बिहार
नालंदा
28 मई 2023 को खोज यात्रा अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय नालंदा से सकरी नदी पहुंचीं। सकरी नदी एक किलोमीटर से भी ज्यादा चौड़ी है। लेकिन अभी पूरी तरह से सूखी हुई है। पहले यह पूरे साल बहती थी। सकरी और तिलैया दोनों नदियां दक्षिण बिहार की गंगा थी। सकरी नदी टाल क्षेत्र में आकर मिलती है। लेकिन हालत अभी बहुत खराब है।
इसके बाद यात्रा नबांदु झा जी के गांव छाछू बीघा तथा सहेदी गांव पहुंची। इन गांवों के कुछ लोग सकरी नदी को पुनर्जीवित करने का प्रयास कर रहे है। उनके साथ जलपुरुष जी ने बैठक करी। इन लोगों ने कहा कि, आज हमारी नदी सूख गई है, हम संकट में है। इसको पुनर्जीवित करने का काम जरूर करेंगे।
साहेदी गांव में पत्रकारों के साथ बैठक हुई। यहां नबांदु जी ने घोषणा करते हुए कहा कि, अपनी सकरी नदी को पुनर्जीवित करने के लिए नदी पर हो रहे अतिक्रमण, शोषण और प्रदूषण को रोकने का काम योजना बनाकर करेंगे। हम खुद नदी को समझकर, उदगम से संगम तक सात दिन की यात्रा करेंगे। इस यात्रा का नाम “सकरी नदी पुनर्जीवन यात्रा“ रखा जायेगा । यह यात्रा दलगत राजनीति से मुक्त होगी।
कार्यक्रम के संयोजक नीरज कुमार ने कहा कि, इस यात्रा में , मैं भी साथ रहूंगा। इसके जरिए बिहार की नदियों को समझने, समझाने और सरकार पर जन दबाव बनाने की दृष्टि रहेगी।
जलपुरुष जी इस काम के लिए दोनों लोगो को बधाई दी। इसके बाद यात्रा टाल क्षेत्र में पहुंची, वहां से बेगूसराय के रानी गांव में प्रो. सुभाषचंद राय के घर पहुंची। यह रविंद्र नाथ टैगोर के शांति निकेतन में प्रोफेसर है। यहां गंगा के बारे में चर्चा करते हुए प्रो. सुभाषचंद ने कहा कि ,गंगा जी हमारे यहां हर साल बाढ़ लेकर आती है। पर हम यही रहते है। हमारे यहां नमामी गंगे का कोई असर नहीं है,जैसे पहले थी वैसे ही गंदी होकर बह रही है। सरकार को इसके लिए कदम उठाना चाहिए।
( राष्ट्रीय ब्यूरो)
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