मामला है अलिराजपुर जिले के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र नानपुर
का जहाँ पीड़ित विरेन्द्र कनेश का जिसका स्वास्थ्य ठीक न होने के कारण उसके परिजन उसे इलाज के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र नानपुर लाये थे। और उस वक़्त डॉ बबिता नन्दूरकर हॉस्पिटल में उपस्थित भी थी। परिजनो का कहना है कि डॉक्टर बबिता नन्दूरकर ने मरीज को देखने से मना कर दिया। इसके बाद जब परिजनों ने महिला डॉक्टर से मरीज को चेक करने के लिए बोला तो डॉक्टर बबिता नन्दूरकर ने चेक करने से मना कर दिया। फिर बिना मरीज को देखे ही नर्स ने मरीज को आकर इंजेक्शन लगा दिया। और मरीज को जिला चिकित्सालय अलिराजपुर के लिए रैफर कर दिया, और बाद में थाने जाकर मरीज के परिजनों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवा दी, यह बोलकर की इन लोगो ने शासकीय कार्य मे बाधा डाली है। अब सवाल यह उठता है कि मरीज के परिजनो का महिला डॉक्टर को चेक करने का बोलना क्या शासकीय कार्य मे बाधा डालना कैसे हो गया। डॉक्टर बबिता नन्दूरकर का ऐसा व्यवहार कोई नई बात नही है पहले भी डॉक्टर मेडम के खराब व्यवहार का शिकार भोले भाले ग्रामीण बन चुके हैं। ऐसा ग्रामीण लोगो का कहना है और सभी ग्रामीणो ने इस बात की शिकायत कलेक्टर को ज्ञापन के माध्यम से की है।
रिपोर्ट :- मुसाईद खान