वैकुण्ठवासी राधेश्याम पहारिया स्मृति में आयोजित कथा में बताया भक्ति का भाव
शिवपुरी- यदि हमें ईश्वर को पाना है तो उसमें उम्र का महत्व नहीं होता है बल्कि भाव और भक्त के प्रेम का महत्व होता है यदि भक्त ने सच्चे मन से ईश्वर को याद किया और भक्त का भाव पवित्र है, मन पवित्र है तो भगवान भी मिलने में देर नहीं लगाते हैं तत्क्षण भगवान अपने भक्तों को अपनी शरण में ले लेते है, और भक्तों के विशेष प्रेम के कारण ही भगवान अवतरित हो जाते है, हमें ध्रुव जी महाराज की चरित्र से एक शिक्षा यह भी मिलती है कि हम भी अपने बच्चों को छोटे से ही संस्कारित करें, ईश्वर की कथाओं से जुड़े और ईश्वर से प्रेम करना सिखाए। भक्त और भगवान का यह वृतान्त श्रवण कराया व्यासपीठ से परम पूज्य संत श्री चिन्मयानंद बापू ने जो स्थानीय परिणय वाटिका में वैकुण्ठवासी श्री राधेश्याम पहारिया स्मृति में पहारिया द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के माध्यम से उपस्थित श्रद्धालुओं को भक्ति का भाव बता रहे थे। इस अवसर पर कथा के मुख्य यजमान श्रीमती लाली-शैलेन्द्र (सीटू)पहारिया एवं श्रीमती सनाया-शिवम पहारिया के द्वारा कथा प्रारंभ से पूर्व पूजन किया गया तत्पश्चात व्यासपीठ से कथावाक पूज्य श्रीचिन्मयानंद बापू जी से आर्शीवाद ग्रहण किया।
श्रीमद् भागवत कथा में व्यासपीठ से कथावाचक पूज्य श्री चिन्मयानंद बापू जी ने श्रीमद् भागवत कथा में व्यासपीठ से कथावाचक पूज्य श्री चिन्मयानंद बापू ने परिणय वाटिका शिवपुरी में चल रही कथा के चतुर्थ दिवस में बताया कि श्रीमद्भागवत कथा में चतुर्थ स्कंध में ध्रुव जी महाराज का चरित्र आया, ध्रुव जी ने मात्र 6 वर्ष की आयु में भगवान को पा लिया। बापूजी ने कहा कि पंचम स्कंध में जड़ भरत की कथा से हमें यह शिक्षा मिलती है कि एक भूल के कारण जड़ भरतजी को 3 से अधिक जन्म लेना पड़ा लेकिन परमात्मा के श्री चरणों में उनका प्रेम बना रहा, जिसके कारण तीन जन्म के पश्चात भी वह मुक्त हो गए, बाद में बामन भगवान और राम अवतार की कथा सुनाते हुए श्री कृष्ण जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया गया। बापूजी ने कहा कि जिस प्रकार दूध में दही छिपा रहता है सिर्फ उसको प्रकट करना होता है, उसी तरह भगवान पूरे संसार में व्याप्त है, भक्तों की प्रेम से उनको प्रकट किया जाता है जब जब मां देवकी और वसुदेव जी ऐसा प्रेम किसी के अंदर होता है, ईश्वर को बुलाना नहीं पड़ता वह स्वयं अवतरित हो जाते हैं। श्रोताओं का अपार प्रेम कथा के प्रति देखने को मिला। आज कथा के माध्यम से सुंदर-सुंदर भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं की कथा का रसपान कराया जाएगा।
जीवन का सत्य है श्रीमद भागवत कथा: चिन्मयानंद जी बापू
पत्रकारों से चर्चा करते हुए धार्मिक आयोजनों में फूहड़ता प्रदर्शन पर जताई नाराजगी
कभी जीवन में धर्म का मार्ग प्राप्त करना हो या कभी अपने आप में जब कोई रास्ता न मिले तब यह समझ लीजिए कि श्रीमद भागवत कथा ही जीवन का सत्य है और देखा जा रहा है आजकल की धर्म के नाम पर फूहड़ता पारोसी जा रही है जो कि उचित नहीं है, इस तरह की फूहड़ता का मैंने हमेशा विरोध किया है और आगे भी यह विरोध जारी रहेगा, संत महात्मा किसी भी धर्म के हो, वह हमेशा लोगों को धर्म का मार्ग ही प्रशस्त करते है। धर्म का यह संदेश और धार्मिक आयोजनों में फूहड़ता पर यह नाराजगी जताई परम पूज्य संत श्री चिन्मयानंद जी बापू ने जो स्थानीय परिणय वाटिका में पत्रकारों से हुई प्रेसवार्ता को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर पत्रकारों को धर्म ज्ञान का संदेश भी पूज्य बापू ने दिया और प्रेसवार्ता के माध्यम सभी की जिज्ञासाओं के रूप में आए सवालों के जवाब भी बड़ी सरलता से दिए गए। पत्रकारों से चर्चा उपरांत सभी पत्रकार साथियों का पूज्य चिन्मयानंद जी बापू के द्वारा श्रीकृष्ण पट्टिका ओढ़ाकर एवं प्रसाद के रूप में फल प्रदान करते हुए आशिर्वाद प्रदान किया। इसके साथ ही सभी पत्रकारों ने पूज्य बापू के साथ अनौपचारिक चर्चाएं की। कार्यक्रम उपरांत सभी के लिए प्रसादी व्यवस्था आयोजक परिवार शैलेंद्र पहारिया-शिवम पहारिया के द्वारा की गई थी।
रिपोर्टर-ध्रुव शर्मा शिवपुरी
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