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अफसरों की अनदेखी से पनप रहा भ्रष्‍टाचार, जांच में उजागर होंगे घोटाले

डिंडौरी मध्य प्रदेश

सीएम हेल्पलाइन में शिकायत के 8 महीने बाद भी नहीं हुई कार्यवाही


सरकार भले ही जीरो टालरेंस का दावा करती हो, लेकिन अफसर पुराने ढर्रे से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं। जिले के अफसर  कई-कई महीनों से पंचायतों में घपले-घोटाले की जांच रिपेार्ट दबाए बैठे हैं, जबकि इन्हें एक महीने में जांच रिपोर्ट करके देनी थी। जांच के दायरे में शामिल कई पंचायतों में लाखों के गबन की आशंका है, लेकिन अफसरों की अनदेखी से यह घोटाले उजागर नहीं हो पा रहे हैं।

ऐसा ही एक मामला ग्राम पंचायत टिकरिया का है जहां सीएम हेल्पलाइन में शिकायत के 8 महीने बाद भी उच्च अधिकारियों के द्वारा मामले में कोई भी जांच नहीं की गई है। वही मुख्य कार्यपालन अधिकारी शाहपुरा द्वारा भ्रष्टाचार करने वाले पंचायत समन्वयक अधिकारी को ही जांच अधिकारी नियुक्त कर मामले की खानापूर्ति कर दी गई।

यह है पूरा मामला

शिकायतकर्ता द्वारा 3 सितंबर 2022 को सीएम हेल्पलाइन में शिकायत दर्ज करते हुए बताया गया था कि ग्राम पंचायत ठिकरिया में चुनाव के समय पीसीओ को वित्तीय प्रभार दिया गया था जिसका अनुचित प्रयोग करते हुए नए सचिव और पीसीओ ने 18 फर्जी बिलों को लगाकर लगभग ₹170670 का फर्जी भुगतान कर लिया था इसके साथ ही पोर्टल में अपनी बिल की फोटो लगाई गई थी। वही इस मामले में पूर्व सचिव से पूछने पर उन्होंने पंचायत में किसी भी प्रकार के शेष भुगतान नहीं होने की बात कही थी जिससे यह साफ होता है कि नए सचिव और पीसीओ के द्वारा साठगांठ कर फर्जी बिलों को लगाकर शासकीय राशि का बंदरबांट किया गया था।

*आखिर CEO शहपुरा को क्यों है कार्यवाही से एतराज*

जनपद पंचायत शहपुरा भ्रष्टाचार को लेकर हमेशा सुर्खियों में बना रहता है। वर्तमान में भी जनपद सीईओ राजीव तिवारी द्वारा भ्रष्टाचारियों को संरक्षण और भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने की बात सुर्खियों में सामने आ रही है। ग्राम पंचायत बिजौरी माल, टिकरिया माल, बरौदी,  भीम्पार, संग्रामपुर, पडरिया कला,  आदि साहब कि चहेती पंचायतें हैं जिनके भ्रष्टाचार के मामलो में सबसे पहले नाम आता है। जहां सरपंच ठेकेदारी, बगैर बिल बाउचर भुगतान, बगैर निर्माण कार्य राशि का आहरण, निर्माण कार्य में बंदरबांट, अपठनीय बिल लगा शासकीय राशि गबन घोटाला, जैसे एक से बढ़कर एक भ्रष्टाचार के मामले है जिनमें सीईओ शाहपुरा द्वारा जांच के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की गई है। शहपुरा जनपद क्षेत्र में हिस्सेदारी और संरक्षण इस कदर हावी हो गया है कि भ्रष्टाचार भी अपनी चरम सीमा पार कर चुका है।

रिपोर्ट अखिलेश झारिया

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