जबलपुर — मध्यप्रदेश।
कैसे तय होती है माता की सवारी?
जबलपुर – हिंदू नववर्ष की शुरूआत चैत्र नवरात्रि से होती है। ये पर्व चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से नवमी तिथि तक मनाया जाता है। इस बार ये तिथि 22 से 30 मार्च तक मनाया जाएगा। नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना की जाएगी, इसके बाद 9 दिनों तक रोज देवी के अलग-अलग रूपों की पूजा की जाएगी। इस दौरान कई शुभ योग भी बनेंगे, जिसके चलते इस पर्व का महत्व और भी बढ़ गया है। आगे जानिए इस बार देवी किस वाहन से पृथ्वी पर आएंगी…
क्या है देवी के वाहन की मान्यता?
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, नवरात्रि के पहले दिन देवी दुर्गा वार के अनुसार, अलग-अलग वाहनों पर सवार होकर पृथ्वी पर आती हैं। उनके साथ भगवान श्रीगणेश, भगवान कार्तिकेय सहित अन्य देवी-देवता भी पृथ्वी लोक पर आते हैं। पृथ्वी लोक माता का मायका माना जाता है, जहां वे नवरात्रि के दौरान रहती हैं और फिर नवमी तिथि पर पुन: अपने लोक में लौट जाती हैं। दिन के अनुसार, अपनी सवारी पर विराजमान होकर प्रस्थान कर जाती हैं।
इस बार कौन-सा है देवी का वाहन?
ज्योतिष डॉ. चंद्रशेखर शास्त्री जी महाराज के अनुसार, इस बार चैत्र नवरात्रि का पर्व बुधवार से शुरू हो रहा है, जिसके कारण इस बार देवी नौका पर सवार होकर पृथ्वी पर आएगी। जबकि चैत्र नवरात्रि का समापन 30 मार्च, गुरुवार को होगा। वार के अनुसार पृथ्वी से जाते समय देवी का वाहन डोली रहेगा। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, आते समय देवी का वाहन नौका होना और जाते समय डोली होना बहुत ही शुभ संकेत है। ऐसा होने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है और भक्तों को सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।।
संवाददाता नरेश चौधरी की रिपोर्ट
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