इंदौर मध्य प्रदेश
राव निहालकरण जमींदार के बाद श्रीकांत जमींदार कौटुंबिक ट्रस्ट के ट्रस्टी होना सही पाया गया
जिला न्यायालय में 9 वर्षों तक चला प्रकरण, 44 बार दस्तावेज प्रस्तुत करने का अवसर दिया
मुख्य संस्थापक ट्रस्टी राव निहालकरण के स्थान पर हुई थी श्रीकांत की नियुक्ति
इन्दौर 16 जून।
जिला न्यायालय में 9 वर्षों तक चले जमींदार कौटुम्बिक न्यास से संबंधित प्रकरण में न्यायालय ने श्रीकांत जमींदार को सभी आरोपों से मुक्त करते हुए उनके पक्ष में फैसला सुनाया है। न्यायालय के इस फैसले के बाद न्यास के सभी अधिकार श्रीकांत जमींदार के पास रहेंगे। एडव्होकेट अनीस कुरैशी ने बताया कि श्रीकांत जमींदार पर वंदनादेवी पति रावनिहालकरण जमींदार एवं प्रमथेश जमींदार ने न्यायालय में जमींदार कौटुम्बिक न्यास में ट्रस्टी नहीं होने, ट्रस्ट की संपत्तियों में गबन करने एवं किराये की वसूली अवैध रूप से करने का प्रकरण दर्ज कराया था। 5 जुलाई 2014 को लगाए गए इस प्रकरण में सभी गवाहों के बयान व दलीलें सुनने के पश्चात 9 वर्ष बाद इस प्रकरण का निराकरण 25 अप्रैल 2023 को हुआ। जिसमें न्यायालय ने श्रीकांत जमींदार के पक्ष में फैसला सुनाया है।
श्रीकांत जमींदार पर लगाए गए जमींदार कौटुम्बिक न्यास प्रकरण में रोचक तथ्य यह रहा कि प्रमथेश जमींदार ने अपने प्रति परीक्षण में यह स्वीकार किया कि माननीय उच्च न्यायालय एवं जिला न्यायालय के प्रकरणों में श्रीकांत जमींदार को ट्रस्टी बताया था। कई प्रकरण श्रीकांत जमींदार द्वारा एविडेंस में पेश किए गए जिसमें न्यायालय के समक्ष ट्रस्ट ने श्रीकांत को ट्रस्टी बताया एवं प्रमथेश भी उन प्रकरणों में पार्टी थे। प्रमथेश जमींदार ने ट्रस्ट की संपत्तियों में गबन होना एवं ट्रस्ट की किराए की वसूली अवैध रूप से करने का आरोप श्रीकांत जमींदार पर लगाए थे वह आरोप भी प्रमथेश न्यायालय के समक्ष सिद्ध नहीं कर पाए। जिससे न्यायालय ने श्रीकांत जमींदार के पक्ष में फैसला सुनाया।
44 बार दस्तावेज प्रस्तुत करने का अवसर दिया- जमींदार कौटुम्बिक न्यास प्रकरण में श्रीकांत जमींदार के विरूद्ध वंदना जमींदार एवं प्रमथेश जमींदार को 44 बार दस्तावेज प्रस्तुत करने का अवसर दिया गया किंतु वंदना जमींदार एवं प्रमथेश जमींदार उनके द्वारा लगाए गए आरोपों को प्रमाणित नहीं कर सके।
मुख्य ट्रस्टी के बाद उनके स्थान पर हुई थी नियुक्ति- श्रीकांत जमींदार का ट्रस्ट के ट्रस्टी का नियुक्ति पत्र में न्यायालय ने भी यह स्वीकारा है कि भोपाल एफएसएल द्वारा हस्ताक्षर वंदना जमींदार के ही पाए गए हैं। परिवार की वंश परंपरा अनुसार ज्येष्ठ पुत्र होने के नाते श्रीकांत जमींदार की ट्रस्टी के रूप में नियुक्ति राव निहालकरण जी जो कि मुख्य ट्रस्टी थे उनके स्थान पर हुई थी।
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Anish Qureshi ji
Advocate रिपोर्टें अनिल भंडारी
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