब प्रभावित क्षेत्रों के किसान व आमजनता आपसे और आपके राज्य व केंद्र सरकार से अनुरोध करते है आजादी के बाद से भारत के विकास में आदिवासी समाज सबसे ज्यादा विस्थापित हुआ है, देश में यह आंकड़ा 2 से 3 करोड़ का है, इनके विस्थापनों से एक दिन आदिवासी जल जंगल जमीन से हटकर किताबों के पन्नों में दिखाई देगा, अतः क्षेत्र की जनता की आवाज बनकर आप मुख्यमंत्री प्रधानमंत्री तक पहुंचाते हुए ग्रामसभाओं के आदेशों के तहत इस परियोजना को निरस्त करने की कार्यवाही कर राज्यपत्र में निरस्तीकरण का आदेश जारी करवाएं।
ये रहें उपस्थित –
कस्बा के चौराहे में किसान रितेश तेकाम के अगुवाई में ज्ञापन सौंपते समय मुकद्दम लल्लू सिंह तेकाम, ज्ञानसिंह तेकाम सुरेश मसराम, राकेश मरावी,सोनू मसराम , शिवचरण धुर्वे, छत्रपाल पुशाम,रजाकत अली संगीता बाई कुशराम, गिरिजा बाई सरठिया,मीरा बाई तेकाम,
अमर सिंह परस्ते सरपंच भुसंडा, रामेश्वरी मार्को सरपंच ग्राम पंचायत गोरखपुर, ईश्वर तेकाम सरपंच धवाडोंगरी सरस्वती मरकाम सरपंच मानिकपुर रामप्रसाद पंद्राम पूर्व सरपंच भलखोहा, उमेन्द्र वालरे, रघुवीर वालरे,ग्राम पंचायत विठलदेह,रामस्वरूप पेंदो बुंदेला फूलचंद धुर्वे,तेलीटोला, कृष्ण कुमार पट्टा काटीगहन उदल मरावी मानिकपुर बसंत कुमार मरावी पलकीटोला,कोसू यादव रुसा रहंगी, दयाराम मरकाम पाटन लालखाती देवानंद सिंह नेटी मुसामुंडी सहित सैकड़ों की संख्या में किसान महिला पुरुष मौजूद रहें।

रिपोर्ट-अखिलेश झारिया

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