Policewala
Home Policewala <span style="color: #ff0000; font-size: 18px; font-family: Arial, sans-serif">“उत्कृष्ट अभिव्यक्ति का माध्यम हिन्दी”– रीना मालपानी</span>
Policewala

“उत्कृष्ट अभिव्यक्ति का माध्यम हिन्दी”– रीना मालपानी

“उत्कृष्ट अभिव्यक्ति का माध्यम हिन्दी”– रीना मालपानी
इंदौर मध्य प्रदेश
भाषा की सर्वोत्तम उत्कृष्टता को प्रदर्शित करने का सशक्त माध्यम है हिन्दी। हिन्दी की सहजता, सरलता, सरसता अद्वितीय है। प्रत्येक भाषा अपने आप में निपुण है, परंतु शब्दों की सुंदरता से आलोकित एवं सुशोभित हिन्दी भाषा अप्रतिम है। यह सत्य है कि भाषा विहीन व्यक्ति कभी भी उन्नति के मार्ग पर अग्रसर नहीं हो सकता। भाषा ही हमारी उन्नति को पल्लवित, पुष्पित एवं चहुं ओर हमारे विकास को प्रसारित करती है। हिन्दी में विचारों के प्रवाह का अद्वितीय सौंदर्य विद्यमान है।
भाषा की अस्मिता का गौरव गुणगान है हिन्दी।
वेदनाओं एवं भावनाओं की यथार्थ अभिव्यक्ति है हिन्दी।
समस्त भाषाओं को कदमताल देती उन्नत स्वरूप है हिन्दी।
सूक्ष्म, अमूर्त और जटिल अनुभवों का सहज सम्प्रेषण है हिन्दी।
अंग्रेजी हमने सहर्ष नहीं अपनाई थी, वह तो अंग्रेज़ो द्वारा हम पर थोपी गई थी। आज भी हम उसी जंजीर के गुलाम बने हुए है। भाषा की गुलामी की जंजीरों और बेड़ियों को तोड़कर हमें एकमत होना होगा। हिन्दी की अनुभूति कितनी अनुपम है यह उसमें निहित शब्दों का चयन प्रदर्शित करता है। हिन्दी तो वह है जो नैतिकता को सहेजती है। निर्मल गंगा सा भाव एवं प्रवाह उत्पन्न करती है। साहित्य को शिरोधार्य बनाती है। कवियों की ललकार और भाषा की बयार से उन्नति के सोपान को छूती है। भारत माता के प्रति अतुलनीय प्यार के अनुपम स्वर में व्याप्त है हिन्दी। हिन्दी भाषा का अनोखा दर्पण है। हिन्दी में भावों को मुख से मन तक समर्पित करने की उत्कृष्टता है।
भाषा की धुरी पर स्वाभिमान का आविर्भाव है हिन्दी। जब भी साहित्य का सृजन किया जाता है तो हर पात्र को जीवंत बनाकर पाठक के समक्ष प्रस्तुत करती है हिन्दी। नए भारत में उन्नति और उत्थान के भाव को संवाहित करने का सामर्थ्य हिन्दी में ही है। यदि भाषा की होली के उत्सव को हिन्दी से सजाया जाए, औजपूर्ण हिन्दी के माधुर्य को मुख पर गुनगुनाया जाए, अलंकारों के रंगों से अभिव्यक्ति को नित-नवीन बनाया जाए और हिन्दी के प्रयोग से काव्य रचना के स्वर से हृदय को आलोकित किया जाए तो मन रूपी हृदय में उन्नति, उत्साह और उमंग के रंग को बिखरने का अनुपम सौन्दर्य हिन्दी में ही है। राष्ट्र की उन्नति में माँ की ममता के आशीर्वाद का रूप हिन्दी प्रकट करती है।
जीवन की समग्रता का अंकन है हिन्दी।
सांकेतिकता, प्रतिकात्मकता का उत्कृष्ट आयाम है हिन्दी।
मानवीय भावों का यथार्थ चित्रण है हिन्दी।
अभिनव मूल्यों के उद्घाटन की चेतना है हिन्दी।
