इंदौर मध्य प्रदेश आचार्य श्री वीररत्नसूरीश्वरजी म.सा. एवं आचार्य श्री पद्मभूषणरत्न सूरीश्वरजी म.सा. आदिठाणा 22 का
स्वर्णिम चातुर्मास वर्ष 2023 दिनांक – 31/08/2023
साधु-भगवंत के दर्शन से पाप मुक्ति एवं मोक्ष प्राप्ति संभव है
मुनिराज श्री ऋषभरत्नविजयजी ने समझाया गुरु भगवंत, साधु-साध्वी के दर्शन मात्र से केवल-ज्ञान व मोक्ष की प्राप्ति संभव है। आत्मा एक भव से दूसरे भव में अनंत कल से 84 लाख योनियों में भटक रही एवं आज भी हम धन-दौलत के पीछे ही भटक रहे है जो ‘दो लात’ मारती है। परंतु जिन शासन से हमको परमात्मा के मार्ग पर चलने वाले साधु-साध्वी भगवंत के रूप में अद्भुत एवं आश्चर्यजनक दौलत दी है। संसार के सभी भौतिक आश्चर्य केवल नाम तक सीमित हैं। अपनी संस्कृति सबसे बड़ी आश्चर्य है और जैन साधु-साध्वी का जीवन सबसे महान आश्चर्य है। साधु-साध्वी बहुत सादगी पूर्ण जीवन एवं उच्चतम विचार वाले हैं। इनके दर्शन मात्र से पुण्योंदय प्रारंभ हो जाता है शास्त्रों के पन्नों की इबारत में ऐसे अनेकों दृष्टांत विद्यमान है, उनमें से कुछ का यहाँ पर उल्लेख किया जा रहा है।
1. गुरु गौतम गणधर – 1503 तापस अष्टापद पर्वत पर चढ़ने का प्रयास कर रहे थे तब उनको गौतम स्वामीजी के दर्शन हुए और वे सभी उनके शिष्य बने फिर उनको केवल-ज्ञान एवं मोक्ष की प्राप्ति हुई। यहाँ पर साधु वेश की भी बहुत महत्ता क्योंकि गुरु गौतम जैन साधु के वेश में थे। वेश आवेश का अंत करता है।
2. मुनि इलायची कुमार – एक नटनी की आसक्ति में नामी नट बने और नट करते समय नज़र झुकाए साधु भगवंत को श्राविका से गोचरी लेते हुए देख कर उनको अहो भाव जागा और अपने आप को धिक्कारा व वहीं रस्से पर केवल-ज्ञान हो गया।
3. श्रेणिक राजा – साधु भगवंत से वार्तालाप करते-करते राजा श्रेणिक को सम्यक दर्शन की प्राप्ति हुई।
4. ग्वाला – साधु-भगवंत को खीर बहराने वाला ग्वाला सौभाग्यशाली सेठ कयवन्नाजी बने।
5. भिखारी – गुरु भगवंत से भीख मांगते-मांगते एक भिखारी संप्रति महाराजा बन गया।
ऐसे अनेकों दृष्टांत शस्त्रों में हैं जहाँ पर साधु-साध्वी भगवंत के दर्शन से लोगों का कल्याण हो गया। परमात्मा के वेश और प्रभु के परिवेश पर भाव जाग्रत हो जायें तो हम परम गति में पहुँच सकते हैं। संसार के सभी पुद्गल अनंत जीवों की जूठन है जिसका हम उपयोग कर रहे हैं इसलिए मुनिवर योग में रहते हैं और हम भोग में। हम पदार्थ को धन्यवाद करते हैं मुनिवर उसे धिक्कार करते हैं। जिन शासन में जब साधु भगवंत के दर्शन मात्र व सुपात्र दान से कल्याण हो जाता हो तब परमात्मा के दर्शन एवं भक्ति से क्या-क्या हो सकता है इसका अनुमान लगाना कठिन है। युवा राजेश जैन ने बताया की
मुनिवर का नीति वाक्य
“‘दौलत आये तो अभिमान, जाये तो अपमान”
मुकेश पोरवाल, समिति सचिव ने जानकारी दी साध्वीजी क्षायिक रेखा श्री जी म.सा. ने 30-अगस्त को उग्र 46 उपवास पूर्ण किए हैं एवं इसके पूर्व वे 16, 31, 36 एवं 51 उपवास और श्रेणीतप की तपाराधना भी कर चूंकि हैं। उनके तप पूर्ण होने की खुशी में 1 सितंबर को प्रातः 8 बजे तिलकेश्वर पार्श्वनाथ मंदिर से उनका भव्य वरघोड़ा निकलेगा, प्रातः 9:00 बजे गुरु तप सत्कार समारोह एवं अनुमोदना का कार्यक्रम रखा गया है। जिसके लाभार्थी: निशांत पारस कोठारी भानपुरा वाले हैं। इस अवसर पर प्रमोद मेहता, अशोक गोखरू, पूनमचंद जैन, साधना जैन एवं रांका व अच्छी संख्या में पुरुष एवं महिलायें प्रवचन में उपस्थित थे। रिपोर्ट अनिल भंडारी
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