हरदा,मध्यप्रदेश
कार्यालय बाल कल्याण समिति हरदा एवं किशोर न्याय बोर्ड हरदा बाल-गृह भवन बायपास चौराहा इंदौर रोड हरदा में बैठक एवं प्रशिक्षण का आयोजन किया गया। जिसमें जिला बाल संरक्षण अधिकारी, महिला एवं बाल विकास संजय त्रिपाठी, सहायक संचालक महिला एवं बाल विकास डॉ. राहुल दुबे एवं प्रीति साहू, परियोजना अधिकारी हरदा ग्रामीण, टिमरनी एवं खिरकिया सुषमा चौरसिया, संगीता राजपूत एवं वंदनवाला सिंह एवं समस्त सेक्टर पर्यवेक्षक, महिला एवं बाल विकास उपस्थित रही।
उपस्थित परियोजना अधिकारी व सेक्टर पर्यवेक्षक को सहायक संचालक महिला एवं बाल विकास डॉ. राहुल दुबे द्वारा प्रजेंटेशन के माध्यम से बाल संरक्षण अंतर्गत फॉस्टर केयर योजना, स्पॉंसरशिप योजना, मुख्यमंत्री कोविड-19 बाल कल्याण योजना पर विस्तार से जानकारी दी गई। उन्होंने बताया कि स्पॉंसरशिप योजना का उद्देश्य बच्चों को उनके जैविक परिवार से अलग होने से रोकना है, उन्होंने बताया कि ऐसे बच्चे जिनके माता-पिता की मृत्यु हो गई हो या माता-पिता गंभीर बीमारी से पीड़ित हो, ऐसे जरूरतमंद बच्चों को बाल कल्याण समिति द्वारा उपयुक्त संरक्षक अथवा फिट पर्सन उनके परिजन (जैसे मामा/चाचा/नाना/दादा/दादी/बुआ) आदि को घोषित करने के उपरांत जिला बाल संरक्षण इकाई द्वारा दो हजार रूपये प्रतिमाह उनके सीधे बैंक खाते में उपलब्ध कराये जायेंगे।
फॉस्टर केयर एक ऐसी व्यवस्था है, जिसमें बालको को घर जैसे पारिवारिक माहौल में वैकल्पिक देखभाल के उद्देश्य से जिन बच्चो के कोई संरक्षक नही है। उन्हें असंबंधित/अरक्त परिवारो के सदस्यो के साथ देखभाल और संरक्षण हेतु आवश्यकता अनुसार रखा जाता है। ऐसे बच्चो को जिला बाल संरक्षण इकाई द्वारा दो हजार रूपये प्रतिमाह उनके सीधे बैंक खाते में उपलब्ध कराये जायेंगे।
मुख्यमंत्री कोविड-19 बाल कल्याण योजना के अंतर्गत ऐसे बच्चे जिनके माता-पिता की आकस्मिक मृत्यु कोविड-19 से हो गई हो या ऐसी मृत्यु से है जो दिनांक 01 मार्च 2021 से 30 जून 2021 के बीच हुई हो ऐसे पात्र बच्चों को शासन द्वारा पॉंच हजार रूपये प्रति माह सीधे उनके बैंक खाते में दिए जायेंगे व योजना अंतर्गत शिक्षा व खाद्य सामग्री का भी प्रावधान है।
फील्ड स्तर पर कार्यरत अधिकारियों एवं कर्मचारियो को जिला स्तर पर बाल संरक्षण मुद्दे पर जोखिम भरे-क्षेत्रो की वल्नरेबिलिटि (VULNERABILITY) मैपिंग के संबंध में बताया। उन्होंने बताया कि समेकित बाल संरक्षण योजना अनुसार बाल संरक्षण बच्चों को किसी भी तरह के खतरे या जोखिम से बचाने या उनके जीवन, व्यक्त्वि और बचपन के बारे में है। यह किसी भी तरह के नुकसान के प्रति उनकी वल्नरेबिलिटि (VULNERABILITY) को कम करने और यह सुनिश्चित करने के बारे में है कि कोई भी बच्चा सामाजिक सुरक्षा से बाहर न जाए और जो यदि किसी कारण वश बाहर निकल जाते है तो उसे आवश्यक देखभाल, सुरक्षा मिले ताकि उसे सुरक्षा क्षेत्र में वापस लाया जा सके।
योजना अनुसार उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों हाई रिस्क एरिया की पहचान करने के लिए शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्र के मैपिंग का उल्लेख है, जहॉं अधिक वंचित बच्चें पाए जाते है। जोखिम वाले क्षेत्रो का मानचित्रण वल्नरेबिलिटि मेपिंग (VULNERABILITY MAPPING) बच्चों के सामने आने वाले खतरो एवं चुनौतियों का आकलन करने की एक व्यवस्थित प्रक्रिया है, जो जिला स्तर पर सशक्त बाल संरक्षण योजनाओं की तैयारी की सुविधा प्रदान करता है और अन्य निकायों और संस्थानों के साथ समन्वय को मजबूत करता है, जो हर वल्नरेबिलिटि (VULNERABILITY) बच्चें की सहायता करता है जिसे जोखिम वल्नरेबिलिटि (VULNERABILITY) से बाहर निकाला जा सके।
जिला बाल संरक्षण अधिकारी द्वारा बताया गया कि चिन्हाकिंत बच्चों एवं परिवार को स्पॉंसरशिप एवं फॉस्टर केयर व अन्य योजना से जोड़ा जाए, शाला त्यागी बच्चों को शिक्षा से अन्य विभागो द्वारा संचालित योजना से परिवार एवं बच्चों को जोड़ा जा सके। साथ ही बाल विवाह की रोकथाम, नशा मुक्ति, बाल यौन अपराधो में कमी के लिये प्रयास किये जा सके एवं बाल देखरेख एवं संरक्षण की आवश्यकता वाले बच्चों का बाल देखरेख संस्थानों में प्रवेश की कार्यवाही की जा सके, उक्त कार्य आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को 1500/- (एक हजार पॉंच सौ रूपये मात्र) सीधे बैंक खाते में दिए गये है।
त्रिपाठी ने बताया कि इस कार्य हेतु समेकित बाल संरक्षण योजना अंतर्गत गठित ग्राम पंचायत अथवा वार्ड स्तरीय स्तरीय बाल संरक्षण समिति एवं एनजीओ की सहायता भी ली जा सकेगी।
रिपोर्ट तरूण सराफ