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एक के बाद एक हिट एंड रन केस और रसूखदारों को बचाने में लगी संवेदनहीन व्यवस्था

मुंबई

रविवार को मुंबई में सत्तारूढ़ दल के नेता पुत्र की BMW कार ने एक टू-वीलर को टक्कर मारी, जिससे पीड़ित 100 मीटर तक घिसटती रही। आरोपी के फरार होने से रसूखदारों की संवेदनहीनता उजागर होती है।

मुंबई के इस हिट एंड रन केस ने करीब दो महीने पहले पुणे में हुए बहुचर्चित मामले की याद दिला दी। उस मामले में नशे में गाड़ी चलाते हुए बाइक सवार युवक-युवती को रौंदने के नाबालिग आरोपी को दी गई निबंध लिखने की सजा ने काफी चर्चा बटोरी थी। कहा गया कि कानूनी तंत्र एक जाने माने बिल्डर के उस बेटे के साथ वैसी सख्ती नहीं दिखा सका, जैसी इस तरह के मामलों में दिखाई जानी चाहिए।

ताज्जुब नहीं कि मुंबई हिट एंड रन केस की खबर आते ही लोगों के मन में पहला सवाल यही उठा कि चूंकि विक्टिम सामान्य परिवार के हैं और आरोपी सत्तारूढ़ दल के एक नेता के परिवार का, तो कहीं इस मामले में भी सरकारी तंत्र घुटने न टेक दे। शायद इसीलिए खुद मुख्यमंत्री ने बयान जारी कर ऐसी आशंकाओं को खारिज करने की कोशिश की। लेकिन शुरुआती सूचनाओं के मुताबिक जिस तरह से स्कूटर पर सवार महिला टक्कर के बाद कार के बोनट पर आ गई, करीब 100 मीटर तक घिटसती गई, फिर भी BMW पर सवार लोग वहां रुकने के बजाय निकल भागे, उससे उनके इरादों पर सवाल खड़ा होता है।

 

सड़क हादसे वैसे भी अपने देश में एक बड़ा मसला हैं। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 2022 में 1.68 लाख से ज्यादा लोग इनकी भेंट चढ़ गए। सिर्फ हिट एंड रन केसों की बात की जाए तो भी नैशनल क्राइम रेकॉर्ड्स ब्यूरो के मुताबिक 2022 में दर्ज 47,806 घटनाओं में 50,815 लोगों की मौत हुई। इस संदर्भ में भारतीय न्याय संहिता के कड़े प्रावधान खास तौर पर चर्चा में हैं जिनके संभावित फायदों और नुकसानों पर बहस जारी है।

समझना होगा कि पुणे और मुंबई जैसे मामले आम मामलों की तरह नहीं हैं। इनका एक खास पहलू है समाज के रसूखदार हिस्से में जड़ जमाती जा रही संवेदनहीनता और गैरजिम्मेदारी की भावना। इस हिस्से में न केवल कानून और प्रशासन के साथ किसी भी तरह का खिलवाड़ करके बच निकलने का भरोसा बना हुआ है, बल्कि अपने ही देश के अपेक्षाकृत कमजोर सामाजिक आर्थिक स्थितियों में रह रहे लोगों के प्रति आपराधिक उपेक्षा भाव भी है। इन दोनों प्रवृत्तियों के बने रहते हुए हालात में किसी तरह के सुधार की उम्मीद नहीं की जा सकती।

( राजीव खरे- राष्ट्रीय ब्यूरो)

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