इंदौर मध्य प्रदेश
दिनांक 07.07.2023 को सायबर जागरूकता अभियान “Black Ribbon Initiative” के तहत अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक डॉं. वरूण कपूर द्वारा ‘‘सन्मति हायर सेकेंडरी स्कूल, इंदौर में 618 कार्यशाला एनजीओ गोल्डन होप फाउण्डेशन के सचिव श्री दिव्यजीत सिंह के माध्यम से आयोजित की गई। इस कार्यशाला में स्कूल के 176 छात्र-छात्राओं, 8 अध्यापकगण एवं 5 वालिंटियरर्स ने भाग लिया । ‘‘गोल्डन होप फाउण्डेशन’’ एनजीओ के पदाधिकारी अध्यक्ष श्री दीपक सोलंकी व उनके सहयोगी दिव्यजीत सिंह, आईटी हेड गोविन्द अग्रवाल एवं अन्य गणमान्य व्यक्तियों की मौजूदगी में संस्था द्वारा तैयार की गई वेब साईट www.goldenhopefoundation.org का डॉं. कपूर द्वारा ई-लांचिंग किया गया ।
कार्यशाला को संबोधित करते हुए डॉं. वरूण कपूर, अमनि द्वारा सायबर अपराध बढ़ने के कारणों को विस्तृत रूप से समझाते हुये बताया कि सायबर अपराध बढ़ने का मुख्य कारण सुरक्षा मापदंड को नहीं अपनाना, नियमों की जानकारी न होना एवं वास्तविक दुनिया के मापदंड सायबर वर्ल्ड में अपनाना है। जिसके पास जितनी ज्यादा जानकारी होगी वह उतना ही सशक्त होगा । आज दुनिया मोबाईल, इंटरनेट के माध्यम से एक हो गयी है व दैनंदिन के कार्यों में इंटरनेट का उपयोग सामान्य बात हो गई है। जागरूकता की कमी के कारण बच्चे सायबर अपराधियों के आसान शिकार हो रहे है । सायबर बुलिंग, सायबर स्टॉकिंग, फिशिंग, सायबर ग्रुमिंग सायबर से जुड़े अपराध है इनके बारे में जानकारी होना आवश्यक है। सोशल नेटवर्किंग एवं कम्प्युनिकेशन में अंतर बताते हुये अपने बारे में कितनी इनफरमेशन कब, कैसे और कहॉं शेयर करनी है, किस पोस्ट को लाईक, शेयर एवं फारवर्ड करने के बारे में सचेत रहने की आवश्यकता पर बल दिया। सोशल मिडिया फेसबुक, इंस्टग्राम, लिंक्डइन, ट्वीटर, व्हाट्सअप इत्यादि का उपयोग बड़ों से लेकर बच्चों तक किया जा रहा है। अपराधी हमारी द्वारा सोशल मीडिया पर शेयर की गई जानकारी का उपयोग कर सायबर अपराध को अंजाम दे रहे है। सायबर अपराधों को नियंत्रित करने व इसके दुष्प्रभावों से बचने का सबसे सशक्त माध्यम है-जागरूकता। किसी भी अनजान व्यक्ति से संपर्क एवं फ्रेण्ड रिक्वेस्ट स्वीकार न करें । अनजान लिंक पर क्लिक न करें । निजी जानकारियॉं जैसे बैंक खाता, आधार कार्ड, पैन कार्ड, ओटीपी, यूपीआई-पिन, आदि किसी को न दे चाहे वह अपना परिचित ही क्यों न हो । अनजान स्त्रोत से एप/गेम डाउनलोड न करें और न इंस्टाल न करें । सार्वजनिक स्थलों पर वाईफाई हॉटस्पॉट कनेक्ट न करें । समय-समय पर अपने पासवर्ड बदलते रहे । आजकल व्हाट्अप पर वीडियो काल कर लोगों को अपने जाल में फंसाकर ब्लैकमेलिंग की घटनायें तेजी से बढ़ रही है । इसलिये जानकार ही नहीं जागरूक बने । डॉं. कपूर ने विशेष तौर पर छात्र-छात्राओं को डिजिटल फुटप्रिंट, सायबर बुलिंग एवं गेमिंग के बारे में जानकारी प्रदान की गई । उन्होंने बताया कि डिजिटल फुटप्रिंट कभी भी खत्म नहीं होते हैं इसलिये कोई भी गतिविधि सायबर वर्ल्ड में सोच समझकर करें क्योंकि यदि आपसे कोई अपराध घटित हो गया तो डिजिटल फुटप्रिंट के माध्यम से आसानी से पकड़ा जा सकता है। इसलिये डिजिटल वर्ल्ड/डिजिटल मीडिया में कार्य करने के पहले सोचे, समझे व फिर करें व अच्छा फुटप्रिंट बनाए। सायबर बुलिंग किसी के साथ भी हो सकता है। इसकी चपेट में सबसे ज्यादा बच्चे आते हैं। बुलिंग करने वाला रिश्तेदार, दोस्त या कोई अज्ञात व्यक्ति हो सकता है । इसमें धमकाना, अफवाह फैलाना, घृणास्पद बयानबाजी करना, फोटो का गलत प्रयोग करना, भद्दे कमेंट करना, अश्लील एवं अनुचित भाषा का प्रयोग करना इत्यादि सम्मिलित है। सायबर बुलिंग एक तरह से इंटरनेट के माध्यम से होने वाली रेगिंग है। इसके साथ ही ऑन लाईन गेमिंग के बारे में विस्तृत रुप से जानकारी देते हुए बताया कि ऑन लाईन गेमिंग का एडिक्शन से छात्र-छात्राओं को बचना चाहिये क्योंकि यह कभी भी खत्म होने वाली प्रक्रिया नहीं है। डब्ल्यू.एच.ओ. ने इसे गेमिंग डिस ऑर्डर का नाम दिया है ।
कार्यशाला में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले दो छात्र-छात्राओं क्रमशः परम मीना एवं श्रेया माहेश्वरी को डॉं. कपूर ने प्रमाण-पत्र व गोल्डन बैज प्रदान कर सम्मानित किया ।
रिपोर्ट अनिल भंडारी
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