वर्तमान समय में अंग्रेजी ही आधुनिकता का आधार मानी जा रही है। भावी पीढ़ी की दृष्टि में हिन्दी का महत्व न्यून है। कितनी बड़ी विडम्बना है इस देश और समाज की कि हम अपने पूर्वजों की धरोहर जो हमें अनायास और सहजता से मिली है उसे ठुकरा रहे है और अंग्रेजों द्वारा परोसी गई भाषा को ग्रहण कर उसका उन्नयन कर रहे है। भाषा हमारी संस्कृति की अस्मिता और धरोहर है। यह केवल संवाद का माध्यम ही नहीं अपितु विचारों, भावनाओं एवं संवेदनाओं का उद्वेग है। उन्नति के सोपान की ओर कदम बढ़ाते वक्त अंग्रेजी को भी सीखना चाहिए, परंतु हिन्दी के प्रति अपने प्रेम को भी जीवंत एवं निष्ठावान रखना होगा। भाषा के विभिन्न स्वरूपों में अंग्रेजी भी ज्ञान का ही एक रूप है, परंतु मातृ भाषा की कीमत पर हिन्दी को तुच्छ समझकर अंग्रेजी को आत्मसात करना उचित नहीं है। उत्तर, दक्षिण, पूर्व और पश्चिम में प्रेम एवं स्नेह का सरल रूप हैं हिन्दी। हिन्दी अवधि, ब्रज, भोजपुरी इत्यादि सभी भाषाओं को समन्वय प्रदान करती है।
आज हमारे संस्कारों में अंग्रेजी घुल रही है। आज का युवा वर्ग अंग्रेजी में धारा प्रवाह होना ही अपनी उच्चता का मानक मान रहा है। वह मनोभावों की भाषा समझने में असमर्थ है। अंग्रेजी बोलना समाज में प्रतिष्ठा का प्रतीक बनती जा रही है। समाज में उन्नति के मापदंड हेतु अंग्रेजी बोलना चयनित किया जा रहा है। मातृ भाषा भारत वासियों के बीच हीनता का अनुभव कर रही है। यह हमारी भाषा की अस्मिता पर प्रश्न चिन्ह है। भाषा की दुर्बलता राष्ट्र की अभिव्यक्ति में न्यूनता को प्रदर्शित करती है। वह राष्ट्र की पहचान को क्षीण करती है। वैश्विक युग में सफलता के शीर्ष पर पहुँचते वक्त प्रत्येक भाषा को अपनाना होगा, पर हिन्दी के प्रति प्रेम में कृपणता परिलक्षित न करें। हिन्दी हमारी सांस्कृतिक धरोहर का अद्वितीय संकलन है हमें इसे सहेजना होगा। आत्मविश्वास से एवं पूर्ण निष्ठावान होकर इसे आत्मसात करना होगा। यह आत्मा के स्वरों का बोध है। हिन्दी सांस्कृतिक स्वरूप का एक ओजस रूप है। हिन्दी तो सर्वगुण सम्पन्न भाषा का दर्पण है। यह भाषा राष्ट्र के प्रति समर्पण है। एक स्वर और एक नाद से हम भारत वासियों को हिन्दी भाषा में अभिव्यक्ति को स्वीकारना चाहिए।
कथ्य के अनुरूप रचना संकलन को पहचान देती है हिन्दी।
पात्रो-चरित्रों के उद्घाटन का सजीव रूप है हिन्दी।
संवाद एवं प्रसंगानुकूल रोचकता की जनक है हिन्दी।
डॉ. रीना कहती, भाषा के सौन्दर्य की अनुपम छटा बिखेरती है हिन्दी।
डॉ. रीना रवि मालपानी (कवयित्री एवं लेखिका)                  रिपोर्ट अनिल भंडारी 9425059410

Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Recent Posts

Categories

Related Articles

पुलिस ने लोगों के बीच जाकर किया जनसंवाद

कटनी/बहोरीबंद निरीक्षक थाना प्रभारी बहोरीबंद अखलेश दाहिया व्दारा बहोरीबंद थाना क्षेत्रअंतर्गत ग्राम...

हथियारों के जखीरे के साथ आरोपी तस्कर, पुलिस थाना लसूड़िया इंदौर की गिरफ्त में।

हथियारों के जखीरे के साथ आरोपी तस्कर, पुलिस थाना लसूड़िया इंदौर की...