जैविक खाद से स्वरोजगार पाएं, नर्मदा संरक्षण में निभाएं भूूमिका
मध्य प्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद के सहयोग से किसानों को दिया गया जैविक खाद का प्रशिक्षण
मंडला। पहले सिर्फ शहरों में ही प्रदूषण होता था, लेकिन आजकल गांव भी इससे अछूते नहीं हैं। गांवों में जल और जमीन तेजी से जहरीली हो रही है। रसायनिक उर्वरकों के अत्याधिक उपयोग कारण खेत की मिट्टी की पैदावार कम हो रही है, भूमिगत जल जहरीला हो रहा है। यही रसायन बारिश के पानी में बहकर नर्मदा के जल में मिलते हैं, घरों से निकलने वाला ठोस अपशिष्ट जैसे सब्जी व अन्य कचरा भी नर्मदा नदी में मिलता है, इससे नदी का पानी भी प्रदूषित हो रहा है। यह बातें विज्ञान संचारक डॉ. दीपक राय ने कहीं। वे मध्य प्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद के सहयोग से नजर कृषि एवं पर्यावरण संरक्षण सोसायटी द्वारा आयोजित प्रशिक्षण कार्यशाला में अपनी बात रख रहे थे। कार्यशाला मंडला जिले के खिरहनी, पटपर सिंगारपुर, सागर और रामनगर में आयोजित की गई थी। कार्यशाला में ग्रामीणों को जैविक खाद निर्माण की प्रक्रिया, उसका उपयोग, ठोस अपशिष्ठ प्रबंधन के तौर-तरीकों से अवगत कराया गया। डॉ. दीपक राय ने कहा कि ठोस अपशिष्ट से जैविक खाद बनाकर हम नर्मदा नदी के संरक्षण में हम भूमिका अदा कर सकेंगे। कार्यशाला में समाजसेवी व पत्रकार अशोक मिश्रा, अजय झारिया, राजा मार्काे, लखन जवारिया, पुन्नू लाल नंदा, खोवाराम परते, शीलमणी झारिया, लखन झारिया, अजय झारिया, दिनेश जवारिया, विमल ठाकुर, रूपलाल झारिया आदि समाजेसवी उपस्थित रहे। सभी ने जैविक खाद का उपयोग, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन और नर्मदा नदी के संरक्षण का संकल्प लिया।
जैविक खाद के लिए केंद्र-राज्य सरकार संचालित कर रही योजना: धर्मराज सिंह परिहार
धर्मराज सिंह परिहार ने कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि गांवों में स्व सहायता समूहों जैविक खाद निर्माण की यूनिट लगाकर स्वरोजगार हासिल करके आर्थिक लाभ भी कमा सकते हैं। केंद्र और मध्य प्रदेश सरकार ऐसी कई योजनाएं संचालित कर रही है, जिसका लाभ लेकर महिला स्व सहायता समूह जैविक खाद निर्माण की यूनिट लगा सकती हैं। जैविक खाद निर्माण से जहां पशुपालन बढ़ेगा, वहीं दूध उत्पादन से आर्थिक लाभ भी मिलेगा। इस जैविक खाद के निर्माण को खेत-बाड़ी में प्रयोग करने से जहरीली सब्जी और अनाज से भी मुक्ति मिलेगी।
गांव में जैविक खेती के लिए किसानों को करेंगे प्रेरित: सरपंच शकुन मरावी
रामनगर की महिला सरपंच शकुन मरावी ने कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि हम अपनी ग्राम पंचायत में जैविक कृषि को बढ़ावा देने के प्रयास करेंगे।
जैविक अनाज की दुनियाभर में मांग: गीता झारिया
कार्यशाला में उपस्थित विशेषज्ञ और स्व सहायता समूह की प्रेरक गीता झारिया ने ग्रामीणों को बताया कि वर्तमान जैविक अनाज की पूरी दुनिया में मांग है। अब ग्रामीण भाई-बहन मोटे अनाज मिलेट्स की जैविक तरीके से खेती करके अधिक आय कमा सकते हैं।
ठोस अपशिष्ट प्रबंधन बहुत जरूरी: डॉ. शेखर सिंह
वर्चुअली तौर पर जुड़े मृदा वैज्ञानिक डॉ. शेखर सिंह ने कहा कि किसानों को रसायनिक उर्वरकों पर निर्भरता कम करते हुए जैविक खाद का उपयोग बढ़ाना चाहिए। घर से निकलने वाला सूखे, गीले कचरे, सब्जी का अवशेष आदि को एक गढ्ढे में रखकर उससे भी जैविक खाद बनाई जा सकती है। इस दौरान जैविक खाद निर्माण की प्रक्रिया भी समझाई गई।
रिपोर्ट अशोक मिश्रा मंडला
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