मणिपुर
इम्फ़ाल
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान कहा है कि मणिपुर में जो हिंसा चल रही है वह दो जातियों के बीच संघर्ष का परिणाम है, इसका उग्रवाद से कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने इसे कानून-व्यवस्था का मामला बताया और कहा कि सेना राज्य सरकार की मदद कर रही है। ग़ौरतलब है कि मणिपुर के मुख्यमंत्री ने इस हिंसा को उग्रवादी गतिविधि बताया था और कहा था कि हिंसा में शामिल उग्रवादी आम नागरिकों के खिलाफ एम-16, एके-47 जैसे हथियारों का इस्तेमाल कर रहे हैं। उनके अनुसार ये इतने बैखोफ हैं कि हथियार और गोला-बारूद प्राप्त करने के लिए किसी भी हद तक जा रहे हैं यहाँ तक कि सेना को भी अपना निशाना बना रहे हैं। यहाँ तक कि लोग इंफाल में सुरक्षा प्रतिष्ठानों से हथियार कब्जाने की कोशिश तक कर रहे हैं।
मणिपुर में कुकी जनजाति के लोग मैतेई समुदाय को ST का दर्जा देने के विरोध में 3 मई से प्रदर्शन कर रहे हैं। इस जातीय तनाव से राज्य में कानून-व्यवस्था बिगड़ गई है, कई जिलों में कर्फ्यू लगा हुआ है जो लगातार जारी है। 31 मई तक इंटरनेट भी बैन है। हफ्तों से मणिपुर जाने वाला हाइवे कई जगह पर बंद है, जिससे सामान की आपूर्ति नहीं होने से जरूरी वस्तुओं के दाम बढ़ रहे हैं। इस तनाव व हिंसा के चलते 40 हजार लोग पलायन भी कर चुके हैं।हालाँकि हिंसा के बाद सेना और असम राइफल्स लगातार बड़े रेस्क्यू अभियान चला रही हैं और कुकी जनजाति और मेइती समुदाय के 2000 से भी ज़्यादा ग्रामीणों को सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाया जा चुका है।
गृह मंत्री अमित शाह भी 29 मई को इंफाल पहुंच गए हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह, केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय, केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला और इंटेलिजेंस ब्यूरो के चीफ तपन डेका के साथ अधिकारियों से मीटिंग की और राज्य में तत्काल शांति बहाल करने के निर्देश दिये ।
मणिपुर में हिंसा व तनाव से चिंतित ओलिंपिक पदक विजेता मीराबाई चानू एवं पद्म पुरस्कार विजेता वेटलिफ्टर कुंजारानी देवी, पूर्व भारतीय महिला फुटबॉल टीम की कप्तान बेम बेम देवी और मुक्केबाज एल सरिता देवी सहित मणिपुर की खेल हस्तियों ने राज्य में चल रहे संकट का समाधान ढूँढने के लिये गृह मंत्री को पत्र लिख कर चेतावनी दी है कि अगर राज्य में जल्द शांति और बहाल नहीं की गई तो वे अपने अवॉर्ड और मेडल लौटा देंगे।
ज़ाहिर है मणिपुर की हिंसा सिर्फ़ दो समुदायों के बीच के तनाव से कहीं ज़्यादा चिंताजनक है और केंद्र सरकार के पूरे सहयोग के बिना ये मसला आसानी से हल होने वाला नहीं है।
( नेशनल ब्यूरो )
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